फाइलें पकड़ेंगी रफ्तार…तेजी से होगा सरकारी काम

  • तकनीकी आधारित नई व्यवस्था से दिखेगा बड़ा बदलाव

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम
मप्र में सुस्त शासकीय व्यवस्था का गति देने के लिए मुख्य सचिव अनुराग जैन के निर्देश पर मंत्रालय के साथ ही विभागाध्यक्ष कार्यालयों में ई-ऑफिस सिस्टम लागू कर दिया गया है। तकनीकी आधारित इस नई व्यवस्था से प्रशासनिक व्यवस्था में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। इससे  फाइलों का मूवमेंट ऑनलाइन होने से सरकारी कामकाज में तेजी आएगी।
दरअसल, प्रदेश में सुशासन पर जोर दे रही सरकार का फोकस इस बात पर है कि जनता के काम तेज गति और आसानी से हो। इसके लिए ई-ऑफिस सिस्टम लागू किया गया है।  इससे सरकारी विभाग में फाइल किस जगह है, ऑनलाइन पता चल जाएगा। संबंधित फाइल में प्रगति और अपडेट जानकारी भी ऑनलाइन मिलेगी। पत्रावलियों के मूवमेंट और कार्यालयों में फाइलों का समयबद्ध निस्तारण सुनिश्चित होगा। ट्रैकिंग से फाइल डिस्पोजल या काम पूरा होने में देरी होती है तो तुरंत उच्चाधिकारियों के निर्देश के जरिये मूवमेंट तेज किया जा सकता है और फाइल से जुड़े काम को अंजाम दिया जा सकता है।
फाइलों का मूवमेंट डिजिटली
मुख्य सचिव के निर्देश पर विभागाध्यक्ष कार्यालयों में एक मार्च से ई-ऑफिस सिस्टम लागू कर दिया गया है। मंत्रालय की तर्ज पर विभागाध्यक्ष कार्यालयों में कुछ फाइलों का मूवमेंट ऑनलाइन होने लगा है। हालांकि नया सिस्टम होने से अधिकारी, कर्मचारी इस पर काम करने में कतरा रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि जल्द ही सभी फाइलों का मूवमेंट डिजिटली होने लगेगा। जानकारी के अनुसार इस महीने राजधानी के दो बड़े प्रशासनिक कार्यालयों में तकनीकी आधारित नई व्यवस्थाएं लागू की गई हैं। इनका मकसद प्रशासनिक कामकाज में तेजी लाना और कर्मचारियों की निर्धारित समय पर कार्यालय में उपस्थिति सुनिश्चित करना है।  एक मार्च से विभागाध्यक्ष कार्यालयों में ई-ऑफिस सिस्टम शुरू किया गया है। विभागाध्यक्ष कार्यालयों के सभी अधिकारी, कर्मचारियों को जनवरी में इसकी ट्रेनिंग दी गई थी। अधिकारियों का कहना है कि कर्मचारियों की मैनुअली काम करने की आदत वर्षों पुरानी है, इसलिए उन्हें नए सिस्टम में ढलने में कुछ वक्त लगेगा। कई कर्मचारियों को ऑनलाइन फाइलें आगे बढ़ाने में तकनीकी दिक्कतें आ रही है, इसलिए अभी कुछ फाइलों का मूवमेंट ही ऑनलाइन हो रहा है। बता दे कि शासन ने ई-ऑफिस सिस्टम तीन चरणों में लागू करने का निर्णय लिया था। पहले चरण में एक जनवरी से मंत्रालय में और दूसरे चरण में एक मार्च से विभागाध्यक्ष कार्यालयों में ई-ऑफिस सिस्टम लागू हो चुका है। तीसरे चरण में सभी जिला स्तर के कार्यालयों में ई-ऑफिस सिस्टम लागू करने की तैयारी है।
कर्मचारियों की लेटलतीफी पर भी अंकुश
मंत्रालय में अधिकारी, कर्मचारियों की लेटलतीफी पर अंकुश लगाने के लिए अटेंडेंस की नई तकनीकी आधारित व्यवस्था आधार बेस्ड फेस अटेंडेंस लगना शुरू हो गई है। इस नए सिस्टम में कर्मचारियों को वल्लभ भवन की 100 मीटर की परिधि में अपने मोबाइल से अटेंडेंस लगाना पड़ रही है। अटेंडेंस लगाने के बाद जीएडी के सिस्टम और संबंधित कर्मचारी के मोबाइल पर मैसेज आता है। सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अभी नया सिस्टम ट्रायल पर है, इसलिए कई कर्मचारी आधार बेस्ड ई अटेंडेंस  लगाने से बच रहे हैं। नए सिस्टम में सामने आ रही खामियों को दूर कर इसे अप्रैल से सख्ती से लागू करने की तैयारी है। मंत्रालय में कर्मचारियों की संख्या करीब 1400 है।   दरअसल, मंत्रालय में कई अधिकारी-कर्मचारियों की लेटलतीफी को देखते हुए शासन ने पिछले साल जून में सख्ती बरतते हुए अटेंडेंस को लेकर नई व्यवस्था शुरू की थी। इस व्यवस्था में कर्मचारियों को मंत्रालय पहुंचकर सबसे पहले अटेंडेंस रजिस्टर में हस्ताक्षर करना होते थे। रोजाना इसकी रिपोर्ट जीएडी के पास जाती थी। लेट पहुंचने वाले कर्मचारियों की कैजुअल लीव (सीएल) लगा दी जाती थी।  इस सख्ती का नतीजा यह हुआ कि कर्मचारी समय पर कार्यालय पहुंचने लगे लेकिन कुछ महीनों बाद जैसे ही विभागों ने अटेंडेंस की डेली रिपोर्ट सौंपे जाने को लेकर नरमी बरती, कर्मचारियों का वही पुराना ढर्रा शुरू हो गया। वे पूर्व की तरह देरी से मंत्रालय पहुंचने लगे। इसे देखते हुए मंत्रालय में आधार बेस्ड फेस अटेंडेंस सिस्टम शुरू किया गया है। गौरतलब है कि मप्र सरकार ने करीब चार साल पहले केंद्र सरकार की तर्ज पर प्रदेश के सरकारी कार्यालयों में फाइव डेज वीक लागू किया था। सामान्य प्रशासन विभाग ने 8 अप्रैल, 2021 को इस संबंध में आदेश जारी किया था। आदेश के अनुसार कार्यालयों के पूर्व के समय (सुबह 10.30 से शाम 5.30 बजे) में संशोधन करते हुए सभी सरकारी कार्यालयों का समय सुबह 10 से शाम 6 बजे तक कर दिया गया है। जीएडी के आदेश के बाद रविवार के साथ ही हर शनिवार को सरकारी कार्यालयों में अवकाश रहने लगा है, जबकि कोरोना काल से पूर्व महीने के पहले और चौथे शनिवार को सरकारी कार्यालय बंद रहते थे। लेकिन इसके बावजूद कर्मचारी समय पर कार्यालय नहीं पहुंच रहे हैं।

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