पांच जिलों में नहीं हो सके रेत के ठेके, हो रहा अवैध खनन

अवैध खनन

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में एक साल की लंबी अवधि बीत जाने के बाद भी अब तक पांच जिलों में रेत के ठेके नहीं हो सके हैं। यह जिले हैं रायसेन, मंदसौर, अलीराजपुर, आगर मालवा और उज्जैन। दरअसल रेत के ठेके नहीं होने से एक ओर जहां सरकार को करोड़ों रुपए के राजस्व की हानि हो रही है वहीं रेत का अवैध खनन धड़ल्ले से जारी है। खनिज विभाग के सूत्रों की माने तो बारिश के बाद रायसेन, अलीराजपुर, उज्जैन, मंदसौर तथा आगर मालवा की रेत खदानों की नीलामी की जायेगी। कुछ ठेकेदारों द्वारा ठेके की रॉयल्टी की दूसरी किस्त जमा नहीं किए जाने की वजह से उनके ठेके निरस्त कर दिए गए हैं। वहीं उज्जैन व आगर-मालवा की खदानों की नीलामी के लिए पांच बार टेंडर जारी होने के बाद भी किसी भी  ठेकेदार ने इन ठेकों को नहीं लेना चाहा।
रायसेन का ठेका हुआ निरस्त
उल्लेखनीय है कि रेत खनन मामले में सबसे ज्यादा नुकसान रायसेन जिले में हुआ है। यहां खनिज निगम द्वारा रायसेन समूह का ठेका राजेंद्र रघुवंशी को दिया गया था। ठेका लेते समय ठेकेदार ने अपनी वार्षिक आय ज्यादा दिखाकर गलत तरीके से टेंडर डाला। ठेकेदार ने ठेके की राशि का आठ करोड़ से अधिक रुपया जमा नहीं किया। उधर दूसरी पार्टी इस मामले को लेकर कोर्ट चली गई जिसके बाद सरकार ने रायसेन का ठेका निरस्त करते हुए ठेकेदार को भी आगामी ठेकों के लिए ब्लैक लिस्ट घोषित कर दिया है। हालांकि यहां पर अवैध रेत खनन अभी भी किया जा रहा है। सरकार को रायसेन जिले से 71 करोड़ रुपए से अधिक की राशि का नुकसान हुआ है।
होशंगाबाद का हुआ था सबसे महंगा ठेका
प्रदेश में वर्ष 2019 में कांग्रेस की सरकार के दौरान जिलों की रेत खदानों का समूह बनाकर नीलामी की गई थी। इससे सरकार को लगभग तेरह सौ करोड़ रुपए का राजस्व मिलना था लेकिन ठेकेदारों ने बहुत महंगे टेंडर डाले। यही वजह रही  जिसके कारण सबसे महंगा ठेका करीब 200 करोड़ रुपए का होशंगाबाद जिले का हुआ था। तेलंगाना की एक कंपनी ने यह ठेका लिया था जो बाद में यह ठेका छोड़कर चली गई। वहीं रायसेन जिले की रेत खदानों का टेंडर डालने वाले राजेंद्र रघुवंशी ने 71 करोड़ से ज्यादा का टेंडर डाला लेकिन टेंडर डालते समय अपनी एनुअल इन्कम ज्यादा दिखाई। इस मामले को लेकर दूसरी पार्टी ने इसका विरोध किया और वह हाईकोर्ट चली गई। अब यह मामला हाईकोर्ट में पेंडिंग है।
रॉयल्टी जमा नहीं होने से रेत खदान के पोर्टल बंद
होशंगाबाद जिले में तवा और नर्मदा से रेत निकलने पर प्रतिबंध लगा हुआ है। खनिज निगम ने पोर्टल को बंद कर दिया है। इसके बावजूद भी नर्मदा नदी सहित जिले की सहायक नदियों में मशीनों से अवैध खनन किया जा रहा है। खनिज निगम के अधिकारियों की जानकारी के अनुसार प्रदेश के 19 जिलों का पोर्टल बंद किया गया है। जिसमें बताया गया है कि जिलों की कंपनियों द्वारा नियमानुसार रॉयल्टी जमा नहीं की गई है। आरकेटीसी कंपनी के द्वारा तवा और नर्मदा में खनन का काम किया जा रहा है, जबकि खनिज निगम के द्वारा सभी रेत खदानों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
हो रहा है करोड़ों का नुकसान
होशंगाबाद जिले की रेत खदानें वैसे तो बंद हैं। लेकिन यहां वास्तविकता यह है कि कंपनी की ज्यादातर रेत खदानों में दिन रात खनन का काम चल रहा है। जिससे सरकार की आय को नुकसान पहुंच रहा है। रेत के घाटों पर प्रतिदिन सैकड़ों डंपरों द्वारा हाईवे से रेत परिवहन किया जा रहा है। हालांकि ऐसा नहीं है कि यह खेल कंपनी तक ही सीमित है। इस खेल की जानकारी जिला प्रशासन को भी है लेकिन कार्रवाई नहीं की जा रही है।

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