सत्ता की तरह संगठन में भी ग्वालियर -चंबल का दबदबा

 भाजपा

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश की राजनीति में श्रीमंत कांग्रेस की अपेक्षा भाजपा में अधिक प्रभावशाली बनकर तेजी से उभर रहे हैं। इसका असर सत्ता से लेकर संगठन में भी दिख रहा है। पहले प्रदेश भाजपा का मंत्रिमंडल का गठन और पुनर्गठन इसका साक्षी बना तो उसके बाद अब प्रदेश कार्यसमिति भी इसका बड़ा उदाहरण के रुप में सामने है। शिव मंत्रिमंडल में जहां एक तिहाई श्रीमंत समर्थक मंत्री हैं तो वहीं कार्यसमिति सदस्यों में भी उनके समर्थकों की भी कुछ ऐसी ही संख्या है। इसमें खास बात यह है कि श्रीमंत के प्रभाव और उनकी कर्मस्थली वाले ग्वालियर चंबल इलाके के मंत्रियों और कार्यसमिति सदस्यों की संख्या देखते हुए अब राजनैतिक गलियारों में कहा जाने लगा है कि भाजपा सरकार और संगठन में इस अंचल का पूरी तरह से दबदबा हो चुका है। खास बात यह है कि स्वयं प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा भी इसी अंचल के निवासी हैं।
मप्र में ग्वालियर चंबल अंचल के मौजूदा मंत्रियों की संख्या आठ है। इनमें श्रीमंत के अलावा भाजपा के मंत्री भी शामिल हैं। इसमें विशेष यह है कि इस अंचल के इन मंत्रियों के पास सरकार के बेहद अहम माने जाने वाले अधिकांश विभागों का दायत्वि भी है।
प्रदेश सरकार में इस अंचल से जो विधायक मंत्री हैं उनमें नरोत्तम मिश्रा, प्रद्युम्न सिंह तोमर, ओपीएस भदौरिया, अरविंद भदौरिया, महेंद्र सिंह सिसौदिया, भारत सिंह कुशवाहा और सुरेश धाकड़ शामिल हैं।  अगर अंचल के तहत आने वाले जिलों व सीटों की बात की जाए तो आठ जिलों में मौजूद 51 विस सीटों में से वर्तमान में 34 भाजपा , 16 कांग्रेस और 1 बसपा के पास है। इन 34 भाजपा विधायकों में से आठ अभी शिव मंत्रिमंडल के सदस्य हैं। अगर इसे मौजूदा मंत्रियों के हिसाब से देखें तो इस अंचल का प्रतिनिधित्व करीब 26 फीसद होता है। यही नहीं यह मंत्री अंचल के आठ में से सात अलग-अलग जिलों से आते हैं। जबकि प्रदेश के कई अंचल ऐसे हैं जहां से सिर्फ इक्का – दुक्का ही मंत्री हैं।
इसी तरह से अगर कार्यसमिति की बात की जाए तो इस मामले में सबसे फायदे में श्रीमंत का इलाका ही रहा है। उनके इलाके के ग्वालियर चंबल संभाग से 105 कार्यकर्ता और नेताओं को मौका मिला है, जबकि इस मामले में सबसे कम मौका रीवा व शहडोल संभागों को मिला है। इन दोनों ही संभागों से महज 37 लोगों को मौका दिया गया है। इसी तरह से भोपाल -नर्मदापुरम संभागों से 64, इंदौर से 52, उज्जैन संभाग से 49, जबलपुर संभाग से 44 और सागर से 37 लोगों को मौका दिया गया है।
अगर इस मामले में औसत निकाला जाए तो प्रदेश को उमा भारती सहित कई कद्दावर नेता देने वाले बुंंंदेलखंड अंचल के हिस्से में महज नौ फीसदी की ही भागीदारी आयी है। इस हिसाब से इस अंचल की पूरी तरह से उपेक्षा की गई है, जबकि यह वो इलाका है,
जो पड़ौसी राज्य उप्र की राजनीति को भी प्रभावित करता है। हाल ही में घोषित प्रदेश कार्यसमिति में कुल 403 नामों को शामिल किया गया है।
उमा भारती को पूरी तरह से नकारा
इस कार्यसमिति की खास बात यह है कि वर्ष 2003 में भाजपा की सत्ता वापसी कराने वाली उमा भारती की पूरी तरह से सत्ता की ही तरह संगठन में भी उपेक्षा की गई है। इसमें न तो उन्हें और न ही उनके भतीजे को जगह मिली है। इसी तरह से उनके किसी समर्थक को भी जगह नहीं दी गई है। यह बात अलग है कि अब उमा भारती का अपने ही इलाके में धीरे-धीरे प्रभाव कम होता जा रहा है। इसकी जो वजह बताई जाती है वह है, उनके मुख्यमंत्री और केन्द्र में तमाम विभागों की मंत्री रहते विकास की उपेक्षा की जाना। यही वजह है कि वे एक बार टीकमगढ़ से विधानसभा चुनाव तक हार चुकी हैं। खास बात यह है कि कार्यसमिति में एक ऐसे नेता को शामिल किया गया है जो जिलाध्यक्ष रहते पृथ्वीपुर विधानसभा क्षेत्र से विधानसभा चुनाव में अपनी जमानत बचाना तो ठीक है पांच हजार मत भी हासिल नहीं कर सका था। इसी तरह से दूसरे जिस नेता को शामिल किया गया है वह बीता चुनाव सपा के टिकट पर लड़ चुका है। इन दोनों ही नेताओं को उमा का विरोधी माना जाता है। इसी तरह से बुंदेलखंड अंचल के कद्दावर मंत्री भूपेन्द्र सिंह को भी कार्यसमिति से दूर रखा गया है।
इस तरह से ग्वालियर का बोलबाला
अगर जिलों के हिसाब से देखा जाए तो ग्वालियर जिले का कार्यसमिति में पूरी तरह से बोलबाला रहा है। इस जिले से कुल 23 लोगों को शामिल किया है। इसमें भी विशेष आमंत्रित और स्थाई आमंत्रित सदस्य सर्वाधिक हैं। इस मामले में इंदौर से 20, भोपाल से 18 लोगों को लिया गया है।
दूसरे अंचलों में भी मिला सिंधिया समर्थकों को महत्व
भाजपा प्रदेश कार्यसमिति में ग्वालियर -चंबल ही नहीं बल्कि कई दूसरे अंचलों में भी सिंधिया समर्थकों को महत्व दिया गया है। भोपाल हो या फिर इंदौर इन जगहों से भी उनके समर्थक जगह पाने में कामयाब रहे हैं। अब माना जा रहा है कि जल्द ही घोषित होने वाली भाजपा की मीडिया टीम में भी सिंधिया का प्रभाव दिखेगा। इसमें प्रवक्ता से लेकर मीडिया पैनलिस्ट की घोषणा की जानी है।
बुंदेलखंड की उपेक्षा
कार्यसमिति में बुंदेलखंड अंचल की उपेक्षा की गई है। इस अंचल से स्थाई आमंत्रित सदस्य के रूप में सिर्फ प्रहलाद पटेल को ही जगह मिली है। यह जगह भी उन्हें केन्द्रीय मंत्री होने के नाते मिल सकी है। खास बात यह है कि प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा खुद इसी अंचल से संसद में प्रतिनिधित्व करते हैं। इसके बाद भी यह अंचल उपेक्षित रहा है।

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