कम बारिश होने से बांधों के पेट रह गए खाली, सिंचाई की होगी मुश्किल

कम बारिश

भोपाल/राजीव चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में इस बार अधिकांश जिलों में सामान्य से कम वर्षा होने से लगभग साठ फीसदी से अधिक बांध खाली रह गए। ऐसे में खेतों की सिंचाई प्रभावित होने की आशंका बढ़ गई है। बहरहाल ग्वालियर चंबल संभाग में इस बार भारी बारिश हुई है। यदि इस इलाके के मणीखेड़ा, हरसी और ककेटो सहित कुछ बांधों को छोड़ दिया जाए तो इस वर्ष एक भी बड़े बांध नहीं भर पाए हैं। बता दें कि यह स्थिति तब है जब बांधों में तीन से चालीस फीसदी पानी पिछले वर्ष का भरा हुआ था। यानी इस साल अब तक बारिश होने से जहां किसानों की चिंताएं बढ़ गई हैं वहीं पीने के पानी की ही किल्लत हो सकती है। यही नहीं अब नदियों का जलस्तर भी कम हो रहा है। ऐसे में फसलों की सिंचाई मुश्किल हो जाएगी। बांधों का जलस्तर कम होने से खरीफ फसलों की सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी नहीं मिलने से संकट गहरा गया है।
उल्लेखनीय है कि कई जगह खरीफ फसलों की सिंचाई के लिए पानी की जरूरत पड़ने लगी है। जबकि रबी फसल की भी बोवनी पंद्रह सितंबर के बाद से शुरू हो जाएगी। ऐसे में जल संसाधन विभाग को नहरों से पानी छोड़ने के लिए व्यवस्था बना पाना दिक्कत का काम होगा। नहरों के अंतिम छोर के खेतों तक पानी पहुंचाने में जल संसाधन विभाग को इस बार भारी मशक्कत करनी पड़ेगी। इसके बाद भी फसलों को आधा ही पानी मिल पाएगा। बता दें कि प्रदेश में पैंतीस लाख हेक्टेयर फसलों की सिंचाई नहरों से की जाती है।
निकायों को पीने के पानी की व्यवस्था
राज्य सरकार द्वारा बांधों में पीने के लिए पानी आरक्षित करने के निर्देश दिए गए हैं। जल संसाधन विभाग की ओर से अब यह देखा जाएगा कि प्रदेश में निकायों को प्रतिवर्ष कितनी मात्रा में पानी की सप्लाई किया जाना है। सूत्रों की मानें तो यह आरक्षण अक्टूबर से पहले कर लिया जाएगा। जिन बांधों में पानी फुल टैंक लेबल तक नहीं पहुंचा है उनमें इंदिरा सागर, मोहनपुर, कोलार, केरवा, कलियासोत डैम, परसडोह, बाणसागर, अशोक सागर, वैनगंगा व सुकता बांध शामिल है।
इस बार नहीं खुले बांधों के गेट
प्रदेश में 28 बड़े बांध है। इनमें लगभग 13 बांध ऐसे हैं जिनमें चालीस से साठ फीसदी ही पानी भरा है। हालांकि ग्वालियर-चंबल क्षेत्र के 12 बांध ऐसे हैं, जिनमें सौ फीसदी तक पानी है। वहीं तबा और बरगी बांध 80 फीसदी तक ही भर पाए हैं। जबकि ओवरफ्लो होने से इन बांधों का प्रतिवर्ष गेट खोले जाते थे। कम वर्षा होने की वजह इस बार स्थिति यह है कि अब तक बांधों के गेट नहीं खुले हैं।  

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