रिकॉर्ड बनना तो दूर, बीते साल से भी कम हुआ गेहूं का उपार्जन

गेहूं का उपार्जन

-प्रदेश में ताऊ-ते और यास तूफानों की वजह से  रोकना पड़ा गेहूं उपार्जन का काम

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। कोरोना के साथ ही ताऊ-ते और उसके बाद यास नामक तूफानों ने मप्र को गेहूं के रिकार्ड उपार्जन की राह में बड़ा रोड़ा डाल दिया है, जिसकी वजह से अब मप्र सरकार की मंशा पर पानी फिरना तय हो गया है।
हालत यह है कि सरकार का उपार्जन के मामले में रिकॉर्ड बनाना तो दूर बीते साल की बराबरी करना भी मुश्किल दिख रहा है। मप्र सरकार ने 19 मई तक 116 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीदी की है। यह आंकड़ा बीते साल खरीदे गए गेहूं से लगभग 13 लाख मीट्रिक टन कम है। इस बीच प्रदेश में अधिकांश खरीदी केंद्रों को बंद कर दिया गया है, जिसकी वजह से अब बीते साल के रिकॉर्ड को ही पीछे छोड़ना मुश्किल बनता जा रहा है। बीते साल मप्र में एक करोड़ 29 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीदी का नया रिकॉर्ड बनाया गया था। अरब सागर में उठे तूफान ताऊ-ते के बाद अब प्रदेश में यास नामक तूफान ने भी उपार्जन पर ब्रेक लगा दिया है। इसके लिए बाकायदा सरकार द्वारा 15 जिलों में तीन दिनों के लिए उपार्जन बंद रखने के निर्देश दिए हैं। पहले  ताऊ-ते और अब यास की वजह से प्रदेश में तीन-तीन दिन उपार्जन का काम बंद होने से प्रतिद्वंदी राज्य पंजाब इस मामले में मप्र को काफी पीछे छोड़ चुका है।
हालांकि इस दौरान कुछ जिलों में तेज हवाओं के साथ बारिश भी हुई, लेकिन इससे प्रदेश में कोई खास नुकसान नहीं हुआ, लेकिन ताऊ-ते के बाद यास तूफान ने मप्र को देश में एक नया रिकॉर्ड बनाने से जरूर रोक दिया है। इस वजह से इस साल मप्र गेहूं उपार्जन में पंजाब को पीछे नहीं छोड़ पाएगा। मप्र सरकार ने ताऊ-ते के असर को देखते हुए गेहूं उपार्जन पर अस्थायी रूप से 17 से 19 मई की अवधि तक रोक लगाई गई थी। इसके बाद गेहूं का उपार्जन का काम फिर गति पकड़ता कि उसके पहले ही यास नामक तूफान ने दस्तक दे दी, जिसके चलते अब 27 से लेकर 29 मई तक 15 जिलों में उपार्जन का काम रोकना पड़ा है। हालांकि राज्य सरकार ने बाद में सभी कलेक्टरों को निर्देश दिए थे कि जिले में समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी जारी रखी जाए। बाकायदा प्रमुख सचिव खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण फैज अहमद किदवई ने सभी जिला कलेक्टर्स, जिला आपूर्ति अधिकारी, जिला पंजीयक और जिला प्रबंधक केंद्रीय सहकारी बैंक को निर्देश दिये थे कि किसानों से खरीदी किसी भी स्थिति में बंद न की जाये। राज्य सरकार ने तर्क दिया था कि केवल वर्षा के कारण खरीदी अस्थाई रूप से स्थगित की गई है। गौरतलब है कि इंदौर और उज्जैन संभाग में तो 15 मई से ही खरीदी बंद कर दी गई थी।
पंजाब में हो चुकी 132 लाख मीट्रिक टन की खरीदी
गेहूं खरीदी के मामले में पंजाब ने एक बार फिर बाजी मार ली है। बीते साल गेहूं खरीदी में मप्र से पीछे रहने के बाद इस बार पंजाब में 132 लाख मीट्रिक टन से अधिक गेहूं की खरीदी की गई है। पंजाब में गेहूं का उत्पादन करीब एक करोड़ 77 लाख मीट्रिक टन हुआ है, जिसमें से एक करोड़ 32 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीदी की जा चुकी है। इस हिसाब से पंजाब अब गेहूं खरीदी के मामले में लगभग 16 लाख मीट्रिक टन आगे निकल चुका है। अब गेहूं खरीदी में इतना अधिक अंतर आ चुका है कि इसकी भरपाई होना मुश्किल है।

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