महामारी में नंबर 1 सीएम बने शिवराज

  • मप्र के मुख्यमंत्री की लोकप्रियता का बढ़ा ग्राफ
 शिवराज सिंह चौहान

कोरोना संक्रमण की कंट्रोल करने और आपदा को अवसर बनाने के मामले में मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान देश में नंबर वन हैं। विभिन्न न्यूज एजेंसियों, वेबसाइटों, स्वयंसेवी संगठनों की सर्वे रिपोट्र्स में यह तथ्य सामने आया है। देश की जनता ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को दूसरा स्थान और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को तीसरे स्थान पर रखा है।

विनोद कुमार उपाध्याय/भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। कोरोना संक्रमण की पहली और दूसरी लहर में अब तक देशभर में 3.51 लाख लोग मौत के गाल में समा गए हैं। वहीं करोड़ों लोग बेरोजगार हो गए हैं। ऐसी स्थिति में मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी सरकार ने कोरोना संक्रमण पर कंट्रोल करने और आपदा को अवसर बनाकर लोगों को रोजगार मुहैया कराने में उल्लेखनीय कार्य किया है। इसलिए संकटकाल में शिवराज संकटमोचक बनकर उभरे हैं। मप्र की जनता के साथ ही देशभर के लोगों में मप्र के मुख्यमंत्री और उनकी सरकार का लोहा माना है।
देश के साथ-साथ राज्य की सरकारों के कामकाज को जानने और समझने के लिए विभिन्न न्यूज एजेंसियों, वेबसाइटों, स्वयंसेवी संगठनों ने सर्वे किया है। इस सर्वे में जनता से देश के अलग-अलग राज्यों में वहां की सरकार के शासन के साथ-साथ बेस्ट परफॉर्मिंग चीफ मिनिस्टर को लेकर सवाल पूछे गए। इनमें देश की जनता ने मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को सबसे लोकप्रिय सीएम बताया है। वहीं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को दूसरा स्थान और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को तीसरे स्थान पर रखा है। सर्वे में सबसे अधिक 25 फीसदी लोगों ने मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पंसद किया और माना कि वे सबसे अच्छा काम कर रहे हैं। इससे साफ जाहिर होता है कि शिवराज अपने कामकाज से लोगों के बीच लोकप्रिय हो रहे हैं।

16 राज्यों में किया गया सर्वे
जानकारी के अनुसार सर्वे कर्ताओं ने 16 राज्यों आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, केरल, गुजरात, छत्तीसगढ़, झारखंड, तमिलनाडु, पंजाब, पश्चिम बंगाल, बिहार, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, दिल्ली और हरियाणा में सर्वे किया। इन राज्यों में कोरोना संक्रमण भी अधिक था। सर्वे में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दूसरे सबसे पसंदीदा मुख्यमंत्री हैं। उन्हें 19 फीसदी लोगों ने पसंद किया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल देश में तीसरे सबसे पसंदीदा मुख्यमंत्री हैं। उन्हें 16 फीसदी लोगों ने बेस्ट परफॉर्मिंग चीफ मिनिस्टर माना है। केजरीवाल की लोकप्रियता 2020 के मुकाबले घटी है, तब वे 19 फीसदी लोगों की पंसद बनकर उभरे थे। चौथे नंबर पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हैं, जिन्हें देश के 15 फीसदी लोगों ने सबसे अच्छा मुख्यमंत्री माना है। हालांकि, ममता की लोकप्रियता भी 2020 की तुलना में घटी है। पांचवें स्थान पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल हैं। उन्हें 12 फीसदी लोगों का साथ मिला है। बिहार की सत्ता में लगातार तीसरी बार काबिज होने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की लोकप्रियता घटी है, लेकिन बेस्ट परफॉर्मिंग चीफ मिनिस्टर के तौर पर छठे नंबर पर हैं। नीतीश कुमार को 11 फीसदी लोगों ने बेहतर मुख्यमंत्री बताया है जबकि 2020 में उन्हें 12 फीसदी लोगों का समर्थन मिला था। नीतीश कुमार की तरह ही आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी की लोकप्रियता भी तेजी से घटी है। वो सातवें नंबर पर हैं। जगन मोहन रेड्डी को 10 फीसदी लोगों ने देश में सबसे बेहतर मुख्यमंत्री बताया है, जबकि 2020 में यह आंकड़ा 11 फीसदी था। जगन मोहन रेड्डी के साथ महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे भी सातवें नंबर पर हैं। उद्धव ठाकरे की लोकप्रियता भी घटी है। उन्हें देश के 10 फीसदी लोगों ने बेहतर मुख्यमंत्री बताया है जबकि 2020 में 12 फीसदी लोगों की पंसद बनकर उभरे थे। इस क्रम में ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की लोकप्रियता भी पहले से घटी है। नवीन पटनायक को 8 फीसदी लोगों ने बेस्ट मुख्यमंत्री माना है जबकि 2020 में 9 फीसदी लोगों की पंसद बने थे। वे आठवें स्थान पर हैं। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 9वें स्थान पर हैं, जबकि पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिन्दर सिंह 10वें स्थान पर हैं।
वहीं छह राज्यों के मुख्यमंत्री कोरोना संक्रमण रोकने और आपदा को अवसर में तब्दिल करने में औसत दर्ज के रहे। गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी, केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन, कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा, तमिलनाडु के सीएम एम के स्टालिन, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर अपने-अपने राज्यों में पसंदीदा रहे।

