आयुर्वेद और यूनानी कालेजों में लंबे अरसे से चल रहा गड़बड़झाला

आयुर्वेद

भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश के आयुर्वेद और यूनानी कॉलेजों में स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में दाखिले में गड़बड़ियां लंबे अरसे से हो रही हैं। यही वजह है कि इसकी शिकायत मिलने पर सेंट्रल काउंसलिंग ऑफ इंडियन मेडिसिन (सीसीआईएम) ने विश्वविद्यालयों को पत्र भेजकर जानकारी मांगी है।
दरअसल निजी कॉलेजों को सीसीआईएम से मान्यता नहीं होने पर भी वह पीछे के रास्ते से छात्रों को यह बताकर एडमिशन दे देते हैं कि जल्द ही उनके कॉलेज को मान्यता मिल जाएगी। यही नहीं दिलचस्प है यह है कि विश्वविद्यालय की तरफ से ऐसे छात्रों को परीक्षा में बैठने की भी अनुमति मिल जाती है। हालांकि यह मामला अकेले मप्र का नहीं है बल्कि अन्य राज्यों से भी ऐसी ही शिकायतें सेंट्रल काउंसिल आफ इंडियन मेडिसिन (सीसीआईएम) को मिली है। खास बात है कि इसकी शिकायत पिछले साल सुप्रीम कोर्ट के वकील द्वारा अगस्त 2020 में केंद्रीय मंत्रालय से की गई थी। वहीं प्रदेश के आयुष संचालनालय के एक अफसर ने बताया कि मध्यप्रदेश में भी पिछले तीन साल में तीन शिकायतें आ चुकी हैं। जो अलग अलग व्यक्तियों द्वारा की गई हैं। शिकायत में कहा गया है कि निजी कॉलेजों ने चुपके से कुछ छात्रों को एडमिशन दिया है। यह छात्र परीक्षा भी दे रहे हैं। हालांकि आयुष विभाग के उप सचिव इस बात की जांच कर रहे हैं कि काउंसलिंग में आयुष संचालनालय ने जिन छात्रों को एडमिशन दिया है उनके अलावा कोई छात्र उस कालेज की तरफ से परीक्षा में शामिल तो नहीं हो रहा है।
ऐसे पकड़ सकते हैं गड़बड़ी
उल्लेखनीय है कि विश्वविद्यालय की तरफ से कराई जाने वाली परीक्षा में बैठे छात्रों और काउंसिलिंग के जरिए एडमिशन लेने वाले छात्रों का नाम मिलान करने से यह गड़बड़ी आसानी से पकड़ में आ जाएगी। गौरतलब है कि निजी कालेजों में दाखिला भी आयुष संचालनालय की तरफ से ऑनलाइन काउंसलिंग के माध्यम से ही दिया जाता है। जिन कॉलेजों को सीसीआईएम से मान्यता नहीं होती है वह भी चुपके से छात्रों को यह बताकर दाखिला दे देते हैं कि जल्द ही उनके कालेज की मान्यता मिल जाएगी। विश्वविद्यालय की तरफ से परीक्षा में बैठने की सशर्त अनुमति भी मिल जाती है। ज्ञात हो कि आयुष कालेजों में दाखिले के लिए नीट पास  करना जरूरी है। वहीं यह भी अनुमान है कि कुछ कॉलेजों ने जीव विज्ञान विषय में 12वीं पास उम्मीदवारों को भी एडमिशन दे दिया है। हालांकि मप्र आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ टी एन दुबे की मानें तो उन्हें सीसीआईएम का कोई पत्र अभी तक नहीं मिला है। उनका यह भी कहना है कि विश्वविद्यालय के पास जो जानकारी है उसे देने में बिल्कुल देरी नहीं की जाएगी।
विश्वविद्यालयों से मांगी जानकारी
गड़बड़ी की शिकायत मिलने के बाद सीसीआईएम में विश्वविद्यालयों से पिछले पांच साल का छात्रों का विवरण मांगा है। वहीं आयुष मंत्रालय द्वारा भी अलग तरीके विभिन्न बिंदुओं पर जानकारी मांगी गई है। उल्लेखनीय है कि प्रदेश के शासकीय आयुर्वेद कॉलेजों में 418 सीटें हैं। वहीं निजी आयुर्वेद कॉलेजों में प्रदेश में 900 सीटें हैं।

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