
-बैंकों द्वारा किसानों के खाते से काटी गई प्रीमियम के एवज में फसल क्षति की बीमित राशि लौटाई जानी है…
भोपाल/राजीव चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र की शिव सरकार के प्रयासों से अब एक बार फिर प्रदेश के किसानों को बड़ी राहत मिलने वाली है। यह राहत उन्हें दो साल पहले लगी बीमा प्रीमियम की चपत से राहत के रुप में मिलेगी। इसकी वजह है सरकार द्वारा किए जा रहे लगातार प्रयासों की वजह से अब बैंकों को उनके खाते से काटी गई प्रीमियम के एवज में फसल क्षति की बीमित राशि लौटाई जाना है। तीन सौ करोड़ की यह राशि उन दो लाख से अधिक किसानों को मिलेगी, जिनके खातों से बैंकों द्वारा राशि तो काट ली गई थी, लेकिन उसका भुगतान बीमा कंपनी को नहीं किया था, जिसकी वजह से उन्हें फसल बीमा का लाभ नहीं मिल सका था। बैंकों की इस लापरवाही की वजह से किसानों को दोगुना नुकसान उठाना पड़ा था। किसानों को यह राशि वापस दिलाने के लिए सरकार द्वारा लगातार प्रयास किए जा रहे थे। इन प्रयासों को अब जाकर सफलता मिलने वाली है। दरअसल मप्र सरकार द्वारा किए जाने वाले प्रयासों की वजह से ही किसानों के नाम दर्ज करने वाले पोर्टल को करीब तीन माह पहले दस दिन के लिए माह मार्च में खोला गया था। इस अवधि में प्रदेश के करीब 2 लाख 161 किसानों ने आवेदन देकर अपना पंजीयन कराया था , जिनमें से 2 लाख 15 हजार 627 किसानों को बीमित राशि मिलना सुनिश्चित हो गया है, जबकि शेष करीब 86 हजार लंबित मामलों की जिम्मेदारी तय करने का काम भी शुरू कर दिया गया है। इसके साथ ही कलेक्टरों से कहा गया है कि किसानों को फसल बीमा का लाभ बैंकों की बड़ी लापरवाही की वजह से नहीं मिला है, अत: प्रीमियम की राशि काटकर बीमा कंपनी को भुगतान न करने वाले बैंकों से किसानों को राशि दिलाई जाए। गौरतलब है कि दो साल पहले 2019 में अधिक बारिश की वजह से किसानों की फसल को भारी नुकसान हुआ था। इसके बाद फसल बीमा का लाभ दिलाने के लिए जब मप्र सरकार सक्रिय हुई तो पता चला कि किसानों की जानकारी पोर्टल पर दर्ज ही नहीं की गई है। इस मामले में जब पड़ताल की गई तो पता चला कि बैंकों ने किसानों के खातों से बीमा प्रीमियम की राशि तो काट ली, लेकिन उसे बीमा कंपनी को भुगतान ही नहीं किया, जिसकी वजह से उन्हें बीमा का लाभ नहीं मिल सकता है। इसका लाभ दिलाने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा तमाम तरह के प्रयास किए गए जिसकी वजह से 24 लाख 56 हजार 922 किसानों को 5562 करोड़ रुपए का भुगतान हो सका।
इसके बाद शेष रह गए किसानों के लिए प्रयास किए जा रहे थे, जिसका फायदा अब होने जा रहा है। उल्लेखनीय है कि इसके पहले मप्र की शिव सरकार द्वारा प्रदेश के छोटे किसानों के लिए फसल बीमा की प्रीमियम राशि अपने खजाने से भरने की घोषणा की जा चुकी है। योजना के तहत छोटी जोत (5 एकड़ तक) के किसानों के फसल बीमा का प्रीमियम सरकार अपनी ओर से जमा करेगी। दरअसल अभी तक देखने में आ रहा है कि छोटे किसान आय कम होने की वजह से बीमा की राशि जमा नहीं कर पाते हैं, जिसकी वजह से उन्हें फसल क्षति पर बीमा कंपनी से मुआवजा नहीं मिल पाता है। यह जानकारी कुछ दिनों पहले ही मुख्यमंत्री के संज्ञान में तब आयी थी, जब उनके द्वारा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए समीक्षा की गई थी। इसके बाद से ही सरकार ने यह कदम उठाने की तैयारी शुरू कर दी थी।
आधा दर्जन कंपनियां करती हैं फसल बीमा
मध्यप्रदेश में फसल बीमा का काम आधा दर्जन कंपनियां करती हैं। इनमें इफको टोकियो, एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी, बजाज एलाइंस, रिलायंस, न्यू इंडिया इंश्योरेंस और ओरिएटंल इंश्योरेंस कंपनी शामिल है। इन कंपनियों को फसल बीमा के प्रीमियम के रुप में 5562 करोड़ रुपए से अधिक का भुगतान किया गया है। इसमें ओरिएंटल की भागीदारी महज नाम के लिए ही है।