भाजपा के मुख्यमंत्री सबसे कम लोकप्रिय
सबसे लोकप्रिय टॉप टेन 11 मुख्यमंत्रियों में से सात विपक्षी दलों के हैं, जबकि मात्र 3 मुख्यमंत्री भाजपा/राजग खेमे के हैं। सर्वे के अनुसार, भाजपा के मुख्यमंत्री वर्तमान में सबसे कम लोकप्रिय मुख्यमंत्री हैं। केवल मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भाजपा की साख बचाई है। दरअसल, इन दोनों राज्यों में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर खतरनाक तरीके से बढ़ी थी। ऐसे में दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री ने संक्रमण रोकने के लिए रात-दिन एक कर दिया। इससे दोनों राज्यों में कोरोना अब पूरी तरह कंट्रोल की स्थिति में पहुंच गया है। सर्वे के अनुसार गैर-कांग्रेसी मुख्यमंत्री अपेक्षाकृत कम या अपने संबंधित राज्यों में मोदी की तुलना में अधिक लोकप्रिय हैं। हालांकि, यहां तक कि सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले भाजपा/राजग के मुख्यमंत्री अपने राज्यों में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की तुलना में अधिक लोकप्रिय हैं।
छोटे और मध्यम आकार के राज्यों हरियाणा, केरल और पंजाब में पीएम मोदी के प्रभाव में कमी आई है। विशेष रूप से पंजाब देश का एकमात्र राज्य है जहां मोदी को सबसे कम लोगों का समर्थन मिला। यह शायद किसानों के विरोध का परिणाम है। केरल, महाराष्ट्र, दिल्ली, पंजाब, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्रियों की अपने राज्यों में प्रधानमंत्री की तुलना में अधिक विशुद्ध अनुमोदन रेटिंग है। इन राज्यों में से, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु ऐसे राज्य हैं जहां भाजपा अपना पैठ बनाने पर नजर गड़ाए हुए है। आंध्र प्रदेश, केरल, दिल्ली, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री मोदी की तुलना में अपेक्षाकृत अधिक लोकप्रिय हैं।

