भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में एक लोकसभा व तीन विधानसभा सीटों के उपचुनाव को लेकर इन दिनों भाजपा व कांग्रेस में हलचल तेज हो चुकी है। प्रत्याशी चयन को लेकर जहां भाजपा में दावेदारों की अधिक संख्या होने की वजह से सिर फुटोव्वल की स्थिति बनी हुई है, तो वहीं कांग्रेस में प्रत्याशी चयन के लिए सर्वे का काम जारी है। खास बात यह है कि कांग्रेस उपचुनाव तैयारी को लेकर संगठन स्तर पर फिलहाल आगे चल रही है। फिलहाल दोनों ही प्रमुख दलों में चिंतन और मनन का दौर चल रहा है। दरअसल जिन चार जगहों पर उपचुनाव होने हैं उनमें से एक लोकसभा व एक विधानसभा सीट भाजपा तो दो विधानसभा सीटें कांग्रेस नेताओं की मौत की वजह से रिक्त हुई हैं। दोनों ही दल यह चारों उपचुनाव जीत कर अपना दबदबा कायम करना चाहते हैं। कांग्रेस वैसे भी दमोह विधानसभा सीट का उपचुनाव जीतकर इन दिनों उत्साह से लबरेज दिख रही है, तो वहीं भाजपा इस हार के बाद से बेहद सावधानी बरत रही है। यही वजह है कि भाजपा चारों सीटों पर कोई भी खतरा उठाने को तैयार नहीं है।
भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती जिताऊ उम्मीदवारों की तलाश बनी हुई है। अगर बात खंडवा लोकसभा सीट की करें तो इस सीट पर कांग्रेस की ओर से पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरुण यादव का नाम कांग्रेस से लगभग तय ही है, लेकिन भाजपा अभी असमंजस में बनी हुई है। इसकी वजह है इस सीट पर स्व नदंकुमार सिंह के पुत्र हर्ष चौहान, पूर्व मंत्री और बीता विधानसभा चुनाव हार चुकी अर्चना चिटनिस के साथ ही संघ प्रचारक से भाजपा में आए कुष्ण मुरारी मोघे की दावेदारी। यह बात अलग है कि अब मोघे आयु और क्षेत्रीय होने के नाते दावेदारी में फिट नहीं बैठते हैं , लेकिन संघ में उनके संबंध और संपर्क उनकी राह खोल सकते हैं। यह बात अलग है कि वे इस सीट से दो बार चुनाव लड़कर एक बार जीत चुके हैं तो एक बार हार चुके हैं। इसके बाद इंदौर नगर निगम में महापौर और फिर हाऊसिंग बोर्ड में अध्यक्ष रह चुके हैं। इसी तरह से भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती बुंदेलखंड अंचल की पृथ्वीपुर सीट भी बनी हुई है। यह प्रदेश की वो सीट है जहां पर बीते आम विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी महज दस हजार मतों तक ही सिमट चुका है। यह प्रदेश में भाजपा प्रत्याशी को मिलने वाला सबसे कम मत हैं। दरअसल यहां पर भाजपा ने अपने जिलाध्यक्ष अभय प्रताप सिंह यादव को मैदान में उतारा था। वे पूर्व मंत्री अखंड प्रताप सिंह के पुत्र हैं। यही वजह है कि उन पर संगठन की लगातार मेहरबानी से कार्यकर्ता और स्थानीय नेता बेहद नाराज बने हुए थे। दरअसल वे इलाके के ऐसे नेता है जिन्हें पहले जिलाध्यक्ष, फिर पार्टी प्रत्याशी और अब प्रदेश कार्यसमिति में शामिल किया गया है। इसके बाद भी वे आमजन तो ठीक अपने ही समाज में पकड़ बनाने में नाकाम रहे हैं। इस सीट पर अब जिताऊ प्रत्याशी के लिए भाजपा को एक सपा नेता से सम्पर्क करना पड़ रहा है। सपा प्रत्याशी के रुप में शिशुपाल सिंह ने तब तत्कालीन कांग्रेस प्रत्याशी बृजेन्द्र सिंह राठौर को कड़ी टक्कर दी थी।
