
भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। सरकार की एक गलती 22 हजार बेरोजगारों पर भारी पड़ रही है। यह वे युवा हैं जिनका चयन शिक्षक भर्ती परीक्षा में हो चुका है। अब सत्यापन में विभाग इन युवाओं को बायोलॉजी पढ़ाने के लायक ही नहीं मान रहा है। ऐसे में इनके द्वारा की गई पढ़ाई पर ही सवाल खड़े होने लगे हैं। जिन विषयों को महाविद्यालय में पढ़ाया जा रहा है अगर उनका कोई महत्व नही हैं तो फिर उनकी पढ़ाई करवाई ही क्यों जा रही है। यह अड़ंगा नियमों का हवाला देकर चयन सूची जारी होने के बाद नियमों का हवाला देकर लगाया गया है। द रअसल हाल ही में सरकार द्वारा चयनित शिक्षकों का सत्यापन का काम शुरू किया गया है। जब सत्यापन के लिए वे अभ्यर्थी पहुंचे, जिन्होंने बायोलॉजी के साथ ही सह विषयों के रुप में माइक्रो बायोलॉजी, बायो टेक्नोलॉजी और बायो कैमिस्ट्री जैसे विषय लेकर पढ़ाई की है, उनको अब अयोग्य घोषित किया जा रहा है। सत्यापन में ऐसे अभ्यर्थियों को कक्षा 11 और 12वीं में बायोलॉजी पढ़ाने योग्य नहीं माना जा रहा है। फिलहाल यह मामला अब सरकार के पाले में पहुंच चुका है।
इस वजह से परेशानी
तीन साल पहले करीब 2018 में बायोलॉजी विषय के 1600 पदों पर भर्ती के लिए आवेदन मंगाए गए थे, जब सरकार के सर्कुलर में यह नहीं बताया गया था कि उसमें बायोलॉजी के सह विषयों को शामिल किया जाएगा या नहीं। इस गलती की वजह से ही अब चयनित शिक्षकों के सामने नौकरी का संकट खड़ा हो गया है। खास बात यह है कि इस नियम का वे युवा भी शिकार हो रहे हैं जो परीक्षा में टॉपर आए हैं। गौरतलब है कि इसके पूर्व की गई भर्ती में सभी सह विषयों वाले अभ्यर्थियों को मान्यता देते हुए नौकरी दी गई है।
परेशान अभ्यर्थी मांग रहे मौत
अब इसकी वजह से कई चयनित शिक्षकों को नौकरी नहीं दी जा रही है। इनमें कई युवा ऐसे हैं जो भर्ती की तय आयु सीमा पूरी कर चुके हैं। ऐसे में उनकी नौकरी पर ग्रहण लग गया है। इस वजह से चयनित अभ्यर्थी परेशान होकर अब तो इच्छा मृत्यु की मांग भी सरकार से करने लगे हैं।