शिवराज भाजपा के सबसे ताकतवर मुख्यमंत्री
शिवराज सिंह 2013 जितने ताकतवर भले नहीं हैं पर भाजपा के मुख्यमंत्रियों में वे सबसे ज्यादा ताकतवर हैं। 2013 के सितंबर महीने का जिक्र इसलिए क्योंकि इसी महीने में गुजरात के मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी को भाजपा ने 2014 के लोकसभा चुनावों के लिए प्रधानमंत्री का उम्मीदवार घोषित किया था। इस घोषणा से पहले केंद्र की जिम्मेदारी को लेकर नरेंद्र मोदी का जब भी जिक्र होता था तो साथ में शिवराज सिंह चौहान का नाम भी इसमें जुड़ जाता था। लेकिन उस घोषणा से यह तय हो गया कि भाजपा की आगे की राष्ट्रीय राजनीति नरेंद्र मोदी को आगे करके चलेगी। जब भाजपा को अपने बूते बहुमत मिल गया तो एक तरह से पार्टी में मोदी का एकछत्र राज कायम होने का रास्ता भी साफ हो गया। इस पृष्ठभूमि में अगर भाजपा की राजनीति को समझें तो पता चलेगा कि 2013 के सितंबर के बाद शिवराज सिंह चौहान लगातार कमजोर हुए हैं।
लेकिन इन सब स्थितियों के बावजूद शिवराज सिंह चौहान देश के टॉप टेन मुख्यमंत्रियों में पहले स्थान पर हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि एक मुख्यमंत्री के तौर पर वे अपने चारों कार्यकाल में प्रभावी दिखे हैं। विकास के मामले में उन्होंने मप्र में काफी अच्छा काम किया है। कृषि के साथ-साथ उद्योग की तरफ भी उन्होंने जरूरी ध्यान दिया है। उनके कार्यकाल में मप्र को फसलों के उत्पादन में सात कृषि कर्मण अवार्ड मिल चुके हैं। कुपोषण के लिए बदनाम मप्र में स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी कई प्रयोग शिवराज सिंह चौहान ने किए हैं। गवर्नेंस के पैमाने पर भी वे प्रभावी दिखते हैं। राज्य में उन्होंने अपनी पहचान जनता के मुख्यमंत्री के तौर पर बनाई है। यही वजह है कि वे पार्टी में भले ही कमजोर हुए हों लेकिन न सिफ्र अपने राज्य में बल्कि मप्र के बाहर भी उनके प्रति लोग अच्छी राय रखते हैं। कुल मिलाकर उनकी पहचान एक साफ-सुथरी छवि वाले नेता की है। यह एक ऐसी छवि है जो आम आदमी को पसंद आती है। वहींं कोरोना संक्रमण काल में शिवराज मुख्यमंत्री की तरह नहीं बल्कि अभिभावक की तरह नजर आए। इस कारण जनता की नजर में उनकी छवि और चमकदार हो गइ है।

मप्र शिव ‘राज’ से संतुष्ट
मप्र में कोरोना संक्रमण की पहली फिर दूसरी लहर को कंट्रोल कर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपना लोहा मनवाया है। उनकी अब तक की चौथी पारी काफी चुनौतिपूर्ण रही है। लेकिन चुनौतियों के बीच जनता की उपेक्षा पर खरा उतरकर उन्होंने विश्वास जीता है। इसलिए मप्र की जनता उनके राज से संतुष्ट है। प्रदेश में जनता के बीच न केवल शिवराज सिंह चौहान की लोकप्रियता बढ़ी है अपितु कोरोना काल में उनकी सरकार द्वारा उठाए गए कदम भी सराहनीय साबित हुए हैं। सर्वे के दौरान प्रदेश की सभी जिलों में विभिन्न धर्म, जाति के कामकाजी, रोजगार की तलाश में जुटे, कॉलेज में पढऩे वाले युवाओं तथा नौकरी पेशा, व्यवसायी, बेरोजगार, मजदूर, कृषि कार्य में जुटे युवाओं से विभिन्न विषयों पर उनका मत जाना गया। 18-45 साल के युवाओं ने सर्वे में सबसे ज्यादा हिस्सा लिया है। सर्वे में शामिल लोग 65 प्रतिशत ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट कैटेगरी के हैं। 30 प्रतिशत नौकरीपेशा, 30 प्रतिशत छात्र, 18 प्रतिशत कारोबारी और 22 प्रतिशत किसान और मजदूर हैं। इन सबका मानना है कि सरकार के सभी अंग मिलकर और बेहतर काम कर रहे हैं। सरकार के दावे की पड़ताल के लिए जब लोगों से पूछा गया कि वे राज्यपाल, मुख्यमंत्री, मंत्री, विधायक, कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक, पंचायत व निकाय, तहसीलदार, विधानसभा, पुलिस, सरकारी अधिकारी और राजनीतिक पार्टियों में से किस पर सबसे अधिक भरोसा करते हैं तो 82 फीसदी ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर सबसे अधिक भरोसा जताया। यानी जनता को विश्वास है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में सरकार ने अब तक अच्छा काम किया है।
सर्वे में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मप्र के सबसे लोकप्रिय नेता बताए गए हैं। इसका कारण राज्य की जनता में उनकी राज्य के मामा और जनता के लिए सुलभ छवि का होना बताया गया है। देश में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने-अपने राज्यों के साथ ही देशभर में चर्चा का विषय बने रहते हैं। सर्वे के दौरान महिलाओं और युवाओं ने पूछा गया कि इन मुख्यमंत्रियों में कौन बेहतर हैं तो अधिकांश ने शिवराज को सबसे बेहतर मुख्यमंत्री माना। जब उनसे पूछा गया कि शिवराज अन्य सब मुख्यमंत्रियों से बेहतर क्यों हैं तो उनका कहना है कि शिवराज अविवादित मुख्यमंत्री हैं। वे हमेशा अपने को जनता से जोडक़र रखते हैं। उनमें सत्ता और पद का अहंकार नहीं है। खास होते हुए भी आम हैं। इसलिए वे सबसे बेहतर मुख्यमंत्री हैं।

