- नगीन बारकिया

कोरोना संकट में भारत की मदद के नाम पर जुटाई धनराशि आतंकियों को थमाई…
वैश्विक स्तर पर भारत की अच्छी छवि और भारतीय लोगों के प्रति सहिष्णुता और सद्भावना का लाभ उठाते हुए कुछ पाक समर्थित एनजीओ की नापाक गतिविधियों का खुलासा हुआ है जिसमें बताया गया है कि इन संगठनों ने कोरोना संकट में भारत को मदद देने के नाम से भावुक लोगों से करोड़ों डालर की चंदा वसूली की और इस तरह प्राप्त धनराशि को ऐसे संगठनों को सौंप दिया जिनके आतंकी गुटों से गहरे रिश्ते बताए जाते हैं। इन एनजीओ की इस काली करतूत के कारण यह माना जा रहा है कि इस रकम का इस्तेमाल भारत के खिलाफ या अन्य आतंकी गतिविधि को संचालित करने में किया जा सकता है। अमेरिकी एजेंसी दिसइंफो लैब की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि कोविड-19 की आड़ में पाकिस्तान से जुड़े तथाकथित चैरिटी संगठनों ने मानव इतिहास के सबसे बड़े घोटालों में से एक को अंजाम दिया। उन्होंने हेल्प इंडिया ब्रीद अभियान के तहत दूसरी लहर से जूझ रहे भारत में वेंटिलेटर, मेडिकल ऑक्सीजन और टीका सहित अन्य स्वास्थ्य सुविधाओं की उपलब्धता बढ़ाने को आर्थिक सहयोग देने की अपील की। दिसइंफो लैब के मुताबिक, भारत की मदद का हवाला देकर चैरिटी जुटाने वाले संगठनों में इमाना यानी इस्लामिक मेडिकल एसोसिएशन ऑफ नॉर्थ अमेरिका भी शामिल है। इमाना ने 27 अप्रैल 2021 को इंस्टाग्राम पर हेल्प इंडिया ब्रीद अभियान शुरू किया था, जिसके तहत प्रारंभिक दौर में 1.8 करोड़ डॉलर जुटाने का लक्ष्य रखा गया था। हालांकि, उसने न तो अभियान से एकत्रित रकम का खुलासा किया, न ही यह बताया कि संबंधित राशि कब किस मकसद से खर्च की गई। अमेरिका स्थित अन्य पाकिस्तानी चैरिटी संगठनों का भी यही हाल है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह मानव इतिहास के सबसे बुरे घोटालों में से एक है।
ब्लैक और व्हाइट के बाद इंदौर में दिखा ग्रीन फंगस
जनता अभी कोरोना वायरस से अपनी जान छुड़ा नहीं पाई है कि फंगस नामक नई बीमारी अपनी रंग बिरंगी चाल से घुसी चली आ रही हैं। यह कभी ब्लैक फंगस तो कभी व्हाइट और यलो फंगस के नाम से परेशान कर रही है। अब इंदौर में इसका एक नया रंग दिखाई दिया है जिसे ग्रीन फंगस बताया जा रहा है। इंदौर में एक वरिष्ठ डॉक्टर ने बताया है कि कोरोना से ठीक हुए एक मरीज में ग्रीन फंगस की सूचना मिली है। डॉक्टर ने कहा कि उसे इलाज के लिए एयर एम्बुलेंस के जरिए मुंबई शिफ्ट कर दिया गया है। श्री अरबिंदो इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के छाती रोग विभाग के प्रमुख डॉ रवि डोसी ने जानकारी देते हुए कहा कि कोरोना से ठीक हुए मरीज का परीक्षण इस संदेह में किया गया कि कहीं उसे ब्लैक फंगस न हो, लेकिन इसके बजाय उनके साइनस, फेफड़े और रक्त में ग्रीन फंगस (एस्परगिलोसिस) का संक्रमण पाया गया। कोविड-19 से ठीक हुए लोगों में ग्रीन फंगस संक्रमण की प्रकृति अन्य रोगियों से अलग है या नहीं, इस पर और अधिक रिसर्च की जरूरत है।
दो खुराकों के बीच अंतराल कम करने पर हो रहा है विचार
भारत में लग रही ऑक्सफोर्ड-ऐस्ट्राजेनेका की कोविशील्ड वैक्सीन की दो खुराकों के बीच अंतराल घटाने पर एक बार फिर से विचार किया जा रहा है। कोरोना टीकाकरण की रणनीति से जुड़े सरकार के एक्सपर्ट्स इसको लेकर कई दौर की बैठकें भी कर चुके हैं, ताकि कम-से-कम उन लोगों को कम अंतराल पर टीका मिल सके जिनको सबसे ज्यादा खतरा है। दरअसल, यह सबूत मिले हैं कि कोरोना के डेल्टा वैरिएंट की वजह से अस्पतालों में भर्ती होने और संक्रमण तेजी से फैलने का खतरा तेजी से बढ़ रहा है और कोविशील्ड वैक्सीन की दो खुराकों के बीच अंतराल घटाने से इस वैरिएंट से सुरक्षा होती है। इससे पहले 13 मई को ही भारत ने कोविशील्ड की दो खुराकों के बीच के अंतराल को बढ़ाकर कम-से-कम 12 हफ्ते और अधिकतम 16 हफ्ते किया था। इसको लेकर यूके के डेटा का हवाला दिया गया था लेकिन तीन दिन बाद ही यूके ने खुद अंतराल घटाकर 12 से 8 हफ्ते कर दिया। डेल्टा वैरिएंट के खतरे को भांपते हुए यह अंतराल 50 या उससे ज्यादा आयु के लोगों के लिए घटाया गया। यूके में कोरोना का डेल्टा वैरिएंट फिर से फैलने लगा है।
सीबीएसई की अंकों के स्थान पर ग्रेड देने की तैयारी
सीबीएसई की ओर से अभी कक्षा 12 के छात्रों के लिए मार्किंग पॉलिसी तय करना बाकी है, लेकिन इसी बोर्ड के अधिकारियों ने बताया है कि सीबीएसई बोर्ड 12वीं के छात्रों को अंकों के बजाए ग्रेड देने के सुझाव पर विचार किया जा रहा है। रिपोर्ट के आधार पर फॉर्मूला तय किया जाएगा। जिसके आधार पर 12वीं के बच्चों का परीक्षा परिणाम तय होगा। बताया गया है कि मूल्यांकन फॉर्मूला दो हफ्तों में तय कर लिया जाएगा।