
-कोरोना कर्फ्यू के दौरान बंद दुकानों पर आला अफसरों ने प्रस्ताव तैयार कर भेजा
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। अगर कुछ अफसरों द्वारा तैयार किए गए प्रस्ताव को प्रदेश की शिवराज सरकार मान लेती है तो मप्र में भी छत्तीसगढ़ की तर्ज पर ठेकेदारों द्वारा घर-घर शराब पहुंचाई जाएगी। इसके पीछे अफसरों के इस तबके का तर्क है कि बंद के दौरान इस नई व्यवस्था से लोगों को आसानी से शराब और सरकार को राजस्व भी मिल सकेगा। इसके अलावा कहा गया है कि इस व्यवस्था की वजह से प्रदेश में अवैध शराब बिक्री पर भी रोक लग सकेगी। उधर बीते साल कोरोना के चलते देरी शुरू हुए शराब ठेकों की वजह से सरकार द्वारा इस बार एक अप्रैल की जगह एक जून से नए ठेके करने का तय किया गया था , लेकिन प्रदेश में बीते एक माह से चल रहे कोरोना कर्फ्यू की वजह से अभी शराब दुकानें पूरी तरह से बंद चल रही हैं। इसके चलते ठेकेदारों के एसोसिएशन ने हाल ही में सरकार को पत्र लिखकर एक माह और ठेकों के संचालन की एक और माह की मोहलत मांगी है। होम डिलेवरी के लिए कुछ अफसरों ने प्रस्ताव तैयार कर आला अफसरों तक पहुंचाया है। उनका कहना है कि शराब की दुकानें बंद रहने की स्थिति में शराब की होम डिलीवरी शुरू होने से शराब के शौकीनों को आसानी से न केवल शराब मिल सकेगी बल्कि, सरकार को राजस्व भी मिल सकेगा। उनका मानना है कि शराब दुकानों के बंद होने की वजह से सरकार को राजस्व का भारी नुकसान हो रहा है। यही नहीं इस वजह से शराब के शौकीन औने-पौने दाम पर अवैध रूप से शराब खरीद रहे हैं। वहीं कई जगहों पर नकली शराब का कारोबार भी फलने फूलने लगा है। नकली शराब से प्रदेश में कई जगहों पर पहले कई लोगों की जान जा चुकी हैं। इसकी वजह से सरकार को छत्तीसगढ़ की तरह ही होम डिलेवरी पर विचार करना चाहिए। इससे पीने वालों को आसानी से शराब भी मिल सकेगी और सरकार को राजस्व भी मिल सकेगा।
उधर, सरकार ने कोरोना कर्फ्यू के चलते शराब की दुकानें बंद होने की वजह से बंद की अवधि के हिस्से की लाइसेंस फीस न लेने का फैसला कर लिया है। इसके बाद भी शराब ठेकेदार चाहते हैं कि उन्हें एक माह की मोहलत और दी जाए। इसके लिए बाकायदा ठेकेदारों के एसोसिएशन ने सरकार को पत्र लिखा है। प्रदेश के शराब ठेकेदारों के संगठन देशी-विदेशी मदिरा व्यवसायी एसोसिएशन ने हाल ही में एक पत्र सीएम के साथ ही मुख्य सचिव व विभाग की प्रमुख सचिव को लिखा है , जिसमें लिखा है कि वर्तमान में कोरोना महामारी को देखते हुए ठेकों को एक माह यानी 30 जून तक के लिए वर्तमान लाइसेंसियों को ही दुकानें का संचालन करने की अनुमति दी जाए। कारण- लाइसेंसियों द्वारा दी गई बैंक गारंटी का समय 30 जून तक का है। तब तक शासन नई नीति पर विचार कर सकता है। जुलाई में दुकानें नवीनीकरण या टेंडर द्वारा छोटे समूहों में दी जा सकती है। इससे शासन को राजस्व में 10 से 15 फीसदी तक अधिक राजस्व प्राप्त होगा। दरअसल, कोरोना की पहली लहर में लॉकडाउन के कारण बंद की गई शराब दुकानों को घाटे से निकालने के लिए सरकार ने दो माह का अतिरिक्त समय शराब कारोबारियों को दिया था। इसके चलते शराब कारोबारी 31 मई तक दुकानें संचालित कर सकते हैं।
छोटे-छोटे ग्रुप में ठेका देने का है प्रस्ताव
प्रदेश में पिछली बार बड़े शहरों में बड़े ग्रुप बनाकर ठेके कराए गये थे, लेकिन ठेके शुरू हो पाते उसके पहले ही कोरोना की वजह से लॉक डाउन लग गया था। इसकी वजह से कई ठेकेदार पीछे हट गए थे, जिसके चलते कई जिलों में सरकार को ही दुकानों का संचालन करना पड़ा था। इसके बाद सरकार ने जुलाई में नये सिरे से ठेके कराये गये थे। इस बार नई नीति के लिए तैयार किए गए प्रस्ताव में छोटे-छोटे ग्रुपों में टेंडर कराने का प्रस्ताव भी है। इसके साथ ही सरकार द्वारा उन पुराने ठेकेदारों को ठेके देने का भी प्रस्ताव तैयार किया गया है जो बीते साल की तुलना में जो 12 से 15 फीसदी अधिक राजस्व देने को तैयार होंगे। गौरतलब है कि शहडोल और देवास में भी सिंगल ग्रुप में ठेके हुए थे, लेकिन घाटे के चलते ठेकेदारों ने इसे बीच में ही छोड़ दिया था। बाद में सरकार ने दो माह के लिए यहां टेंडर कराए थे, जिसमें छोटे-छोटे ग्रुप शामिल हुए थे और सिंगल ग्रुप से अधिक राजस्व सरकार को मिला था।