इसके अलावा भाजपा की ओर से पूर्व राज्यपाल रामनरेश यादव की बहू रोशनी यादव के नाम पर भी गंभीरता से विचार किया जा रहा है। इस सीट पर कांग्रेस स्व राठौर के पुत्र नितेन्द्र का नाम तय कर चुकी है। यही वजह है कि नितेन्द्र इन दिनों लगातार क्षेत्र में सक्रिय बने हुए हैं। भाजपा के साथ लगभग यही हालात जोबट विधानसभा सीट पर बने हुए हैं। यहां पर भाजपा जिताऊ चेहरे की तलाश में जुटी हुई है। इस सीट पर वैसे तो चार दावेदार हैं, लेकिन भाजपा इन चारों को जीत के हिसाब से तोल रही है। दावेदारों में बीता चुनाव हारने वाले माधौ सिंह डाबर, पूर्व विधायक नागर सिंह चौहान, इंदर सिंह और भदु पचाया के नाम हैं। यहां पर कांग्रेस में भी यही स्थिति है।
कांग्रेस की ओर से विक्रांत भूरिया के अलावा पूर्व मंत्री सुलोचना रावत और जिलाध्यक्ष महेश पटेल दावेदारी पेश कर रहे हैं। विक्रांत बीता चुनाव झाबुआ से हार चुके हैं। उपचुनाव वाली तीसरी सीट रैगांव भाजपा व कांग्रेस दोनों के लिए ही प्रत्याशी चयन के लिए मुश्किल भरी बनी हुई है। इस सीट पर दोनों ही दलों की ओर से कई-कई दावेदार सामने आ रहे हैं। भाजपा से टिकट के लिए जुगल किशोर बागरी के दोनों बेटे दावेदारी कर रहे हैं तो वहीं कांग्रेस में बीता चुनाव हार चुकी कल्पना वर्मा के अलावा बीएसपी की पूर्व विधायक उषा चौधरी, गया बागरी और मालती भगत टिकट की दावेदारी कर रही हैं।
भाजपा में रायशुमारी से होगा पैनल तैयार
भाजपा के रणनीतिकारों ने आम विधानसभा चुनावों की ही तरह इस बार उपचुनावों के लिए नेताओं को भेजकर रायशुमारी कराने का फैसला किया है। यह नेता भोपाल से अलग-अलग इलाकों में भेजे जाएंगे। इसके अलावा पार्टी द्वारा सर्वे का भी सहारा लिया जाएगा। इस रायशुमारी और सर्वे में जो नाम संयुक्त रूप से सामने आएंगे , उन्हें पैनल में शामिल किया जाएगा। इसके बाद इन नामों पर संगठन पर मंथन करने के बाद उन्हें प्रदेश चुनाव समिति के सामने पेश किया जाएगा जिसके बाद ही नामों का चयन किया जाएगा।
कांग्रेस ने सौंपे प्रभार
कांग्रेस इस बार उपचुनाव में जीत के लिए दोहरे स्तर पर तैयारी कर रही है। इसमें प्रत्याशी चयन तो जल्दी करना शामिल है ही , साथ ही संगठन को मजबूत करने पर भी जोर दे रही है। दमोह की ही तरह कांग्रेस ने अभी से उपचुनाव वाली सीटों पर बतौर प्रभारी नेताओं को जिम्मेदारी दे दी है। इनमें विधायकों के अलावा महिलाओं को रिझाने के लिए महिला कांग्रेस की नेत्रियों को भी जिम्मेदारी दी गई है। इसी तरह से तैयार किए गए फार्मूला के तहत युवा कांग्रेस , भाराछासं, महिला कांग्रेस और कांग्रेस आईटी सेल के एक-एक नेता को भी संबंधित इलाकों में तैनात किया जा रहा है।
कांग्रेस में जारी है सर्वे
दमोह विधानसभा उपचुनाव में मिली शानदार जीत से उत्साहित कांग्रेस इन उपचुनावों में भी उसी परिणाम को दोहराने की इच्छा रखती है। यही वजह है कि उसके द्वारा सभी सीटों पर प्रत्याशी घोषित करने से पहले सर्वे का काम शुरू करा दिया गया है। जिसकी रिपोर्ट मिलने के बाद ही प्रत्याशियों के नामों की घोषणा करने की योजना है। कांग्रेस ने आम विधानसभा चुनाव के पहले भी विधानसभा प्रत्याशियों के चयन के लिए सर्वे कराया था। इसके बाद भी कुछ ऐसे लोगों को टिकट दे दिए गए थे जिनके नाम सर्वे में शामिल ही नहीं थे।
23/07/2021
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