बिहाइंड द कर्टन/सिंधिया अगले महीने हो सकते हैं केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल

  • प्रणव बजाज
ज्योतिरादित्य सिंधिया

सिंधिया अगले महीने हो सकते हैं केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल
केंद्रीय मंत्रिमंडल में मध्यप्रदेश से राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया को शामिल करने की अटकलें तेज हो गई हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले महीने अपने मोदी टू के दो वर्ष पूरे होने के बाद मंत्रिमंडल का विस्तार करने जा रहे हैं। अनुमान लगाया जा रहा है कि जिन मंत्रियों का परफॉर्मेंस बेहतर नहीं है, उन्हें बाहर का रास्ता देखना पड़ सकता है। वहीं कई युवा चेहरों को मौका मिल सकता है। इनमें युवा चेहरों में सिंधिया भी शामिल हैं। केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने के लिए उन्हें और उनके समर्थकों को बेसब्री से इंतजार है। प्रदेश में चौथी बार भाजपा की सरकार बनवाने में उनका महत्वपूर्ण योगदान है। हालांकि यहां सरकार बनते ही भाजपा ने उन्हें तुरंत राज्यसभा भेज दिया था। अब सांसद बने उन्हें एक साल हो गया है। इस बीच केंद्र में मंत्री बनाए जाने की मांग उनके समर्थक कई बार परोक्ष रूप से उठा भी चुके हैं, लेकिन इस बीच केंद्रीय कैबिनेट में विस्तार ही नहीं हुआ। वहीं अब लगने लगा है कि सिंधिया और उनके समर्थकों का यह   इंतजार जल्द खत्म होगा।

क्यों हो रही राज्यमंत्री परमार के नवाचार की चर्चा
प्रदेश के स्कूल शिक्षा (स्वतंत्र प्रभार) और सामान्य प्रशासन राज्यमंत्री इंदर सिंह परमार द्वारा कोविड काल में शुरू किए गए नवाचार की सब दूर चर्चा हो रही है। दरअसल मंत्री परमार की पहल पर शुजालपुर के शासकीय जवाहरलाल नेहरू स्मृति कॉलेज में संचालित कोविड केयर सेंटर में समाज के सहयोग से यहां भर्ती मरीजों की मदद करने की शुरुआत की गई है। लोग अपनी इच्छा से जन्मदिन, सालगिरह व परिजनों की पुण्यतिथि के अवसर पर समाज की समाज के सभी लोग सहयोग करके यहां भर्ती कोरोना संक्रमित मरीजों को ताजा फलों के जूस, दवाइयों और जरूरत के सामान आदि की मदद कर रहे हैं। जिन परिवारों में लॉकडाउन के दौरान शादियां हुई और वे लोगों को नहीं भुला पाए उन्होंने भी इस सेवा में सहयोग कर अपना मलाल दूर किया। खास बात यह है कि उत्तर अमेरिका से लेकर देश के महानगरों से जिलों के छोटे गांव तक के लोग इसमें सहभागी बन रहे हैं।

प्रदेश में आईएएस कैडर पर सरकार का ध्यान ही नहीं
कोरोना संकट काल में राज्य सरकार की प्राथमिकता बदल गई है। सरकार का पूरा फोकस कोरोना को नियंत्रण करने पर है। ऐसे में प्रदेश का आईएएस कैडर ही गड़बड़ा गया है। यहां कोई अफसर बिना काम के है तो किसी के पास कई विभागों का भार है। मंत्रालय के बाहर के कई विभाग की स्थिति तो ये है कि वे मुखिया के नहीं होने से सूने पड़े हैं। वरिष्ठ आईएएस राधेश्याम जुलानिया पिछले ढाई महीने से बिना काम के है। उन्हें माशिमं के अध्यक्ष से हटाकर मंत्रालय में ओएसडी बनाया दिया। पुनर्वास की आस लगाए बैठे रिटायर्ड आईएएस भी निराश है। वहीं प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा रश्मि अरुण शमी को माशिमं के चेयरमैन का अतिरिक्त प्रभार तो पीईबी के चेयरमैन का प्रभार पद एसीएस केके सिंह को अतिरिक्त दिया गया है। पूर्व में माना जा रहा था कि एसीएस से रिटायर हुए मनोज श्रीवास्तव, प्रभांशु कमल और सलीना सिंह में किसी का पुनर्वास सुशासन संस्थान के डीजी पद पर किया जाएगा लेकिन सरकार ने यहां डीजी का पद समाप्त करके इसकी भी संभावना खत्म कर दी है। साथ ही गैर राज्य प्रशासनिक सेवा से आईएएस के पदों पर पिछले पांच साल से प्रमोशन नहीं मिला है।

वन विभाग के तीन अफसर इसी सप्ताह बनेंगे पीसीसीएफ
वन विभाग में इस समय प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) स्तर के तीन पद अनुसंधान, मानव संसाधन और बांस मिशन खाली हैं। इनमें तीन अफसरों को प्रमोट किया जाना है। जिन अफसरों को प्रमोशन दिया जाना है उनमें एपीसीसीएफ जेएस चौहान, धर्मेंद्र वर्मा और अतुल जैन शामिल है। वर्तमान में चौहान वाइल्डलाइफ, वर्मा वन विकास निगम और जैन फेडरेशन में पदस्थ हैं। इन तीनों ही अफसरों को इसी सप्ताह पीसीसीएफ बनाए जाने की संभावना है। इनकी पदोन्नति का प्रस्ताव सीएम हाउस पहुंच गया है। ऐसी संभावना है कि जल्द ही इस प्रस्ताव को हरी झंडी मिल जाएगी। विभाग में इसके अलावा मुख्यालय से लेकर मैदानी स्तर तक के करीब दो दर्जन अफसरों के भी फेरबदल की तैयारी की जा रही है। आर के गुप्ता द्वारा वन विभाग के मुखिया (पीसीसीएफ हॉफ) का पदभार संभालने के बाद विभाग में नए सिरे से जमावट शुरू कर दी गई है। सूत्रों के मुताबिक पीसीसीएफ हॉफ गुप्ता को लंबा समय मिला है। इसलिए वे अपने लिहाज से प्रशासनिक जमावट करने जा रहे हैं।

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