‘संकटमोचक’ की छवि में शिव
मप्र में शिवराज सिंह चौहान भाजपा के लिए एकमात्र संकटमोचक हैं। अभी तक पार्टी और सरकार पर जो भी संकट आए हैं उसे शिवराज की लोकप्रियता ने हर लिया है। कोरोना संक्रमण में उनकी कार्यप्रणाली ने इसे सिद्ध कर दिया है। कोरोना ने उनकी संकटमोचक की छवि को और मजबूत किया है। आम धारणा है कि राजनीति संभावनाओं का खेल है। इस बीना पर देखें तो शिवराज सिंह चौहान इस धारणा को खंडित करते हुए चुनौती को संभावना में बदलते दिखते हैं। साल 2005, माह नवम्बर को जब वे पहली दफा मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते हैं तो बहुत उम्मीद उनसे नहीं होती है लेकिन यही शिवराज सिंह चौहान जब साल 2020, माह नवम्बर के उप-चुनाव में बाजी पलटते हुए अपनी सरकार के लिए पूर्ण बहुमत का आंकड़ा जुटा लेते हैं तो वे प्रदेश की, राजनीति की उम्मीद बन जाते हैं। एक ऐसी उम्मीद जो प्रदेश को दिशा और दृष्टि ही नहीं देते हैं बल्कि वे आम आदमी के मुख्यमंत्री के रूप में बनी साख को और मजबूत बनाते हैं। वे एक ऐसे मुख्यमंत्री के रूप में स्वयं को बना चुके हैं जिनसे कोई भी, कभी भी मिल सकता है। वे किसी भी आम आदमी से ना केवल मिलते हैं बल्कि उसकी पीठ पर भरोसे का हाथ रखते हैं। यह भरोसा उनकी गुडविल है तो विनम्रता उन्हें और ऊंचा बनाती है। सर्वे में जनता ने भी माना है कि शिवराज सिंह चौहान राजनीति करते हैं लेकिन प्रदेश की जनता के साथ नहीं। यह बार-बार और कई बार साबित हो चुका है। किसानों को राहत देने की बात हो, आदिवासियों के हितों की रक्षा करने का मुद्दा हो, बेटी-बहनों को सुरक्षा देने का मामला हो या बुर्जुगजनों को सम्मान देने का। हर बार उन्होंने अपने वादे को निभाया है। कोरोना संकट के समय शासकीय कर्मचारियों के वेतन-भत्ते में आंशिक कटौती का सरकार ने ऐलान किया लेकिन शिवराज सिंह सरकार के प्रति ऐसा विश्वास कि लोगों ने इस कटौती को भी सरकार के साथ सहयोग के रूप में लिया और प्रचंड बहुमत से सरकार का साथ दिया। क्या कोई कल्पना कर सकता है कि शासकीय अधिकारी-कर्मचारियों को आंशिक ही सही, आर्थिक नुकसान होने के बाद भी सरकार के साथ खड़े रहे, यह विश्वास केवल शिवराज सिंह चौहान ने जीता है। वहीं मप्र में कर्मचारी विरोधी होने के आरोप के साथ कांग्रेस की सरकार सत्ता गंवा चुकी है।

