
भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। राज्य शासन ने चुंगी क्षतिपूर्ति की राशि की कटौती कर विद्युत मंडल का बकाया बिजली का बिल तो चुका दिया लेकिन इसकी वजह से अब भोपाल के साथ ही जबलपुर और इंदौर नगर निगम में फंड की दिक्कत आ सकती है।
यही नहीं माना तो यह भी जा रहा है कि चुंगी कर की बड़ी राशि डायवर्ट किए जाने से निगम कर्मियों को वेतन मिलने तक की परेशानी हो सकती हैं। बहरहाल नगरीय प्रशासन विभाग की इस कार्रवाई से अब भोपाल, जबलपुर और इंदौर निगमों को चुंगी क्षतिपूर्ति की राशि कटकर ही मिलेगी। इससे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि करीब 20 करोड़ की राशि में से यदि सात-आठ करोड़ रुपये की कटौती हुई तो निगम में कर्मचारियों को वेतन देने तक के लाले पड़ सकते हैं। सूत्रों की माने तो इंदौर और भोपाल नगर निगम से कुल 150 करोड़ रुपये विद्युत मंडल को दिए गए हैं जबकि जबलपुर नगर निगम को करीब 29 करोड़ का भुगतान करना था। यह राशि तीन महीने की है। बहरहाल विद्युत मंडल को अब सीधे राशि मिल गई है।
आउटसोर्स कर्मचारी भी हड़ताल में शामिल
प्रदेश में अब बिजली कर्मचारियों ने भी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। ये कर्मचारी दस मई से हड़ताल पर चले गए हैं। खास बात है कि इस हड़ताल में पैंतालीस हजार बिजली आउटसोर्स कर्मचारी भी शामिल हैं। दरअसल इन कर्मचारियों ने मांग की है कि उन्हें भी फ्रंटलाइन वर्कर्स में शामिल किया जाए। साथ ही उन्होंने अपनी आठ सूत्रीय मांगों को लेकर तमाम जगहों पर ज्ञापन भी सौंपा है। बिजली आउटसोर्स कर्मचारियों के मुताबिक पिछले साल बिजली कर्मचारियों को फ्रंटलाइन वर्कर के तौर पर कोराना योद्धा में शामिल किया गया था लेकिन इस बार इन्हें शामिल नहीं किया गया। मध्यप्रदेश बिजली निजीकरण विरोधी संयुक्त मोर्चा और मध्यप्रदेश यूनाइटेड फोरम फॉर पावर एंप्लॉय एवं इंजीनियर के आव्हान पर प्रदेश भर के पैंतालीस हजार बिजली आउटसोर्स कर्मचारी (कोरोना इमरजेंसी ड्यूटी को छोड़कर) हड़ताल पर हैं। कर्मचारी यूनियन की मानें तो लंबे समय से सरकार से कई मांगों को लेकर बातचीत चल रही थी लेकिन लंबा समय बीत जाने के बाद भी मांगों को नहीं माना गया। इसलिए अब हड़ताल के सिवाय कोई रास्ता नहीं बचा। सरकार को हमारी मांगे पूरी करनी चाहिए। इन कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने से प्रदेश में बिजली विभाग का काम प्रभावित हो रहा है।
निगम अफसरों का कहना है
नगरीय प्रशासन विभाग द्वारा विद्युत मंडल बिजली बिल की बकाया राशि सीधे दिए जाने पर निगम अफसरों का कहना है कि बिजली बिल को लेकर कई आपत्तियां थी। इन आपत्तियों का निराकरण होने के बाद यह राशि चुका दी जाती लेकिन नगरीय प्रशासन विभाग ने निगम को अपना पक्ष रखने का मौका ही नहीं दिया बल्कि एक तरफा कार्यवाही करते हुए विद्युत मंडल को राशि दे दी।