![बिजली संकट](https://www.bichhu.com/wp-content/uploads/2021/08/2-13.jpg)
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। त्योहारी मौसम के बीच मध्य प्रदेश में बिजली संकट लगातार गहराता ही जा रहा है। हालत यह है कि मांग में लगातार वृद्धि हो रही है और उत्पादन में लगातार गिरावट का दौर जारी है। इस बीच प्रदेश में बिजली उत्पादन के काम आने वाले कोयले की भारी कमी ने यह संकट और बढ़ा दिया है। हालत यह हो गई है कि कोयले की कमी के चलते कई प्लांटों में तो उनकी इकाईओं को तो बंद तक करना पड़ गया है। इसकी वजह से लगातार मांग में हो रही वृद्धि की वजह से उत्पादन में लगातार गिरावट होने से प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में दो से तीन घंटे तक की कटौती तक करनी पड़ रही है। बताया जा रहा है कि अगर एक दो दिन में कोयले की आपूर्ति में वृद्धि नहीं हुई तो हालत बद से बदतर ही नहीं बल्कि बड़ा बिजली संकट खड़ा हो जाएगा।
इसकी वजह है प्रदेश के थर्मल प्लांटों में अब एक से दो दिन के कोयले का ही स्टाक बचा है। इसके लिए कुप्रबंधन को जिम्मेदार माना जा रहा है जिसकी वजह से बिजली कंपनियों पर कोयले की आपूर्ति करने वाली कोल कंपनियों की भारी देनदारियां हो चुकी हैं। इसकी वजह से कोल कंपनियों ने न केवल कोयला की आपूर्ति बेहद कम कर दी है, बल्कि गुणवत्तापूर्ण कोयले की कमी भी बंद कर दी है। इस बीच प्रदेश के बांधों में भी पानी की कमी बनी हुई है। कोयले की कमी का अंदाज इससे ही लगाया जा सकता है कि प्रदेश के 3 थर्मल पावर प्लांट कोयले की कमी के कारण बिजली उत्पादन बंद करना पड़ गया है। इसके चलते अब निजी क्षेत्र से बिजली खरीदकर आपूर्ति करनी पड़ रही है। गौरतलब है कि, सारणी पावर प्लांट की 200 मेगावॉट इकाई, 210 मेगा वाट इकाई, सिंगाजी पावर प्लांट के 600 मेगावॉट की इकाई और बीरसिंहपुर पावर प्लांट की एक इकाई में बिजली उत्पादन पूरी तरह से बंद करना पड़ गया है। दरअसल, कोल इंडिया कंपनी और प्रायवेट जनरेटर से कोयला हालत यह है कि फिलहाल बिजली कंपनियों को प्राइवेट सप्लायरों को 1200 सौ करोड़ और कोल इंडिया को 1000 करोड़ का भुगतान करना है।
बीते साल की तुलना में ढाई हजार मेगावाट बढ़ी मांग
कम बारिश होने की वजह से इस साल अगस्त माह में ही खेतों में सिंचाई की जरुरत पड़ने लगी है। बीते साल अगस्त माह में प्रदेश में साढ़े सात हजार मेगावाट बिजली की खपत थी, जबकि इस साल अभी यह मांग बढ़कर 10 हजार मेगावाट तक पहुंच गई है। इसी के चलते पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ने इंदौर संभाग के सभी 10 जिलों को कटौती को लेकर शुक्रवार से ही अलर्ट मोड पर रखा हुआ है। इस कारण अब ग्रामीण इलाकों में कटौती का दौर शुरू हो गया है। लगभग यही स्थिति प्रदेश के अन्य इलाकों में भी बनी हुई है।
इस तरह से की जा रही कटौती
मांग बढ़ने और उत्पादन कम होने की वजह से ग्रामीण इलाकों में 2-2 घंटे की कटौती शुरू कर दी गई है। इसके लिए 10-10 जिलों के क्लस्टर बनाकर बिजली की कटौती की जा रही है। दरअसल प्रदेश में फिलहाल मांग लगभग 10 हजार मेगावाट है, जबकि उपलब्ध सिर्फ 8 हजार मेगावॉट ही है। अगर मौसम इसी तरह का बना रहा तो बिजली की मांग में वृद्धि होना तय है। इसके साथ ही रबी का सीजन आने वाला है। इसके चलते अक्टूबर से बिजली की डिमांड और बढ़ जाएगी। रबी सीजन में बिजली की मांग बढ़ कर 16 से 17000 मेगावाट हो जाएगी।
पहले से थी आशंका
प्रदेश में कम बारिश होने की वजह से कई डैम अभी पूरी तरह से रिक्त हैं। इसकी वजह से हाइड्रो पावर प्लांट में भी बिजली उत्पादन कम हो पा रहा है। इस इस वजह से आशंका है कि यदि कोल कंपनियों का भुगतान नहीं किया गया तो प्रदेश में पावर जनरेशन की स्थिति बेहद ,खराब हो जाएगी। मध्य प्रदेश बिजली यूनाइटेड फोरम का कहना है कि प्रदेश में बिजली संकट गहराने की आशंका पहले से जताई जा रही थी। सरकार को बिजली कंपनियों के सब्सिडी की राशि तत्काल जारी करना चाहिए, ताकि थर्मल पावर प्लांट अपनी क्षमता के साथ बिजली का उत्पादन कर सकें।