चौथी पारी में और चौकस
शिवराज सिंह चौहान ने जबसे मुख्यमंत्री के रूप में अपनी चौथी पारी शुरू की है, तब से वे अधिक चौकस नजर आ रहे हैं। मप्र की राजनीतिक और प्रशासनिक वीथिका में इन दिनों यह चर्चा जोरों पर है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपनी चौथी पारी में काफी सख्त रुख अपनाए हुए हैं। अपने मंत्रियों और आला अफसरों को लेकर 13 साल की अपनी तीन पारियों में सामान्यत: नरम रवैया अख्तियार करने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान नई पारी में नए अंदाज में हैं। वह अब कामकाज में कोताही को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं कर रहे हैं, खासकर जनता से सीधे तौर पर जुड़े मामलों में। कई मौकों पर तो ऐसा भी हुआ है कि उन्होंने संबंधित विभाग के प्रमुख सचिव या अतिरिक्त मुख्य सचिव के बजाय मंत्री को ही तलब कर अपनी नाराजगी का इजहार कर दिया। नतीजा यह मिल रहा है कि अब विभाग प्रमुखों के साथ ही मंत्री भी अलर्ट रहने लगे हैं और मुख्यमंत्री का बुलावा उनके दिल की धडक़न बढ़ा देता है। चुटकियों में कड़े फैसले, व्यवस्था की पड़ताल करने सीधे सडक़ से सरकारी दफ्तरों का दौरा, वहीं अशांति की कोशिशों पर सीधे कार्रवाई। ये पहचान पिछले कुछ माह में बनी है मप्र की, जहां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अलग ही अंदाज में देखे जा रहे हैं। दरअसल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की एक खासियत यह है कि वे जनता की मानसिकता के अनुसार काम करते हैं। ऐसे में जब भी उनके सामने जनता से संबंधित शिकायतें पहुंचती हैं तो वे तत्काल नए निर्देश जारी कर देते हैं। उन निर्देशों का क्रियान्वयन हुआ या नहीं, इसकी कभी जांच पड़ताल नहीं की गई। लेकिन इस बार वे कुछ अलग अंदाज में नजर आ रहे हैं। न केवल वे निर्देश दे रहे हैं, बल्कि उसके क्रियान्वयन की रिपोर्ट भी ले रहे हैं। इससे अफसरों में पहले की अपेक्षा अधिक भय नजर आ रहा है। यही कारण है कि कोरोना संक्रमण के बावजूद चौथी पारी में शिवराज की लोकप्रियता बढ़ी है। जहां देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता कम हो रही है, वहीं शिवराज सिंह चौहान ने भाजपा का परचम ऊंचा रखा है। मप्र की जनता को भी विश्वास है कि शिवराज सिंह चौहान के हाथ में प्रदेश का भविष्य सुरक्षित है। सर्वे कर्ताओं को मप्र की जनता में शिवराज के प्रति अजब उत्साह देखने को मिला।

आत्मनिर्भर मप्र के रोडमैप से सुशासन को मिली रफ्तार
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के शासनकाल में विकास और सुशासन की पटरी से उतर चुके मप्र की साख आखिरकार लौट आई है। एक बार फिर से मप्र देश के सबसे विकसित और सुशासित राज्यों में शामिल हो गया है। नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार करीब एक साल पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में मप्र सरकार ने विकास के पैमानों पर बेहतर प्रदर्शन कर यह मुकाम हासिल किया है। नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत कहते हैं कि शिवराज सिंह चौहान ने आत्मनिर्भर मप्र का रोडमैप 2023 जारी कर यह संकेत दे दिया है कि तीन साल में मप्र देश का अग्रणीय राज्य बनेगा। गौरतलब है कि 2018 तक मप्र कई क्षेत्रों में देश का अग्रणी राज्य था। लेकिन दिसंबर 2018 में कमलनाथ सरकार के गठन के बाद से प्रदेश सुशासन के मापदंड़ों पर पिछड़ता गया। जिसका परिणाम यह हुआ कि केंद्र के सुशासन मापदंडों के पैमानों पर मप्र खरा नहीं उतरा। केंद्र सरकार ने देश के सभी राज्यों की स्थिति का आकलन-कृषि एवं उससे जुड़े क्षेत्र, वाणिज्य एवं उद्योग, मानव संसाधन विकास, जन स्वास्थ्य, सार्वजनिक बुनियादी ढांचा, आर्थिक सुशासन, समाज कल्याण एवं विकास, न्यायिक एवं जनसुरक्षा, पर्यावरण और जल संसाधन प्रबंधन आदि पैमानों की कसौटी पर किया है। इन सभी रैंकिंग को एक साथ लेकर देखने पर राज्यों के विकास की स्थिति का निरीक्षण किया जा सकता है। यह बहुत स्पष्ट रूप से सामने आता है कि कुछ राज्य दशकों से अविकसित हैं जबकि कुछ राज्य तेजी से विकास दर्ज कर रहे हैं। मप्र ने भी पिछले एक दशक में तेजी से विकास किया, लेकिन 2019 में यहां तेजी से गिरावट भी दर्ज की गई। लेकिन स्थितियां एक बार फिर अनुकूल हुई हैं।

