10 हजार करोड़ का कर्ज लेकर सरकार करेगी नर्मदा परियोजनाओं को पूरा

नर्मदा परियोजना

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। नर्मदा पर प्रस्तावित बड़ी परियोजनाओं को राज्य सरकार द्वारा दस हजार करोड़ का कर्ज लेकर पूरा करने की तैयारी की जा रही है। हालांकि ग्यारह परियोजनाओं को पूरा करने के लिए विभाग ने जो आंकलन किया है उसके हिसाब से चौबीस हजार करोड़ की भारी भरकम राशि का इंतजाम करना होगा। इतनी अधिक राशि का इंतजाम अकेले सरकार को कर पाना संभव नहीं है। इसलिए राज्य सरकार ने पूर्व में ही नर्मदा बेसिन प्रोजेक्ट्स कंपनी लिमिटेड का गठन कर दिया था।
यह कंपनी सिर्फ नर्मदा घाटी की परियोजनाओं के निर्माण पर ही फोकस करेगी। कंपनी फिलहाल दस हजार करोड़ का कर्ज लेगी। उल्लेखनीय है कि कंपनी द्वारा नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण की कुछ चिन्हित सिंचाई परियोजनाओं के लिए पहले से ही साढ़े सात हजार करोड़ का कर्ज लेने के लिए प्रयासरत है। यह कर्ज नाबार्ड से लिया जाना है। इस प्रस्तावित कर्ज से अपर नर्मदा परियोजनाओं, नर्मदा-क्षिप्रा बहुउद्देशीय योजना एवं बदनावर माइक्रो सिंचाई परियोजना सहित कुछ अन्य चालू परियोजनाओं का काम पूरा किया जाना है।
अलग-अलग प्रस्तावों से लिया जाएगा 17500 करोड़ का कर्ज: बताया जा रहा है कि कंपनी द्वारा नर्मदा विकास प्राधिकरण की दो अलग-अलग प्रस्तावों के जरिए यानी 7500 करोड़ रुपए नाबार्ड से और नया प्रस्ताव दस हजार करोड़ का, इस तरह कुल 17500 करोड़ रुपए का कर्ज जुटाने की तैयारी है। ज्ञात रहे कि दस हजार करोड़ का कर्ज नाबार्ड से प्रस्तावित कर्ज के अतिरिक्त है। वहीं कंपनी की साख इतनी नहीं है कि नाबार्ड अथवा कोई भी बैंक सीधे इतनी बड़ी राशि दे दे। इसके लिए वह राज्य सरकार की साख का इस्तेमाल करेगी। यानी राज्य सरकार कंपनी द्वारा लिए जाने वाले कर्ज के लिए बैंकों को गारंटी देगी। यह गारंटी शुल्क आधा फीसदी होगा। विभाग ने जो प्रस्ताव तैयार किया है उसके मुताबिक ग्यारह परियोजनाओं की ऋण राशि चौबीस हजार करोड़ के करीब है। इस पर सरकार को पंद्रह सौ करोड़ कर्ज के भुगतान पर देना होंगे। खास बात है कि ऋण राशि के विरुद्ध आधा फीसदी प्रतिवर्ष गारंटी फीस को वन टाइम करने का प्रावधान किया गया है।
कर्ज मिलने में होगी आसानी
कंपनी को कर्ज मिलने में किसी तरह की दिक्कत ना हो इसे ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने कंपनी की अंशपूंजी राशि को सौ गुना तक बढ़ा दिया है। कंपनी की अंशपूंजी पहले सिर्फ पचास करोड़ रुपए निर्धारित थी जिसे बढ़ाकर अब पांच हजार करोड़ कर दिया गया है। यही वजह है कि अब कंपनी को कर्ज मिलने में ज्यादा आसानी होगी। साथ ही अंशपूंजी का आकार बढ़ जाने के बाद कंपनी और नर्मदा विकास प्राधिकरण को विभिन्न सिंचाई परियोजनाओं को पूरा करने के लिए दस हजार करोड़ कर्ज लेने में कोई दिक्कत नहीं होगी। खास बात यह है कि कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने कर्ज लेने के इस प्रस्ताव को पहले ही हरी झंडी दे दी है।
निविदा आमंत्रण की प्रक्रिया हुई शुरू
दरअसल वर्ष 2024 में नर्मदा जल के बंटवारे को लेकर मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान और महाराष्ट्र के बीच पुनरीक्षण प्रस्तावित है। इसमें जल के उपयोग के आधार पर राज्यों के दावों के परीक्षण कर जल आवंटन फिर निर्धारित किया जाएगा। राज्य सरकार को फिलहाल आवंटित नर्मदा के पानी का पूरा उपयोग करना है। यही वजह है कि सरकार नर्मदा घाटी विकास विभाग से जुड़ी परियोजनाओं पर पूरा फोकस कर रही है। इन परियोजनाओं में से कुछ के लिए निविदा आमंत्रण की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है। साथ ही प्रदेश की जीवन रेखा नर्मदा में प्रस्तावित बड़ी परियोजनाओं को पूरा करने के लिए अब कर्ज लेने का रास्ता भी साफ हो गया है। इन परियोजनाओं के लिए कम से कम दस करोड़ का कर्ज लिया जाएगा। बताया गया है कि नर्मदा घाटी विकास विभाग ने इस कर्ज की राशि के लिए सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली है। परियोजना पर होने वाले खर्च की राशि का इंतजाम सरकार के साथ ही नर्मदा बेसिन प्रोजेक्ट्स कंपनी लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है।
कैबिनेट में बनी थी विवाद की स्थिति
उल्लेखनीय है कि बीते दिनों कैबिनेट की बैठक के दौरान नर्मदा घाटी विकास विभाग से जुड़ी दो परियोजनाओं के लिए आठ हजार करोड रुपए मंजूर किए जाने को लेकर विवाद की स्थिति बन गई थी। हालांकि राज्य सरकार पहले ही इन प्रस्तावों पर स्वीकृति की मुहर लगा चुकी है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा इन प्रस्तावों को हरी झंडी दी जा चुकी थी कैबिनेट में तो सिर्फ औपचारिकता के लिए पेश किया जाना था। यही वजह थी कि प्रशासकीय आदेश जारी करने के बाद प्रस्ताव कैबिनेट में अनुसमर्थन के लिए पेश किया गया था, जो रस्म अदायगी के लिए था। जिसे लेकर विवाद की स्थिति बन गई थी।

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