
-कोरोना कर्फ्यू के कारण दुकानें बंद हैं ऐसे में कारोबारियों का करोड़ों का नुकसान होने की आशंका है
भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र के सबसे बड़े कपड़ा बाजारों में शामिल बैरागढ़ का बाजार ऐसा है , जहां पर सिर्फ दो त्यौहारों पर ही पांच अरब का कपड़ा बिक जाता है, लेकिन बीते दो साल से कोरोना संक्रमण के चलते ऐसे हालात बन रहे हैं कि इन त्योहारों पर भी एक रुपए का कपड़ा नहीं बिका है। दरअसल राजधानी के उपनगर संत हिरदाराम नगर में बढ़े पैमाने पर कपड़ा का कारोबर होता है। यह ऐसा बाजार है , जहां पर अक्षय तृतीया और ईद पर ही पांच सौ करोड़ के कपड़े का कारोबार हो जाता है। इसके अलावा दीपावली और अन्य हिन्दू त्योहारों के समय अक्टूबर व नबंबर में भी इसी तरह बड़े पैमाने पर कारोबार होता है। यह बात अलग है कि बीते साल जब जुलाई के बाद कोरोना पर काबू पाया जा सका तो स्थिति सामान्य होने के बाद बाजार में जमकर ग्राहकी देखी गई , जिसकी वजह से काफी हद तक नुकसान की भरपाई हो गई थी, इसके बाद माना जा रहा था कि इस बार भी अक्षय तृतीय एवं ईद पर अच्छी ग्राहकी होने से बाजार गुलजार हो जाएंगे , लेकिन एक बार फिर कोरोना का कहर शुरू होने से ऐसा संभव नहीं हो पा रहा है। प्रदेश में 17 मई तक कोरोना कर्फ्यू है इस बीच 13 को ईद एवं 14 मई को अक्षय तृतीया है। बीते एक माह से बाजार बंद होने की वजह से पहले भी ग्राहकी नहीं हुई और अब भी ग्राहकी नहीं हो पाना है। इसकी वजह है अक्षय तृतीया पर हजारों की संख्या में शादियां होती है जिसके लिए खरीददारी अप्रैल से ही शुरू हो जाती है।
दरअसल राजधानी का उपनगर संत हिरदाराम नगर की तो यहां इंदौर के बाद सबसे बड़ा प्रदेश का कपड़े का थोक बाजार है । यहां पर करीब तीन सैकड़ा थोक व फुटकर कपड़े की दुकानें हैं। जिसमें कई दुकानों पर तो साल में 40 करोड़ रुपए तक का कारोबार किया जाता है। इसके अलावा करीब एक सैकड़ा व्यापारी ऐसे हैं जिनका हर साल का टर्नओवर 10 से लेकर 15 करोड़ के बीच रहता है। यही नहीं इस बाजार की ग्राहकी इससे समझी जा सकती है कि मध्यम श्रेणी के कपड़ा व्यापारी भी न्यूनतम 5 करोड़ से 8 करोड़ का हर साल कारोबार करते हैं। इस बाजार में पूरे साल में अकेले पन्द्रह अरब रुपए का कारोबार किया जाता है।
अटक गई करोड़ों रुपए की उधारी
संत हिरदाराम नगर के व्यापारी प्रमुख रुप से थोक में कपड़े की खरीदी सूरत, अहमदाबाद, बड़ोदा, मुबई, दिल्ली, बनारस, कानपुर, के अलावा काटन कपड़ा जयपुर व ईरोड से करते हैं। यह माल अक्षय तृतीया एवं ईद की गा्रहकी के लिए बड़े व्यापारियों से उधारी पर लिया जाता है , जिसका भुगतान अप्रैल व मई माह में जबरदस्त ग्राहकी के बाद कर दिया जाता है। यह हर साल चलता है। इसके बाद व्यापारी अक्टूबर, नवंबर व दिसबर की तैयारी में लग जाते हैं , लेकिन इस बार स्थानीय व्यापारियों द्वारा कारोबार नहीं कर पाने की वजह से जहां 500 करोड़ का कारोबार नहीं हो सका है , जिससे उत्पादक व्यापारियों का भी 300 करोड़ अटक गया है। इस दौरान करीब 200 करोड़ के दुकानों में रखा पुराना स्टाक भी बिक जाता है। यह भी अब गोदामों में रखा हुआ है।
हजारों लोग हुए प्रभावित
यही कोरोना कर्फ्यू जून से लेकर सिंतबर तक रहता तो कोई खास फर्क नहीं पड़ता , लेकिन अक्षय तृतीया व ईद जैसे त्योहारों पर बंद के चलते न केवल व्यापारियों बल्कि दुकानों पर काम करने वाले 4000 कर्मचारियों, किराए पर दुकान लेकर कारोबार करने वालों की आर्थिक रुप से कमर टूट गई है।