शिवराज हैं तो विश्वास है
मप्र की जनता ही नहीं बल्कि भाजपा के नेता भी इस बात को मानते हैं कि शिवराज हैं तो विश्वास है। मप्र में पिछले कुछ दिनों से पार्टी नेताओं के भोपाल दौरे और बंद कमरे में मुलाकातों के कारण अटकलों का बाजार गरमा रहा है। कोई इसे नेतृत्व परिवर्तन की दृष्टि से देख रहा था, तो कोई सियासत में कोई बड़े बदलाव की ओर इशारा कर रहा है। सोशल मीडिया पर चल रही इन अटकलों को लेकर प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्र ने सोमवार को बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि शिवराज सिंह मुख्यमंत्री थे, मुख्यमंत्री हैं और मुख्यमंत्री रहेंगे। किसी सरकार में मुख्यमंत्री के बाद नंबर दो पर गृहमंत्री को माना जाता है। प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्र के बंगले पर लगातार नेताओं से हो रही मुलाकातों के कारण जो अटकलें चल रही थीं, उस पर उन्होंने कहा कि वाट्सअप एक ऐसी यूनिवर्सिटी है, जिसके वाइस चांसलर बनने के लिए किसी योग्यता की आवश्यकता नहीं होती है। और, इसलिए यह जो फेक न्यूज है जो भ्रामक और असत्य समाचार हैं। मेरी प्रार्थना है, इन पर ध्यान न दें। भारतीय जनता पार्टी पूरी तरह से शिवराज सिंह जी और वीडी शर्माजी के नेतृत्व में एक है, संगठित है। माननीय शिवराज सिंह जी मुख्यमंत्री थे, मुख्यमंत्री हैं और मुख्यमंत्री रहेंगे। इसलिए इस तरह की खबरों के लिए कम से कम वाट्सअप, फेसबुक को आधार न बनाए, ऐसा कुछ भी नहीं है। वहीं भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि जो कहानियां आ रही है, वो बकवास है उसमें कुछ दम नहीं है। कोविड में लोगों के पास काम कम है, इसलिए मुलाकातें कर रहे हैं। इसे राजनीतिक रंग देना उचित नहीं है। शिवराज सिंह जी के नेतृत्व में ही प्रदेश चलेगा।
दरअसल, मप्र की राजनीति के बारे में सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे मैसेज के बाद सियासत में अटकलों का बाजार गरम है। क्योंकि पिछले कुछ दिनों से राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय भोपाल दौरे पर शिवराज, वीडी शर्मा, सुहास भगत और नरोत्तम मिश्र से मुलाकात करके गए। इसी बीच नरोत्तम मिश्र से भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव प्रभात झा की भी मुलाकात हुई। इसके बाद वीडी शर्मा और नरोत्तम मिश्रा से एक सप्ताह में दो बार मिल चुके हैं। राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया भी दो दिन बाद भोपाल आने वाले हैं। वे भी मुख्यमंत्री समेत कई नेताओं के साथ मुलाकात करेंगे। इन मुलाकातों के कारण सोशल मीडिया पर यह अटकलें चलने लगी हैं कि प्रदेश में जल्द ही नेतृत्व परिवर्तन हो सकता है। इसलिए नेताओं ने लॉबिंग शुरू कर दी है। लेकिन भाजपा नेताओं ने सामूहिक रूप से शिवराज का समर्थन कर यह संकेत दे दिया कि मप्र में शिवराज हैं तो विश्वास है।

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