
भोपाल/राजीव चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। अनुशासन व संस्कारों की दुहाई देने वाली भाजपा के नेताओं में इन दिनों जमकर अंदरुनी कलह चल रही है। यही वजह है कि अब तो भाजपा में चार दिन पहले आकर बड़े नेताओं की कृपा हासिल कर विधायक बने नेता भी पार्टी में बेहद वरिष्ठ और संगठन के नेताओं को सार्वजनिक रुप से भी आंखें दिखाने से बाज नहीं आ रहे हैं। ऐसा ही कुछ बीते रोज टीकमगढ़ जिले में जिला आपदा प्रबंधन समिति (क्राइसिस मैनेजमेंट कमेटी) की बैठक के दौरान देखने को मिला। इसके बाद जिले के लगभग सभी बड़े स्थानीय नेता विधायक राकेश गिरी के खिलाफ लामबंद हो गए हैं। दरअसल इस बैठक में भाजपा के एक आप्रासंगिक हो चुके नेता के बेहद करीबी विधायक राकेश गिरी ने एक अफसर को लेकर अपने ही पार्टी के वरिष्ठ नेता और सांसद, विधायक और संगठन के जिला के मुखिया से जमकर मुंहवाद किया बल्कि, इन नेताओं के निशाने पर आए अफसर को बचाने में लगे रहे। यह पूरा घटनाक्रम कोरोना के लिए प्रभारी मंत्री बनाए गए मंत्री सुरेश धाकड़ की मौजूदगी में हुआ। इससे नाराज होकर यह सभी नेता बैठक का बहिष्कार कर चले गए। बाद में विधायक की शिकायत प्रदेश संगठन के साथ ही मुख्यमंत्री से भी की गई है। सत्तारुढ़ दल के इन बड़े नेताओं के बीच अचानक हुए इस विवाद की वजह से बैठक में मौजूद जिले के आला अफसर भी हैरान रह गए। हालांकि इन अफसरों द्वारा मामला शांत कराने और नाराज नेताओं को मनाने का प्रयास किया गया , लेकिन वे नाकाम रहे। विधायक गिरी के व्यवहार से खफा पूर्व केंद्रीय मंत्री और सांसद वीरेन्द्र कुमार खटीक, विधायक राहुल लोधी और भाजपा जिलाध्यक्ष अमित नुना के अलावा पूर्व विधायक केके श्रीवास्तव, वरिष्ठ नेता राजेंद्र तिवारी सहित अन्य लोग भी सांसद वीरेन्द्र कुमार खटीक के घर पहुंच गए। इसके बाद इन नेताओं में करीब एक घंटे तक बंद कमरे में विचार विमर्श चलता रहा। उधर बहिष्कार के बीच हुई बैठक में जिले को अनलॉक करने पर चर्चा की गई।
नगर पालिका सीएमओ को लेकर हुआ विवाद
सूत्रों के मुताबिक सफाई कर्मियों के वेतन और शहर में हुए सड़क निर्माण में कथित अनियमितता को लेकर बैठक में विवाद हुआ। यह मामला सांसद वीरेंद्र कुमार खटीक और विधायक राहुल सिंह लोधी ने उठाया था। इसका विरोध करते हुए टीकमगढ़ विधायक राकेश गिरी ने कहा कि यह विकास कार्यों को रोकने का प्रयास है। इस पर बात बढ़ती देख कोरोना प्रभारी मंत्री सुरेश धाकड़ और प्रशासनिक अधिकारियों ने समझाने का प्रयास किया, लेकिन मामला ठंडा होने की बजाय और गर्म होता चला गया। दरअसल यहां पदस्थ सीएमओ बीते पांच सालों से हैं। वे गिरी के बेहद करीबी अफसर माने जाते हैं। इसकी वजह है पहले स्वयं राकेश गिरी और उसके बाद के सालों में उनकी पत्नी लक्ष्मी नगर पालिका अध्यक्ष रह चुकी हैं। यह बात अलग है कि 2016 में गिरी की पत्नी लक्ष्मी के खिलाफ जाति प्रमाण पत्र के मामले में धोखधाड़ी करने का प्रकरण दर्ज हो चुका है। बताया जाता है कि मौजूदा सीएमओ सिर्फ गिरी और उनकी पत्नी की बात सुनते हैं। अन्य पार्टी जनप्रतिनिधियों की उनके द्वारा उपेक्षा की जाती है। जिसकी वजह से पार्टी के अन्य नेता नाराज चल रहे हैं।
विवाद की एक वजह यह भी
दरअसल विधायक गिरी की स्थानीय भाजपा नेताओं से पहले ही पटरी नहीं बैठ रही थी। इस बीच मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा हाल ही में रिक्त हुई पृथ्वीपुर विधानसभा सीट का प्रभार सांसद वीरेन्द्र खटीक खटीक को सौंप दिया गया है। इस सीट से गिरी अपनी पत्नी को चुनाव लड़ाना चाहते हैं। इसके लिए वे पार्टी स्तर पर लगातार प्रयास भी कर रहे हैं। इस बीच सांसद को प्रभार मिलने से गिरी नाराज चल रहे हैं। दरअसल गिरी को लग रहा है कि अब सांसद उनकी राह में रोड़ा बन सकते हैं। यही नहीं स्थानीय स्तर पर हो रहे विरोध की वजह से वे अगले चुनाव से पहले अपने लिए सुरक्षित सीट की तलाश में लगे हुए हैं। यही वजह है कि वे पत्नी को उपचुनाव लड़ाकर अपने लिए अगले आम चुनाव से पहले पुख्ता सीट की तलाश करना चाहते हैं। हालांकि अब इस विवाद के बाद उनकी राह बेहद कठिन बनती दिख रही है।