सरकार को गेंहू बेचना नहीं चाहते किसान

गेंहू बेचना
  • 17 जिलों में उपार्जन केंद्र पड़े सूने, खरीदी शून्य

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। अधिकतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर सरकार ने इस साल गेहूं खरीदी के लिए 2425 रूपए प्रति क्विंटल का भाव तय किया है, साथ ही 175 रुपये प्रति क्विंटल का बोनस भी दिया जा रहा है। इस प्रकार कुल 2600 रूपए प्रति क्विंटल का मूल्य किसानों को एमएसपी पर मिलेगा।हालांकि, वर्तमान में खुले बाजार में गेहूं का भाव 2,800 रूपए प्रति क्विंटल तक मिल रहा है, जिसके चलते किसान एमएसपी पर गेहूं बेचने के प्रति कम रुचि दिखा रहे हैं। आलम यह है कि समर्थन मूल्य पर खरीदी शुरू होने के 27 दिन बाद भी प्रदेश के 17 जिलों में उपार्जन केंद्र सूने पड़े हुए हैं। वहां खरीदी शून्य है। गौरतलब है कि मप्र में समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदने के लिए 3,528 उपार्जन केंद्र बनाए गए हैं। प्रदेश के 15 लाख 33 हजार किसानों ने अपना पंजीयन कराया है। वहीं उपार्जन की अवधि 15 मार्च से 5 मई तक निर्धारित है। लेकिन इस बार किसान सरकार को गेंहू बेचने की बजाय व्यापारियों को बेच रहे हैं। प्रदेश स्तरीय समीक्षा में सामने आया कि 15 मार्च से 8 अप्रैल के बीच प्रदेश की मंडियों में 21.35 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीदी व्यापारियों ने की है। जबकि इसी दौरान 22.47 लाख मीट्रिक टन गेहूं उपार्जन केंद्रों में बिका। यानी लगभग आधे किसान मंडियों में गेहूं बेचने को प्राथमिकता दे रहे हैं। इसकी वजह समर्थन मूल्य लगभग ही बाजार भाव होना है।
बाजार भाव बना कारण
किसानों की कम दिलचस्पी के पीछे प्रमुख कारण बाजार में मिल रहे ऊंचे दाम हैं। खुले बाजार में किसानों को 2,800 रुपये प्रति क्विंटल तक गेहूं का भाव मिल रहा है, जो कि एमएसपी से अधिक है। इसी कारण किसान पंजीयन के प्रति उत्साहित नहीं हो रहे हैं। प्रदेश में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी शुरू हुए 27 दिन बीत चुके हैं, लेकिन अभी 17 जिलों में सरकारी उपार्जन केंद्रों में एक दाना गेहूं भी नहीं पहुंचा है। वहीं दूसरी ओर बाजार दर पर बिक्री के लिए प्रदेश की मंडियों में गेहूं की आवक जोरों पर है। प्रदेश के 7 संभागों में मंडियों में गेहूं की बिक्री ज्यादा हो रही है, जबकि उज्जैन, नर्मदापुरम और भोपाल संभाग में ज्यादातर किसान उपार्जन केंद्रों में गेहूं बेच रहे हैं।
मंडियों में उमड़ रही भीड़…
प्रदेश में गेंहू बेचने के लिए किसान उपार्जन केंद्रों की बजाय मंडियों का रूख कर रहे हैं। प्रदेश के सभी संभागों की समीक्षा के दौरान जो आंकड़े सामने आए हैं उसके अनुसार मंडियों में भीड़ उमड़ रही है। वहीं प्रदेश के 17 जिलों में एमएसपी पर खरीदी शून्य रही है। प्रदेश के बड़वानी, बुरहानपुर, कटनी, जबलपुर, डिंडोरी, पाढुर्णा, बालाघाट, मुरैना, मऊगंज, मैहर, सिंगरौली, सीधी, अनूपपुर, उमरिया, शहडोल, टीकमगढ़ और निवाड़ी जिले में अभी तक एक भी क्विंटल गेहूं समर्थन मूल्य (2600 रुपए प्रति क्विं.) पर नहीं हुई है। रीवा संभाग के सिर्फ दो जिलों में उपार्जन केन्द्रों में गेहूं खरीदी की शुरुआत हो सकी है। रीवा में 170 मीट्रिक टन और सतना में 7,269 मीट्रिक टन गेहूं खरीदी समर्थन मूल्य पर हुई है। जबकि मऊगंज, मैहर, सिंगरौली और सीधी में खरीदी का आंकड़ा शून्य है।  मंडियों में अब तक सबसे ज्यादा गेहूं खरीदी उज्जैन संभाग में 3,89,972 मीट्रिक टन और सबसे कम नर्मदापुरम संभाग में 40.236 मीट्रिक टन हुई है। उपार्जन केंद्रों में भोपाल संभाग में 9,30,122 एमटी गेहूं खरीदी की गई है, जो प्रदेश में सबसे ज्यादा है।
किसानों से हो रही अवैध वसूली
प्रदेश में समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी शुरू होने के साथ ही खरीदी केंद्रों पर हंगामे और प्रदर्शन का दौर भी शुरू हो गया है। रतलाम में अलग-अलग केंद्रों पर हंगामे और विवाद की तस्वीरें सामने आई हैं। कहीं, किसानों की फसल गुणवत्ता से कम होने या राजस्व अधिकारियों द्वारा वेरीफाई नहीं किए जाने से नहीं खरीदी जा रही हैं तो कहीं किसानों से गेहूं अनलोड किए जाने के लिए रुपए मांगे जा रहे हैं। इटावा माताजी स्थित खरीदी केंद्र पर नायन गांव के किसान सुमेर सिंह से पिकअप वाहन में भरे गेहूं खाली करवाने के नाम पर 700 रुपए की मांग का आरोप लगाया है। इसके बाद किसानों ने गेहूं खरीदी केंद्र पर हंगामा कर दिया।  समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी केंद्र के प्रभारी संजय सिंह का कहना है कि किसानों से हम्माली के रुपए नहीं लेने का नियम है। सोसाइटी की तरफ से 15 प्रति क्विंटल की दर से हम्मालों को भुगतान किया जाता है। किसानों से किसी भी प्रकार के अनैतिक रूपों की मांग नहीं की जा सकती। ऐसा करने पर नियम अनुसार कार्रवाई की जाएगी और इस संबंध में सभी हम्मालों और कर्मचारियों को निर्देश दे दिए गए हैं।

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