आउटसोर्स कंपनियों को निर्देश दिए जाने के बाद भी काटा जा रहा कर्मचारियों का वेतन
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में विद्युत कंपनियों में काम करने वाली आउटसोर्स कंपनियां स्टाफ को पूरा वेतन देने के मामले में विभागीय मंत्री पर भी भारी पड़ रही हैं। यही वजह है कि मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के तहत सेवाएं देने वाले तेरह हजार कर्मचारियों को मंत्री के निर्देश के बाद भी पूरा वेतन तो नहीं मिला , बल्कि उन्हें हर माह मिलने वाला सात सौ रुपए से लेकर नौ सौ रुपए तक का बोनस और इन कंपनियों द्वारा बंद कर दिया गया है।
दरअसल आउटसोर्स कंपनियों का प्रबंधन से मिली भगत होने की वजह से बिजली कंपनियों के आला अफसरों का फोकस कर्मचारियों के हितों के सरंक्षण की जगह आउटसोर्स कंपनियों के प्रबंधन के हितों पर रहता है। जिसकी वजह से उनके द्वारा कर्मचारियों के हितों पर कुठाराघात किया जाता है। यही वजह है कि इस मामले में विभागीय मंत्री द्वारा दौरे के समय दिए गए निर्देश भी हवा में उड़ा दिए गए और वेतन वृद्धि की जगह और कम कर दी गई। यही वजह है कि मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के अधीन काम करने वाले करीब 13 हजार आउटसोर्स कर्मचारियों को हर माह बोनस के रूप में मिलने वाली 700 से 900 रुपए तक की राशि का भुगतान करना बंद कर दिया। हालत यह है कि इन कर्मचारियों को सात से दस हजार रुपए के मासिक वेतन का ही भुगतान किया जा रहा है। खास बात यह है कि यह वेतन राज्य शासन द्वारा तय किए गए कलेक्टर रेट से भी कम है। यह वे कर्मचारी हैं, जिनके जिम्मे विद्युत उत्पादन, वितरण और ट्रांसमिशन का काम रहता है। गौरतलब है कि इन दिनों प्रदेश की तीनों ही विद्युत वितरण कंपनियों में करीब 35 हजार से अधिक कर्मचारी आउटसोर्स पर काम कर रहे हैं। दरअसल ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने जनवरी-फरवरी में सब स्टेशन और आउटसोर्स के माध्यम से संचालित अन्य दफ्तरों का दौरा किया था और कम वेतन दिए जाने पर नाराजगी जताई थी । इसके बाद भी कर्मचारियों का भला नहीं हो सका। इसके अलावा टेंडर के समय भी मप्र यूनाइटेड फोरम फॉर पॉवर एम्प्लाइज एंड इंजीनियर्स ने मंत्री से मिलकर इस पर विरोध जताया था लेकिन उसके बाद भी कुछ नहीं हुआ।
मध्य क्षेत्र कंपनी बनी शोषण का अड्डा
इन कंपनियों में शामिल मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी इन आउटसोर्स कर्मचारियों के साथ शोषण का सबसे बड़ा अड्डा बन चुकी है। इस कंपनी के तहत ही काम करने वाली आउटसोर्स एजेंसी द्वारा नए साल के ठेके के बाद से एजेंसी द्वारा बोनस के रूप में दिए जाने वाली राशि को काटना शुरू कर दिया गया है। इसकी वजह से मार्च माह तक यहां काम करने वाले आउटसोर्स को जो वेतन मिल रहा था, उसमें अपै्रल माह में दिए गए वेतन में से 900 रुपए काट लिए गए हैं। पश्चिम व पूर्व क्षेत्र में भी कलेक्टर रेट से कम वेतन इन कर्मचारियों को दिया जा रहा है। यह बात अलग है कि इन दोनों कंपनियों के तहत काम करने वाले कर्मचारियों की बोनस राशि नहीं काटी गई है।
कमलनाथ भी लिख चुके हैं पत्र
इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखा है। जिसमें उन्होंने कहा है कि सरकार ने अर्द्धकुशल और कुशल श्रेणी के कर्मचारियों के लिए कलेक्टर रेट पर पारिश्रमिक तय किए हैं लेकिन एजेंसियों द्वारा ऐसा नहीं किया जा रहा है और कर्मचारियों का शोषण किया जा रहा है। मुख्यमंत्री इसे ठीक कराएं।
29/05/2021
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