- 435 मीटर लिफ्ट होकर भेजा जाएगा पानी

विनोद उपाध्याय
2489 करोड़ रुपए की नर्मदा शिप्रा बहुउद्देशीय परियोजना के शुरु होने से इस साल गर्मीयों में एक सैकड़ा गांवों के ग्रामीणों को पेयजल संकट से मुक्ति मिलने वाली है। इस परियोजना का लोकार्पण सीएम मोहन यादव द्वारा किया जा चुका है। दरअसल, इस बहुउद्देशीय परियोजना में ओंकारेश्वर जलाशय ग्राम बड़ेल जिला खंडवा से करीब 2254 किमी तक भूमिगत पाइपलाइन डालकर पानी पहुंचाया जा रहा है। इससे 30218 हेक्टेयर भूमि अब नर्मदा के पानी से सिंचित होगी। इस परियोजना से हजारों किसानों को फायदा तो मिलेगा ही साथ ही उज्जैन, नागदा और शाजापुर में पेयजल सहित उद्योगों को भी जल मिलेगा। परियोजना के शुरू होने के बाद उज्जैन, शाजापुर, नागदा, मक्सी सहित 100 गावों को पानी की किल्लत का सामना नहीं करना पड़ेगा। परियोजना में वितरण प्रणाली के अनुसार मुख्य पाइप लाइन से 2.5 हेक्टेयर तक कुल 2254 किमी पाइप लाइन बिछाई गई है। प्रति 20 हेक्टेयर पर एक ओएमएस बाक्स अर्थात कुल 1539 बाक्स स्थापित किए गए हैं। इन्ही से सिंचाई के किसानों को अपनी सुविधा अनुसार स्प्रिंकल या ड्रिप की लाइन बिछाकर ओएमएस बाक्स से जोडऩा होगा। इसी तरह पेयजल को लेने के लिए पीएचई को अपनी पाइप लाइन से जोडऩा होगा।
ऐसे लिफ्ट होगा पानी
परियोजना में 435 मीटर पानी लिफ्ट करने और करीब 2254 कि.मी. दूर तक पानी को भेजने के लिए 394 मीटर की अप्रोच चैनल और दो पम्प हाउस बड़ेल में बनाए गए हैं। इसके बाद ब्रेक प्रेशर टैंक 4239 में पानी जाएगा। यहां से अंजना कूट देवास में पम्प हाउस तीन से होकर पानी ब्रेक प्रेशर 2 में होता हुआ धोबगट्टा देवास के पम्प क्रमांक 4 और फिर यहां से ब्रेक प्रेशर 4 में जाएगा। यहां से भानगढ़ देवास पम्प क्रमांक 5 से डिलवरी चेंबर 1 में और फिर गोयल बुजुर्ग उज्जैन के पंप क्रमांक 6 से डिलवरी चेंबर 2 आउटलेट मैनेजमेंट सिस्टम तक पहुंचेगा। यहीं से जल सिंचाई पेयजल और उद्योगों तक पहुंचेगा। इस जल के वितरण की प्रक्रिया पाइप के द्वारा ही होगी।
435 मीटर ऊंचाई पर पानी लिफ्ट होगा
खरगोन के बड़ेल जलाशय का स्तर और मालवा के ग्राउंड लेवल में 435 मीटर का अंतर है। इसलिए 435 मीटर गहराई से पानी को लिफ्ट कर ओमकारेश्वर से देवास फिर उज्जैन के तराना, मक्सी, शाजपुर और अंत में नागदा तक पहुंचाया जाएगा। पानी देने के लिए पम्प लगातार चलेंगे। इसमें कुछ जगह ग्राउंड लेवल पर ग्रेविटी का भी उपयोग कर पानी को सिंचाई और पेयजल के उपयोग के लिए पहुंचाया जाएगा। किसानों को उनके आउटलेट पर बीस मीटर हेड तक पानी उपलब्ध होगा। जहां से किसान ड्रिप और स्प्रिंकलर की मदद से सिंचाई पद्धति तकनीक से कनेक्शन कर सकेंगे अपनी पर स्प्रिंकलर का प्रयोग करके सिंचाई कर सकेंगे।
आधुनिक तकनीक का होगा उपयोग
परियोजना में आधुनिक तकनीक स्काडा का प्रयोग किया जा रहा है। इस तकनीक में देवास के पास एक हाईटेक कंट्रोल रूम बनाया है। जहां परियोजना के किसी क्षेत्र की लाइन को चालू और बंद कर उसकी निगरानी कर सकेंगे। इसके साथ ही पूरी 200 किमी की लाइन को कंट्रोल रूम में बैठकर ऑपरेट करना। इसके अलावा किसी भी वाल को बैठे-बैठे कंट्रोल रूम से बंद या चालू कर कहां पानी देना है कहां नहीं इसकी भी मॉनिटरिंग हो सकेगी।
किस क्षेत्र को कितना पानी
पाइप लाइन खरगोन जिले की बड़ेल से शुरू होकर देवास तक लाई गई है। इसके बाद भानगढ़ से लाइन को डिवाइड किया गया है। एक लाइन तराना के लिए दूसरी लाइन उज्जैन जिले के लिए गई है। उज्जैन की लाइन में सिर्फ पेयजल और उद्योगिक के उपयोग के लिए तीन क्यूबिक जल मिलेगा। वहीं तराना के लिए 10 क्यूबिक जल सिंचाई के लिए मिलेगा। इसी से उज्जैन और शाजापुर के गांवों को सिंचाई के लिए पानी मिलेगा। भूमिगत पाइप लाइन का नागदा अंतिम छोर होगा। यहां पर उद्योग और पेयजल दोनों के लिए पानी का उपयोग किया जा सकेगा। इसके अलावा शाजापुर, मक्सी को पेयजल, उद्योग के लिए भी पानी मिलेगा।
6 पम्प से 15 क्यूबिक पानी लिफ्ट होगा
परियोजना से नर्मदा का पानी उज्जैन के तराना, मक्सी और शाजापुर पहुंचना शुरू हो गया है। इससे 100 गांवों की 30218 हेक्टेयर भूमि में सिंचाई सुविधा उपलब्ध होगी। जिससे उज्जैन जिले की दो तहसील (तराना, घटिया), विधानसभा क्षेत्र तराना के कुल 83 गांवों की 27490 हेक्टेयर भूमि। वहीं शाजापुर जिले की एक तहसील (शाजापुर) विधानसभा क्षेत्र शाजापुर के कुल 17 गावों की 2728 हेक्टेयर भूमि सिंचित हो सकेगी। इस परियोजना के लिए ओमकारेश्वर जलाशय से पानी को लिफ्ट किया जाएगा। 6 पंप हाउस बनाए है। 2 खरगोन और 3 पंप हाउस देवास जिले में है। वहीं 1 पंप हाउस उज्जैन जिले में बनाया गया है। परियोजना में ओमकारेश्वर जलाशय से 15 क्यूबिक जल लिफ्ट कर रहे हैं। जिसमें से दस क्यूबिक जल सिंचाई के लिए उपयोग किया जाएगा। वहीं पांच क्यूबिक जल पेयजल और औद्योगिक के लिए आरक्षित रखा है।