भोपाल/राजीव चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। मध्य प्रदेश में भले ही मानसून एक पखवाड़े पहले आमद दे चुका है, लेकिन अब भी प्रदेश में बांधो में महज उनकी क्षमता का 40 फीसद पानी का ही भंडारण बना हुआ है। प्रदेश में अब तक औसतन 300 मिलीमीटर बारिश हुई है। जो कि हर साल होने वाली कुल औसत बारिश का करीब 25 प्रतिशत है।
सिंचाई विभाग के आंकड़ों के मुताबिक फिलहाल प्रदेश के 28 प्रमुख बड़े जलाशयों को अभी अपनी भंडारण क्षमता के 60 फीसद पानी की जरुरत है। विभाग के मुताबिक अब तक प्रदेश में आधा दर्जन जलाशय ही ऐसे हैं जिनमें 40 से लेकर 55 फीसदी तक पानी का भंडारण हो चुका है।
यह बात अलग है कि अब करीब दस दिन के इंतजार के बाद एक बार फिर बारिश ने रफ्तार पकड़ी है, जिससे अनुमान लगाया जा रहा है कि आगे भी इसी तरह का दौर जारी रहा तो बांधों के खाली पेट भर जाएंगे। अगर मानसून ने आगे बेरुखी दिखाई तो बांध भरने में दिक्कत होने से रवि सीजन में सिंचाई के लिए बड़ी समस्या खड़ी हो जाएगी। फिलहाल बारिश का तीन माह का समय अभी बचा हुआ है। मौसम विभाग का भी मानना है कि फिलहाल मानसून की बेरुखी की कोई संभावना नहीं है। प्रदेश में पिछले मानसून में कुछ जिलों को छोड़ दिया जाए तो शेष में अच्छी बारिश हुई थी, जिसकी वजह से अधिकांश बड़े जलाशय पूरी तरह से भर गए थे। कुछ जलाशय जरुर ऐसे रहे थे, जिनके पेट खाली रह गए थे। इस मानसून में उम्मीद की जा रही है कि इन जलाशयों में पानी की कमी नहीं रहेगी। यह बात अलग है कि बीते कुछ सालों से आसमानी बारिश का दौर जारी है, जिसकी वजह से अनुमान लगाना कठिन है।
सिंचाई के लिए लगातार बढ़ रही जरुरत
मध्यप्रदेश में जिस तरह से हर साल सिंचाई के रकबे में वृद्धि हो रही है और नया लक्ष्य तय किया जा रहा है उसकी वजह से सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी का भंडारण होना बहुत जरूरी है। अभी यह हालात है कि कुछ जलाशयों को छोड़ दिया जाए तो शेष जलाशयों में असामान्य रुप से पानी की कमी बनी हुई है। ऐसे में बारिश का पर्याप्त पानी इन जलाशयों में पहुंचे इसके लिए भी जल संसाधन विभाग को मैकेनिकजिम बनाना होगा। केचमेंट एरिया का दायरा वृद्धि के लिए भी योजना बनानी होगी। यदि ऐसा नहीं किया गया तो जलाशयों के पेट खली रह जाएंगे और इससे सिंचाई समेत पेयजल तक की समस्या खड़ी ही रह जाएगी।
26/07/2021
0
375
Less than a minute
You can share this post!