भास्कर छापे: आखिर एक साल के बच्चे के नाम कैसे हुई संस्कार वैली की चरनोई की भूमि

संस्कार वैली

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। जिसका जितना रसूख उसे उतना ही कानून और नियम तोड़ने का अधिकार मिल जाता है। यह हम नहीं कह रहे हैं बल्कि यह खुलासा खुद हो रहा है आयकर विभाग द्वारा की जा रही भास्कर ग्रुप पर छापेमारी में । इस दौरान बरामद दस्तावेजों से पता चला है कि जो जमीन इस ग्रुप द्वारा संस्कार वैली स्कूल के लिए खरीदी गई है, वह वास्तव में चरनोई की भूमि है और उसे जिस व्यक्ति से खरीदा गया है , उसने इसे एक साल की उम्र में ही खरीद लिया था। इस आश्चर्यजनक खुलासे से सभी हतप्रभ हैं। दस्तावेजी सबूतों के अनुसार संस्कार वैली स्कूल का संचालन करने वाली शारदा देवी चैरिटेबल ट्रस्ट ने 15 जुलाई 2004 को नजम नामक व्यक्ति से 37.13 एकड़ भूमि रजिस्ट्री के माध्यम से खरीदी थी। यह जमीन 1935-36 के रिकार्ड में ग्राम चंदनपुरा की चरनोई भूमि के रुप में सरकारी रिकार्ड में दर्ज थी।
नियमानुसार चरनोई की भूमि किसी भी व्यक्ति के नाम न तो दर्ज हो सकती है और न ही उसकी किसी को रजिस्ट्री हो सकती है। इसके बाद अचानक यह जमीन 1955-56 में नजम पुत्र मूसा अली के नाम पर दर्ज हो गई। जब यह जमीन नजम के नाम पर दर्ज होना बताया गया है उस समय उसकी उम्र महज एक साल ही थी। इससे सवाल यह खड़ा हो रहा कि किसी एक साल के बच्चे के नाम पर कोई रजिस्ट्री कैसे हो सकती है। दूसरा खुलासा यह हुआ है कि अपने रसूख के दम पर इसी ग्रुप ने बीते डेढ़ दशक में बाघ भ्रमण क्षेत्र चंदनपुरा का 35 एकड़ से अधिक जंगल ही साफ कर डाला है।
हद तो यह हो गई अब इस इलाके में इस ग्रुप द्वारा इसी जमीन पर न केवल फार्म हाउस बनाए जा रहे हैं, बल्कि जंगल के इस बाघों के घर में बगैर कोई अनुमति लिए ही पक्की सड़क तक का निर्माण कार्य तेजी से कराया जा रहा है। इस वजह से न केवल बाघों पर खतरा पैदा होने लगा है, बल्कि बड़ा पर्यावर्णीय खतरा भी पैदा हो गया है। दरअसल इस ग्रुप द्वारा बगैर कोई अनुमति लिए ही संस्कार वैली स्कूल से लगे 35 एकड़ के जंगल को समतल कर फार्म हाउस बनाने शुरू कर दिए गए हैं। इस इलाके में क्या किया जा रहा है, किसी को पता नहीं चले इसके लिए बकायदा यहां पर ग्रुप द्वारा एक बैरियर लगाकर आम आदमी का जाना ही नहीं बल्कि झांकना तक बंद कर दिया गया है। इसके लिए बाकायदा वहां पर गार्ड भी तैनात कर दिए गए हैं। इसकी वजह से किसी को यह पता ही नहीं चल सकता है कि पीछे कितनी और जंगल की जमीन को कब्जाया गया है। इसमें खास बात यह है कि सड़क का निर्माण भी ऐसी जगह से किया जा रहा है जहां से नाला निकलता है। कहा तो यह भी जा रहा है कि इस जगह से सड़क निर्माण करने की वजह है आगे जाकर इस प्राकृतिक नाले पर भी कब्जा करने की योजना है। दरअसल इस ग्रुप का यह स्कूल जंगल के मध्य बना हुआ है। इसके निर्माण में भी जमकर नियम कानूनों की धज्जियां उड़ाई गई हैं। इस स्कूल के निर्माण के लिए वन महकमे ने महज 2 एकड़ (0.80 हेक्टेयर) की मंजूरी प्रदान की थी, लेकिन इसके कर्ताधर्ताओं ने इससे 32 एकड़ अधिक में निर्माण कर डाला। खास बात यह है कि इनके रसूख के आगे न तो सरकार ने ही कोई कार्रवाई की और न ही वन अमले ने कोई कदम उठाया।
करीब छह साल पहले इस मामले की शिकायत एक सोशल एक्टिविस्ट राशिद नूर खान ने 2014 में एनजीटी में की थी, जिसमें कहा गया था कि केरवा, कलियासोत डैम और उसके आसपास के जंगल में संस्कार वैली स्कूल सहित अन्य स्थाई निर्माण किए जाने से वन्यजीवों के लिए खतरा पैदा हो चुका है। इस मामले में सुनवाई के बाद एनजीटी की सेंट्रल बेंच ने अप्रैल 2017 में कलेक्टर व वन विभाग को इसकी जांच रिपोर्ट तैयार कर पेश करने को कहा था, जिसके बाद पेश की गई रिपोर्ट में बताया गया था कि 2 एकड़ की जगह 35 एकड़ में निर्माण किया गया है।
बदले में थमा दी वन विभाग को विवादित जमीन
2004 में चंदनपुरा में हरियाली उजाड़ कर जिस संस्कार वैली स्कूल को बनाया गया है। उसके बदले में फॉरेस्ट कंजर्वेशन एक्ट 1980 के तहत स्कूल का संचालन करने वाले भास्कर ग्रुप के शारदा देवी चैरिटेबल ट्रस्ट ने वन विभाग को एक ऐसी चार एकड़ भूमि थमा दी जो पहले से ही विवादास्पद थी। यह जमीन समसगढ़ जैन मंदिर के पास खसरा नंबर 312 एवं 313 की है। नियमानुसार इस जमीन पर जंगल खड़ा करना था , लेकिन विवादास्पद होने की वजह से यहां जंगल को तैयार करना तो दूर उसका सीमांकन तक नहीं हो पा रहा है। इसमें खास बात यह है कि जिम्मेदार अफसर भी जानते थे कि यह जमीन विवादास्पद है फिर भी यह जमीन बदले में ले ली गई।
ट्रस्ट रजिस्ट्रेशन में भी नहीं दी जानकारी
भास्कर ग्रुप के स्वर्गीय रमेश चंद्र अग्रवाल ने इस जमीन को खरीदने के बाद दो ट्रस्टों का पंजीयन कराया था, जिसमें 17 दिसंबर 2004 को शारदा देवी चैरिटेबल ट्रस्ट का और  10 मार्च 2007 को दूसरा ट्रस्ट कस्तूरी देवी के नाम पर रजिस्टर्ड कराया था। इन ट्रस्टों के रजिस्ट्रेशन के समय 66.68 लाख रुपए की भूमि संपत्ति की जानकारी ही नहीं दी गई। खास बात यह है कि इन में शारदा देवी चैरिटेबल ट्रस्ट की मुख्य ट्रस्टी ज्योति अग्रवाल है जो संस्कार वैली स्कूल संचालक भी है।

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