तो प्रदेश में ‘छोटों’ को भी मिल सकते हैं शराब के ठेके

शराब के ठेके

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। कोरोना कर्फ्यू के चलते बीते साल की ही तरह इन दिनों भी प्रदेश में शराब की दुकानों में ताले लगे हुए हैं। इसकी वजह से सरकार को लगभग हर दिन करोड़ों रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है। इस बीच बीते साल के ठेके की अवधि भी समाप्त होने को आ गई है, जिसकी वजह से अब नए सिरे से ठेके की तैयारी शासन व सरकार स्तर पर शुरू कर दी गई है। इसके लिए विभाग द्वारा दो तरह के प्रस्ताव तैयार कर मुख्यमंत्री सचिवालय को भेजे गए हैं , जिसमें वर्तमान ठेकों को 5 प्रतिशत अधिक लाइसेंस फीस करते हुए नवीनीकरण करना और दूसरा छोटे-छोटे ग्रुप में टेंडर कराये जाएं। इस बारे में होने वाले निर्णय को लेकर किए जाने वाले फैसले का इंतजार किया जा रहा है। दरअसल, कोरोना महामारी के कारण पिछले वित्तीय वर्ष में शराब दुकानें बंद रहने से सरकार को दो माह 31 मई तक ठेके बढ़ाना पड़ा था। अब जबकि कोरोना कर्फ्यू 31 मई तक रहने की संभावना जताई जा रही है। ऐसे में नये सिरे से प्रस्ताव तैयार किया है। हालांकि इस कोरोना कर्फ्यू में सरकार ने ठेकेदारों से दुकानें बंद रहने की अवधि तक लाइसेंस फीस नहीं लेने का निर्णय लिया है।

5 फीसदी लाइसेंस फीस बढ़ाने का प्रस्ताव
जानकारी अनुसार विाीय वर्ष 2021-22 के लिए नई आबकारी नीति बनाई जा रही है। इसमें प्रस्ताव है कि पिछले वित्तीय वर्ष की लायसेंस फीस में पांच प्रतिशत की बढ़ोत्तरी करते हुए दुकानों का नवीनीकरण किया जाए। अगर इस पर ठेकेदार तैयार नहीं होते हैं तो छोटे-छोटे ग्रुप को ठेके देने के टेंडर जारी किये जाएंगे।

ठेकेदार बोले प्रस्ताव बुलाए सरकार 10 से 12 फीसदी बढ़ेगा राजस्व
इधर, पुराने ठेकेदारों ने सरकार से मांग की है कि वित्तीय वर्ष में ठेका संचालित करने वाले ठेकेदारों से प्रस्ताव बुलवाए जाएं। ऐसा करने से सरकार को 10 से 12 फीसदी अधिक राजस्व मिलेगा। शासन स्तर पर प्रस्ताव बुलवाए जाये, जिन ग्रुप का दस फीसदी से अधिक प्रस्ताव होगा उसे ठेके दिये जाए। इससे मॉनोपॉली भी खत्म होगी और सरकार के राजस्व में इजाफा भी होगा। वित्तीय वर्ष 21-22 में सरकार ने बड़े शहरों में सिंगल ग्रुपों को ठेके दिये थे। लेकिन बाद में यह विवादों में आ गये थे। इसमें एमआरपी से अधिक रेट पर शराब बेचने और जहरीली शराब के मामले सामने आये थे। इसकी जांच भी हुई थी। और जांच दल ने अधिक दरों पर शराब बेचने को सही माना था। ऐसे में सरकार इस बार क्या निर्णय लेगी, वह इसी सप्ताह पता चलने की संभावना है।

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