भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। सोशल मीडिया का उपयोग राजनीति में लाने का श्रेय भले ही भाजपा को जाता हो, लेकिन मप्र में भाजपा के ही सांसद इससे शायद इत्तेफाक नहीं रखते हैं। यही वजह है कि प्रदेश के आधा दर्जन लोकसभा सांसद ऐसे हैं कि उनके अब तक ट्विटर अकाउंट तक वेरिफाइड नहीं हैं। इसके अलावा 16 सांसद ऐसे हैं, जिनके फॉलोअर्स की संख्या महज हजारों में हैं। इसके बाद भी आभासी दुनिया में प्रदेश के तीन सांसद ऐसे हैं जो अत्याधिक सक्रिय रहते हैं। इनमें श्रीमंत, धर्मेन्द्र प्रधान और नरेन्द्र सिंह तोमर शामिल हैं। इनके फॉलोअर्स की संख्या भी लाखों में हैं। अभासी दुनिया के मामले में जो कम सक्रिय हैं उनमें वे सांसद भी शामिल हैं जो लगातार विभिन्न पदों पर निर्वाचित होते आ रहे हैं। दरअसल मौजूदा समय में आमजन से सीधे संपर्क के लिए सोशल मीडिया इस समय सबसे बड़ा प्लेटफार्म माना जाता है। यही वजह है कि इस मामले में चार साल पहले अमित शाह ने इसके उपयोग की सलाह दी थी, जबकि उसके बाद प्रदेश प्रभारी पी मुरलीधर राव भी इसके उपयोग को अधिकाधिक करने के लिए भी प्रयास कर रहे हैं। प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों में से 27 पर फिलहाल भाजपा के सांसद हैं। इनमें से महज पांच सांसद ही ऐसे हैं, जिनके फॉलोअर्स की संख्या लाखों तक पहुंच सकी है। सोशल मीडिया के मामले में प्रदेश के कोटे से राज्यसभा सदस्य बनने वाले दो सांसद सबसे बेहतर स्थिति में हैं। इनमें श्रीमंत के फॉलोअर्स की संख्या सर्वाधिक 40 लाख और उसके बाद धर्मेन्द्र प्रधान का नंबर आता है जिनके फॉलोअर्स 14 लाख हैं। इसी तरह से अगर प्रदेश के लोकसभा सदस्यों की बात की जाए तो इस मामले में नरेन्द्र सिंह तोमर, प्रहलाद पटेल, प्रज्ञा सिंह ठाकुर, वीडी शर्मा और राकेश सिंह ही ऐसे हैं, जिनके फॉलोअर्स दो से छह लाख तक क्रमश: हैं। जिन सोलह सांसदों के फॉलोअर हजारों में हैं उनमें से कई तो ऐसे हैं जिनका आंकड़ा पांच हजार तक नहीं पहुंच पाया है। दरअसल यह वे सांसद हैं जो सोशल मीडिया पर लगभग निष्क्रिय रहते हैं, जिसकी वजह से उनके फॉलोअर्स भी नहीं बढ़ पा रहे हैं। दरअसल यह वो माध्यम है, जिससे सांसद आम आदमी से हर समय न केवल जुड़ा रह सकता है, बल्कि उसके हर सुख- दुख का भी पता कर सकता है। यही नहीं इसके अधिकतम उपयोग से आम आदमी को जनप्रतिनिधियों की तलाश में भटकने से तो मुक्ति मिलती ही है साथ ही अपनी समस्या तुरंत उन तक पहुंचाने की भी सुविधा मिल जाती है। यही नहीं इसके उपयोग से जनप्रतिनिधियों को अपने स्टॉफ के भरोसे जानकारी के लिए नहीं रहना पड़ता है। दरअसल एक लोकसभा क्षेत्र के तहत छह से सात विधानसभा की सीटें आती हैं। इस वजह से सांसदों पर अपने विधानसभा क्षेत्रों के लोगों से जुड़ाव की बड़ी जिम्मेदारी रहती है। ऐसे में खासतौर पर उन सांसदों का दायित्व अधिक बढ़ जाता है, जिनके क्षेत्र के तहत आने वाली विधानसभा सीटों पर विपक्ष के विधायक हैं।
