
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में एक लोकसभा व तीन विधानसभा की रिक्त हुई सीटों पर फिलहाल उपचुनाव नहीं होंगे। इन सीटों पर एक साथ अक्टूबर में उपचुनाव कराए जाएंगे। उस समय तक तीनों विधानसभा के रिक्त हुए तय समय सीमा भी समाप्त नहीं होगी। इतना जरूर है कि खंडवा लोकसभा चुनाव जरूर एक माह लेट हो जाएगा। इन सीटों पर देरी से उपचुनाव कराए जाने की दो प्रमुख वजहें हैं। पहली कोरोना और दूसरी मानसून। हाल ही में दमोह में हुए उपचुनाव की वजह से सरकार के साथ ही चुनाव आयोग को भी जमकर लोगों की आलोचना झेलनी पड़ी है। इसकी वजह से इन चारों सीटों पर अब उपचुनाव पूरी तरह से महामारी पर काबू पाए जाने के बाद ही होना तय माना जा रहा है। दरअसल खंडवा लोकसभा सीट मार्च माह के पहले सप्ताह में नंद कुमार सिंह चौहान के निधन के चलते रिक्त हो गई थी और इसके बाद से लेकर अब तक प्रदेश की जोबट, पृथ्वीपुर, और रैगांव सीटें भी विधायकों की मौत हो जाने से रिक्त हो चुकी हैं। इन सभी सीटों पर एक साथ ही उपचुनाव कराया जाएगा। हाल ही में कोरोना महामारी के चलते चुनाव आयोग ने भारी आलोचना के बाद अन्य प्रदेशों के उपचुनावों को टाल दिया है। फिलहाल प्रदेश की तीनों विधानसभा सीटों को चुनाव आयोग द्वारा घोषित कर दिया गया है। उप चुनाव वाली यह चारों सीटें प्रदेश के ग्रामीण अंचल के तहत आती हैं, जिसकी वजह से अगर कोरोना पर जल्द ही काबू भी पा लिया जाए तो भी चुनाव कराना संभव नहीं है। इसकी वजह है मानसून का आ जाना। मानसून के दौरान प्राय: चुनाव नहीं कराए जाते हैं। वैसे भी इस बार प्रदेश में अच्छी बारिश होने की संभावना है, जिसकी वजह से अभी से चुनाव टालने के पूरे आसार माने जा रहे हैं। वैसे भी इन दिनों कोरोना महामारी भीषण बनी हुई है। हालात यह हैं कि शहरों में हालात तो फिर भी सुधरते दिख रहे हैं, लेकिन अब ग्रामीण इलाकों में हालात बेहद खराब हो रहे हैं। इसकी वजह है ग्रामीण इलाकों में तेजी से कोरोना संक्रमण का फैलना।
ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य की सुविधाएं भी बेहद कम हैं, जिसकी वजह से मुश्किल स्थिति बनी हुई है। यह बात अलग है कि अक्टूबर तक खंडवा लोकसभा के रिक्त हुए छह माह से अधिक का समय हो जाएगा। अगर विधानसभा क्षेत्रों की बात की जाए तो तीनों ही विधायकों की मौत इसी माह हुई है, जिसकी वजह से अक्टूबर में रिक्त हुई सीटों की अवधि को छह माह का समय होगा। इनमें से दो सीटें कांग्रेस विधायकों की मौत की वजह से और एक सीट भाजपा विधायक की मौत की वजह से रिक्त हुई है। इनमें से रैगांव और जोबट आरक्षित सीटों में शामिल है। जिन विधायकों की मृत्यु हुई है उनमें कलावती भूरिया, बृजेन्द्र सिंह राठौर और जुगल किशोर बागरी के नाम शामिल हैं और फिलहाल इस समय मप्र सहित देश के अधिकांश राज्यों में इस महामारी की वजह से कोरोना कर्फ्यू लगा हुआ है, यह कर्फ्यू फिलहाल इस पूरे माह लगे रहने के आसार बने हुए हैं। माना जा रहा है कि कुछ इलाकों में तो अगले माह तक जारी रहने की संभावना है। अगर ऐसे में चुनाव कराने की पहल की जाती है तो संक्रमण बढ़ने का पूरा खतरा बना हुआ है। आयोग के नियम के अनुसार किसी भी सीट के रिक्त होने पर छह माह के अंदर चुनाव कराया जाना अनिवार्य है, लेकिन विशेष परिस्थितियों में इस नियम को दरकिनार भी किया जा सकता है। दरअसल चुनाव आयोग किसी भी चुनाव से पहले उस राज्य की परिस्थिति और उसके बाद विभिन्न राजनैतिक दलों से विचार विमर्श करता है उसके बाद ही निर्णय करता है। इस मामले में जानकारों का कहना है कि छह माह की तय अवधि अक्टूबर में समाप्त होगी। इस बीच क्या स्थिति रहती है इस पर चुनाव कराना निर्भर रहेगा। वैसे भी चुनाव आयोग को विशेष परिस्थितियों में निर्णय लेने का अधिकार है।