ब्रेन डेड के बाद अंगदान में मप्र सातवें स्थान पर

अंगदान
  • एनओटीटीओ की वार्षिक रिपोर्ट 2023 के अनुसार

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में अंगदान और देहदान को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके लिए मुख्यमंत्री मोहन यादव ने ऐलान किया है कि प्रदेश में अंगदान और देहदान करने वालों के परिवारों को सरकार अब गार्ड ऑफ ऑनर देगी। साथ ही 26 जनवरी और 15 अगस्त को सम्मानित भी किया जाएगा। लेकिन इसके बावजूद मप्र में ब्रेन डेड के बाद अंगदान के मामले में मप्र छह राज्यों से पीछे है। नेशनल ऑर्गन एण्ड टिशू ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन (एनओटीटीओ) की वार्षिक रिपोर्ट 2023 के अनुसार ब्रेन डेड के बाद अंग दान के मामले में मप्र देश में सातवें स्थान पर रहा।
सरकार और अस्पतालों की ओर से दूसरों को जीवन दान देने के लिए लोगों को मरने या ब्रेन डेड के बाद अंग दान (कैडेवर डोनेशन) के प्रति जागरूक किया जा रहा है। कुछ लोग इसके लिए आगे भी आ रहे हैं। लेकिन यूरोपीय देशों के मुकाबले अभी भी भारत में बहुत ही कम लोग ही कैडेवर डोनेशन के लिए सहमत हो रहे हैं। इस मामले में भोपाल सहित मप्र बहुत ही पीछे है। एनओटीटीओ की वार्षिक रिपोर्ट 2023 के अनुसार 2023 में देश भर में ब्रेन डेड मरीजों से 1099 कैडेवर डोनेशन मिले। इनमें से सबसे ज्यादा 252 तेलांगना में हुए। दूसरे नंबर पर तमिलनाडू और तीसरे स्थान पर कर्नाटक रहा। मप्र का स्थान महाराष्ट्र, गुजरात और दिल्ली एनसीआर के बाद भी रहा। मप्र में सिर्फ आठ कैडेवर डोनेशन किए गए हैं।
सबसे बड़ी चुनौती कैडेवर डोनेशन
केन्द्र सरकार ने लोगों को उन्नत चिकित्सा उपलब्ध कराने के लिए हालही में आयुष्मान भारत योजना में अतिआधुनिक चिकित्सा तकनीकों को शामिल किया है। इसमें इंटरवेंशनल न्यूरो, रेडियोलॉजी से लेकर बोन मैरो ट्रांसप्लांट जैसी आधुनिक उपचार पद्धतियां शामिल की गई हैं। इस योजना में बोन मैरो ट्रांसप्लांट को शामिल किए जाने से ब्लड कैंसर और रक्त संबंधित गंभीर रोगों से पीडि़त मरीजों को अच्छा से अच्छा उपचार मिल सकेगा। सरकारी आंकड़ों के अनुसार 2023 में कुल 13 हजार 426 किडनी ट्रांसप्लांट हुए थे। 267 किडनी ट्रांसप्लांट मप्र में हुए थे। इसमें ज्यादातर किडनी दान करने वाले मरीज के परिजन ही थे। डोनेशन करने वाले कम लोग पाए गए। एम्स भोपाल के कार्यकारी निदेशक अजय सिंह ने कहा कि अंगदान जो कोई भी कर सकता है। कैडेवर डोनेशन के लिए लोगों को जागरूक भी किया जा रहा है। देश में सबसे बड़ी चुनौती कैडेवर डोनेशन के लिए प्रेरित करना और उन्हें सचेत करना है।

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