यह हैं सांसदों के हाल
भाजपा के जिन आधा दर्जन सांसदों के ट्विटर पर वेरिफाइड हैंडल नहीं हैं, उनमें विदिशा सांसद रमाकांत भार्गव, बालाघाट सांसद डॉ. ढाल सिंह बिसेन, रतलाम सांसद गुमान सिंह डामोर, धार सांसद छतर सिंह दरबार, सागर सांसद राजबहादुर सिंह और बैतूल सांसद दुर्गादास उइके शामिल हैं। यही वजह है कि इनके फॉलोअर्स की संख्या महज दो तीन हजार तक ही सीमित बनी हुई है। इसी तरह से अन्य सांसदों की सक्रियता देखें तों नरेंद्र सिंह तोमर मुरैना छह लाख 14 हजार, प्रहलाद सिंह पटेल दमोह तीन लाख 36 हजार, प्रज्ञा सिंह ठाकुर सांसद भोपाल दो लाख 14 हजार, वीडी शर्मा सांसद खजुराहो दो लाख 11 हजार, राकेश सिंह सांसद जबलपुर दो लाख नौ हजार, रीति पाठक सांसद सीधी 66 हजार 700, शंकर लालवानी सांसद इंदौर 46 हजार, गणेश सिंह सांसद सतना 45 हजार, जनार्दन मिश्रा सांसद रीवा 30 हजार, फग्गन सिंह कुलस्ते सांसद मंडला 28 हजार, सुधीर गुप्ता सांसद मंदसौर 18 हजार 200, डॉ. कृष्णपाल सिंह यादव सांसद गुना 12 हजार, डॉ.वीरेंद्र कुमार सांसद टीकमगढ़ 11 हजार 800,अनिल फिरोजिया सांसद उज्जैन 10हजार 5 सौ , महेंद्र सिंह सोलंकी सांसद देवास 8276, रोडमल नागर सांसद राजगढ़ 6118, गजेंद्र सिंह पटेल सांसद खरगोन 5681,उदय प्रताप सिंह सांसद होशंगाबाद 5339, हिमाद्री सिंह सांसद शहडोल 3588, संध्या राय सांसद भिंड 3225, विवेक नारायण शेजवलकर सांसद ग्वालियर 2907 का नंबर आता है।
पार्टी के दिग्गज सभी नेता करते हैं उपयोग
भाजपा के सभी बड़े नेता इसका उपयोग करते हैं। इनमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, अमित शाह, जेपी नड्डा से लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तक शामिल हैं। यही वजह है कि उन्हें देश विदेश की सभी बड़ी घटनाक्रमों की जानकरी न केवल तुरंत मिल जाती है, बल्कि उस पर तत्काल प्रतिक्रिया या फिर उठाए जा रहे कदमों की भी जानकारी तुरंत प्रदान कर दी जाती है। यह वे नेता है जो निजी स्टॉफ के भरोसे जानकारी हासिल करने के लिए नहीं रहते हैं।
सियासत पर असर
प्रदेश के 28 में से 27 सांसद भाजपा से हैं, जबकि एकमात्र कांग्रेस सांसद छिंदवाड़ा से नकुल नाथ हैं। विधानसभा में दोनों पार्टियों के विधायकों का अनुपात लगभग बराबरी का है। एक संसदीय क्षेत्र में औसतन छह से सात विधानसभा सीटें आती हैं। ऐसे में समझा जा सकता है कि भाजपा सांसदों पर उन विधानसभा क्षेत्रों में अपने मतदाताओं से सीधे संपर्क का जिम्मा और बढ़ जाता है जहां पर भाजपा के विधायक नहीं हैं।
24/07/2021
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