![श्रीराम वन गमन मार्ग](https://www.bichhu.com/wp-content/uploads/2021/08/6-5.jpg)
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। चुनावी फायदों के लिए सरकारें हों या फिर राजनैतिक दल लोगों को लुभाने के लिए तमाम वायदे व घोषणाएं करने में पीछे नहीं रहते हैं, लेकिन जब उनके क्रियान्वयन की बात आती है तो उससे हाथ खींच लेती हैं। ऐसा ही कुछ मामला है मप्र में बनने वाले राम वन गमन पथ की। डेढ़ दशक बाद भी इस मार्ग को लेकर अब तक सिर्फ मौखिक व कागजी जमा खर्च करने का काम जारी है। हालत यह है कि अब तक यह भी तय नहीं हो पाया है कि इसके लिए राशि का इंतजाम कहां से होगा।
इस योजना के हाल यह तब हैं जबकि प्रदेश में 15 माह की कांग्रेस सरकार के कार्यकाल को छोड़ दिया जाए तो बाकी समय से न केवल भाजपा की ही सरकार है, बल्कि इसकी घोषणा करने वाले तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ही लगातार मुख्यमंत्री बने हुए हैं। इसके उलट पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ में इस परियोजना पर महज दो साल में ही काम शुरू कर दिया गया है। इसके बाद जब प्रदेश की इस मामले में बदनामी होना शुरू हुई तो अब जाकर इस पर काम शुरू करने की तैयारी शुरू की जा रही है।
इसके लिए हाल ही में संबंधित विभागों के आला अफसरों की बैठक की गई है, जिसमें मंथन के दौरान पूरा मामला एक बार राशि के इंतजाम पर आकर अटक गया। हालांकि इस दौरान आला अधिकारियों ने तय किया है कि इसके लिए अब एनएचएआई की मदद ली जाए। यह संस्था मदद देगी या नहीं यह तो अभी तय नहीं है, लेकिन यह जरूर तय हो गया है कि यह काम मप्र रोड डवलपमेंट द्वारा किया जाएगा। इसे नोडल एजेंसी बनाने का तय कर लिया गया है। इस बैठक में पर्यटन, अध्यात्म, लोकनिर्माण व पंचायत एवं ग्रामीण विकास आदि विभागों के आला अफसर शामिल हुए हैं। इस दौरान यह भी तय किया गया कि इसके निर्माण के लिए आर्किटेक्ट की मदद लेकर सही तरह से प्रस्ताव तैयार कराया जाए। जिसमें इसकी लागत राशि का भी उल्लेख किया जाए। फिलहाल इससे संबंधित प्रस्ताव को कैबिनेट बैठक में रखा जाएगा। अब तक की तैयारी के हिसाब से श्रीराम वन गमन पथ के तहत छह जिलों में चिन्हित 13 स्थलों के लिए 30 मार्गों का निर्मण किया जाना है। 140 किमी लंबाई वाले इन मार्गों के निर्माण पर 77.21 करोड़ रुपए खर्च का अनुमान लगाया गया है।
2007 में की गई थी घोषणा
तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अक्टूबर, 2007 में चित्रकूट में राम वन गमन पथ के निर्माण की घोषणा की थी। तब उनके द्वारा कहा गया था कि वनवास के समय राम, सीता और लक्ष्मण मप्र के जिन-जिन रास्तों से होकर निकले थे, उसे राम पथ के रुप में विकसित किया जाएगा। इन जगहों पर स्मृति संग्रहालय, रामलीला केंद्र, गुरुकुल आदि का निर्माण किया जाएगा।
इसके लिए राज्य सरकार ने राम वन पथ गमन मार्ग का पता लगाने के लिए 11 सदस्यीय समिति का गठन अवधेश प्रसाद पांडेय के नेतृत्व में किया था। इस समिति ने वर्ष 2010 में रिपोर्ट सरकार को सौंपी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने फिर इसी 15 अगस्त को चित्रकूट से अमरकंटक तक राम वन गमन पथ बनाने की घोषणा की है, जिसके द्वारा तीन सालों में इस पर शोधकर इसके विकास के लिए वर्ष 2011 में 33 करोड़ का प्रस्ताव तैयार कर सरकार को सौंप दिया गया था। इसके बाद से इस पर कोई काम ही नहीं हुआ। उस समय इस काम पर तीन करोड़ रुपए खर्च किए गए थे। दरअसल माना जाता है कि भगवान राम वनवास के दौरान चित्रकूट में रुकने के बाद सतना, पन्ना, शहडोल, जबलपुर, विदिशा के वन क्षेत्रों से होते हुए दंडकारण्य इलाके में चले गए थे।
पड़ावों का किया जाना है विकास
राम वनगमन पथ के विकास के लिए ट्रस्ट का गठन किया जा चुका है। इसके तहत चित्रकूट से अमरकंटक तक कुल 370 किमी मार्ग पर पड़ाव स्थलों का विकास कर जगह-जगह दोहों के साइनेज लगाए जाना हैं। इस पूरी परियोजना पर कुल 700 करोड़ रुपए खर्च की संभावना है। इसी तरह से नासिक में पंचवटी से 56 किमी दूर सर्वतीर्थ नामक स्थान को भी तीर्थ क्षेत्र के रूप में विकसित है। मंदिर और अवशेष संरक्षित हैं। यहां भी विकास कार्य कराया जाना प्रस्तावित है।
मध्यप्रदेश में प्रस्तावित पथ
चित्रकूट, कामतानाथ मंदिर, सती अनुसुईया, सलेहा मंदिर (पन्ना), बड़वारा (कटनी), रामघाट (जबलपुर), शहपुरा राम मंदिर, सीतामधि (शहडोल, अनुपपुर, अमरकंटक। मध्यप्रदेश में करीब 375 किमी का हाईवे प्रस्तावित है जो अयोध्या से चित्रकूट तक बनेगा।
कांग्रेस भी अपना वादा पूरा नहीं कर पाई
कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव-2018 के वचन पत्र में श्रीराम वन गमन पथ निर्माण का वादा किया था। कांग्रेस नेता राहुल गांधी को चित्रकूट लाकर इसे मुद्दा बनाया गया। सत्ता में आने के बाद कमलनाथ सरकार ने वर्ष 2019 में वन गमन पथ के लिए बजट में 22 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया था। सरकार ने इसका निर्माण कार्य दो चरणों में पूरा किए जाने की योजना बनाई थी। पहले सरकार ने पीपीपी मोड पर श्री राम वन गमन पथ के निर्माण की तैयारी की थी, लेकिन बाद तय किया गया कि सरकार खुद ही इसका निर्माण करेगी। इसके निर्माण पर करीब 600 रुपए खर्च होना थे। धर्मस्व विभाग ने इसके लिए प्रोजेक्ट तैयार किया था। इसके अनुसार राम वन पथ गमन की लंबाई करीब 350 किलोमीटर है। यह पथ चित्रकूट से शुरू होकर अमरकंटक तक बनाया जाना प्रस्तावित है। इससे पहले कि पथ का निर्माण कार्य शुरू हो पाता, कांग्रेस सरकार गिर गई।