
भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में एक तरफ जेलों में उनकी क्षमता से बेहद अधिक कैदी रह रहे हैं, लेकिन वहीं जेलें सुरक्षा अमले की कमी से जूझ रही हैं। हालात यह है कि सुरक्षा और अन्य तरह की व्यवस्थाओं से जुड़े जेल विभाग के पास कई महत्वपूर्ण पद रिक्त बने हुए हैं। इनमें डीआईजी से लेकर मुख्य प्रहरी तक के पद शामिल हैं। इसकी वजह से प्रदेश की जेलों की सुरक्षा ही खतरे में नजर आ रही है। दरअसल प्रदेश में 132 जेलों का जिम्मा सिर्फ तीन मुख्य प्रहरियों के भरोसे है। इसी तरह से केन्द्रीय जेल अधीक्षकों से लेकर जिला अधीक्षक के ऐसे पद हैं जो स्वीकृत की तुलना में आधे रिक्त पड़े हुए हैं। इसकी वजह से कई जेलों में प्रभारियों के भरोसे काम चलाना पड़ रहा है। इतनी बड़ी संख्या में मुक्त पद रिक्त रहने के बाद भी विभाग इन पदों को भरने में रुचि नहीं दिखा रहा है। विभाग में फिलहाल कुल 6118 पद स्वीकृत हैं, जिनमें से 5158 पद भरे हुए हैं। इस तरह से वर्तमान में 960 पद रिक्त चल रहे हैं। इनमें सबसे खराब हालात मुख्य प्रहरियों के पदों की है। विभाग में इसके 185 पद स्वीकृत हैं, जिसमें से महज तीन पद ही भरे हुए हैं। यही नहीं विभाग में हर साल सेवानिवृत्त हो रहे कर्मचारियों की वजह से अमला लगातार कम होता जा रहा है, लेकिन पद भरने की कवायद ही नहीं की जा रही है। अगर एनसीआरबी के ही दो साल पुराने वर्ष 2019 के आंकड़ों को देखें तो देश में मौजूद 1350 जेलों में चार लाख तीन हजार कैदियों को रखने की क्षमता है, लेकिन उनमें करीब 75 हजार अधिक कैदी रह रहे थे। इनमें 617 उप जेलें, 410 जिला जेल, 144 केन्द्रीय जेल 86 खुली जेल, 41 विशेष जेल, 31 महिला जेल और दो अन्य जेलें भी शामिल हैं। अगर प्रदेश की बात की जाए तो मौजूदा 132 जेलों में इस समय करीब 50 हजार कैदी हैं।, जबकि उनकी सुरक्षा के लिए महज पांच हजार एक सौ अन्ठावन कर्मचारी ही हैं। इनमें वे अधिकारी भी शामिल हैं जो प्रशासनिक कामकाज देखते हैं। यही नहीं इन जेलों की कुल क्षमता 29 हजार कैदियों को ही रखने की है। इससे यह स्पष्ट है कि प्रदेश की जेलों में क्षमता से लगभग दोगुने कैदी हैं।
इन पदों पर भारी कमी
विभाग में पदोन्नति न होने की वजह से प्रमुख प्रहरी(एएसआई) मुख्य प्रहरी यानि की हवलदार के ही करीब पांच सैकड़ा से अधिक पद रिक्त चल रहे हैं। इसी तरह से विभाग में सुरक्षा का प्रमुख रुप से काम संभालने वाले प्रहरी के पद भी रिक्त चल रहे हैं। इन रिक्त पदों की संख्या करीब 282 है। खास बात यह है कि विभाग में ऐसा कोई पद नहीं है, जो पूरी तरह से भरे हों। इनमें एडीजी से लेकर डीआईजी, केन्द्रीय अधीक्षक, जिला अधीक्षक और उप अधीक्षक तक के पद हैं। खास बात यह है कि विभाग के बड़े अफसरों तक के पदों को भी भरने में सरकार व विभाग की भी कोई रुचि नहीं दिख रही है।
नहीं हो रही पदोन्नति
विभाग में कर्मचारियों की भर्ती कम होने के अलावा बीते पांच सालों से पदोन्नति न होने की वजह से कई पदों पर कमी बनी हुई है। इसकी वजह से ही मुख्य प्रहरी, के अलावा कई सुरक्षा में मुख्य भूमिका निभाने वाले पदों पर कमी बनी हुई है। इनके अलावा विभाग में डॉक्टर, कंपाउंडर, नर्स, लिपिक, स्टेनोग्राफर से लेकर भृत्य तक के पद रिक्त बने हुए हैं।