
मध्यप्रदेश राज्य तिलहन उत्पादन संघ के पांच दर्जन कर्मचारियों का भविष्य खतरे में
भोपाल/अनिल जंगेला/बिच्छू डॉट कॉम। 1993 में बनी फिल्म दामिनी में अभिनेता सनी देयोल द्वारा बोला गया डायलॉग तारीख पर तारीख, तारीख पर तारीख मध्यप्रदेश सरकार पर मप्र राज्य सहकारी तिलहन उत्पादन संघ के कर्मचारियों के संविलियन के मामले में पूरी तरह से फिट बैठता है। इसकी वजह है प्रदेश की शिव सरकार अपने ही आदेशों पर बीते आठ साल से अमल कराने में नाकामयाब बनी हुई है। दरअसल प्रदेश में अफसरशाही इतनी हावी है कि सरकार द्वारा अपने ही एक आदेश का पालन कराने के लिए कई आदेश निकालने पड़े , लेकिन मजाल है कि अफसरों ने उस पर अमल करने का भी प्रयास किया हो। इस मामले में जब हो हल्ला मचता है तो सरकार फिर एक नया आदेश निकाल देती है। इस तरह के हालातों के बाद भी सरकार जिम्मेदारों पर कोई कार्रवाई करने की हिम्मत तक नहीं दिखा पा रही है। सरकार के इस आदेश के पालन होने के इंतजार में कई कर्मचारियों के अरमानों पर पानी फिर चुका है। गौरतलब है कि एक दशक पहले लगातार घाटे में चलने की वजह से सरकार ने मप्र राज्य सहकारी तिलहन उत्पादन संघ को बंद करने का निर्णय लिया था। इसके साथ ही फैसला किया था कि इसमें पदस्थ कर्मचारियों का अन्य विभागों और शासकीय संस्थाओं में संविलियन किया जाएगा, लेकिन इस निर्णय पर अब तक अमल ही नहीं किया गया है।
डेढ़ वर्ष बाद याद आयी समय सीमा में वृद्धि की याद
हद तो यह है कि मप्र राज्य सहकारी तिलहन संघ के अधिकारियों-कर्मचारियों को अन्य विभागों में संविलियन करने के लिए जारी हुए आदेश की अवधि बीते डेढ़ साल पहले ही समाप्त हो चुकी है, लेकिन इसकी तारीख में वृद्धि करने का राज्य सरकार को याद ही नहीं रहा। इस मामले में अब डेढ़ साल बाद सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा समय सीमा वृद्धि के आदेश जारी किए गए हैं। आदेश में संविलियन अवधि को 31 दिसंबर 2019 से निरंतर जारी रखते हुए 30 सितंबर 2021 तक की समय सीमा तय की गई है। यहां पदस्थ अधिकारियों-कर्मचारियों को अन्य विभागों में संविलियन करने की घोषणा पर अमल नहीं होने से पांच दर्जन कर्मचारियों का भविष्य खतरे में पड़ा हुआ है।
पहला आदेश 12 अगस्त 2013 को निकला था
राज्य सरकार द्वारा मप्र तिलहन संघ को बंद करने का निर्णय लेने के बाद यहां कार्यरत अधिकारियों और कर्मचारियों को अन्य विभागों में संविलियन करने के लिए पहला आदेश 12 अगस्त 2013 को निकाला गया था। आदेश के तहत तय की गई एक वर्ष की अवधि में जब संविलियन नहीं किया गया तो फिर राज्य सरकार द्वारा संविलियन की अवधि में तीन माह की वृद्धि करते हुए उसे 14 अगस्त 2014 तक कर दिया गया था। इसके बाद भी संविलियन नहीं किया गया। इसके बाद से तो तारीख दर तारीख में वृद्धि का जो सिलसिला शुरू हुआ वह अब तक समाप्त ही नहीं हो रहा है। इसे इससे ही समझा जा सकता है कि तीसरी बार राज्य सरकार ने 11 नवंबर 2014 को तीन माह के लिए चौथी बार 10 फरवरी 2015 को 6 माह के लिए फिर 11 अगस्त 2015 को छह माह के लिए इसके बाद 7 मई 2016 को चार माह के लिए समय सीमा में वृद्धि की गई। इसके बाद भी जब अमल नहीं हुआ तो फिर 20 सितंबर 2016 को , फिर 28 फरवरी 2017 को छह माह की , फिर 9 अगस्त 2017 और एक अक्टूबर 2018 को भी समय सीमा में वृद्धि का आदेश जारी करना पड़ा। आखिर में 18 सितंबर 2019 को आदेश जारी कर एक साल की अवधि में वृद्धि की गई।