
भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश सरकार ने बेरोजगारों की बढ़ती संख्या पर चिंता जाहिर करते हुए पिछले साल दिसंबर महीने में घोषणा की थी कि जनवरी से हर माह एक लाख युवाओं को रोजगार दिया जाएगा। इसके तहत प्रत्येक जिले में रोजगार मेलों का आयोजन किया जाना था। इसमें सरकार द्वारा कहा गया था कि बेरोजगार युवाओं को उनके हुनर के हिसाब से नौकरी दिलवाने में सरकार मदद करेगी। हालांकि एक दो महीने तक यह रोजगार मेले लगाए भी गए लेकिन इसमें भी कुछ ही युवाओं को प्राइवेट नौकरी मिल सकी जो कि सरकार के निर्धारित लक्ष्य से बेहद कम है। बहरहाल इस योजना को आगे इसलिए नहीं बढ़ाया जा सका कि कोरोना की दूसरी लहर का प्रकोप देश के साथ ही प्रदेश में भी पैर पसारने लगा था। इसकी के साथ दो दिनी लॉकडाउन की शुरूआत हो गई और उसके बाद पूरा अप्रैल तो कोरोना कर्फ्यू में ही निकल गया। इस दौरान संक्रमण बेकावू होता नजर आ रहा था। दवाओं और ऑक्सीजन की कमी के कारण मौतों का सिलसिला चल पड़ा। सरकार को अपना पूरा फोकस कोरोना संक्रमण की चैन तोड़ने, दवाओं, इंजेक्शन और ऑक्सीजन की आपूर्ति में लगाना पड़ा। ऐसे में सिर्फ युवाओं को रोजगार उपलब्ध करने वाली योजना ही नहीं बल्कि सरकार की कई योजनाओं पर कोरोना का ग्रहण लग गया और यही वजह रही कि सरकार के हर माह एक लाख युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के दावे को पूरा नहीं किया जा सका।
गलत आंकड़े देने पर सीएम हुए नाराज
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री की कलेक्टर-कमिश्नर कॉन्फ्रेंस में युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने का मामला प्रमुखता से उठा था। गलत आंकड़े पेश करने पर कई जिलों के कलेक्टरों के इस कृत्य पर मुख्यमंत्री ने नाराजगी जताई और चेतावनी भी दी थी। दरअसल इस संबंध में कलेक्टरों द्वारा जो आंकड़े कांफ्रेंस से पहले भेजे गए थे और जो आंकड़े कांफ्रेंस के दौरान बताए गए उनमें काफी अंतर था। जनवरी और फरवरी में जिलों में आयोजित किए गए रोजगार मेलों में युवाओं को प्राइवेट नौकरी दिलाने में होशंगाबाद, शहडोल, रतलाम, बड़वानी और रायसेन जिले फिसड्डी साबित हुए थे जबकि धार, इंदौर, विदिशा, सतना और राजगढ़ जिलों में संतोषजनक काम हुआ था।
सरकार द्वारा निर्धारित लक्ष्य से काफी कम रहा युवाओं को जॉब का औसत
प्रदेश में एक लाख युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए प्रत्येक जिले को प्रतिमाह औसतन कम से कम दो हजार युवाओं को प्राइवेट नौकरी उपलब्ध कराना होगी। इसी हिसाब से रोजगार मेलों का भी आयोजन करना होगा। गौरतलब है कि राज्य सरकार ने जनवरी और फरवरी में प्रदेश में कुल 301 रोजगार मेलों का आयोजन किया था। इस दौरान प्रदेश में कुल 33 हजार 948 युवाओं को ही प्राइवेट नौकरी उपलब्ध कराई जा सकी। इस तरह प्रत्येक रोजगार मेले में महज 112 युवाओं को ही औसतन प्राइवेट नौकरी मिली जो कि राज्य सरकार के द्वारा निर्धारित किए गए लक्ष्य से काफी कम है। उसके बाद कोरोना संक्रमण की दस्तक के कारण रोजगार मेलों का आयोजन नहीं किया जा सका। यदि प्रत्येक जिले में दो हजार युवाओं को प्राइवेट नौकरी उपलब्ध कराना है तो सरकार को कम से कम 18 से 20 रोजगार मेलों का आयोजन करना होगा। जबकि कोरोना संक्रमण के चलते मार्च में सिर्फ चुनिंदा स्थानों पर ही रोजगार मेलों का आयोजन किया जा सका वहीं अप्रैल महीने में तो कोरोना कर्फ्यू की वजह से इसका आयोजन ही नहीं हो सका।