कम होने की बजाय हर साल बढ़ रहा सब्सिडी का भार
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम
मप्र में 1 अप्रैल से प्रस्तावित बिजली की दरों में 7.25 प्रतिशत बढ़ोतरी की तैयारी है। प्रदेश की तीनों वितरण कंपनियों की होल्डिंग मप्र पावर मैनेजमेंट कंपनी की ओर से राज्य विद्युत नियामक आयोग के समक्ष पेश की गई टैरिफ याचिका में 58 हजार 744 करोड़ रुपए राजस्व खर्च का अनुमान व्यक्त किया गया है। तर्क दिया गया है कि यदि वितरण कंपनियों ने मौजूदा दरों पर बिजली बेची तो 4107 करोड़ रुपए का घाटा होगा। इसकी भरपाई के लिए बिजली महंगी करने का प्रस्ताव पेश किया गया है। जानकारों का कहना है कि उपभोक्ताओं पर बिजली बढ़ोत्तरी का भार बिजली सब्सिडी के कारण पड़ रहा है। दरअसल, सरकार हर साल बिजली की सब्सिडी कम करने का प्रयास करती है, लेकिन अंतत: उसका भार उपभोक्ताओं पर डाल दिया जाता है।
गौरतलब है कि प्रदेश में 5 साल से ज्यादा समय से बिजली सब्सिडी कम करने के प्रयास हो रहे हैं, पर यह कम होने की जगह बढ़ती जा रही है। बिजली कंपनियों ने दर वृद्धि का प्रस्ताव दिया है। अप्रैल से नई दरें लागू होनी हैं। बिजली लागत में बढ़ोतरी उपभोक्ता से वसूलना तय है। जनता पर वृद्धि का असर सरकार पर भी सब्सिडी के रूप में पड़ेगा। इस साल बिजली सब्सिडी में करीब चार हजार करोड़ की वृद्धि होगी। राज्य सरकार को 12 मार्च के बजट में प्रावधान करने होंगे। सब्सिडी कम करने पहले मंत्रियों की हाईपावर कमेटी भी बनी पर यह कोई रास्ता नहीं खोज पाई। इसके पीछे चुनावी एजेंडे से लेकर कंपनियों की गड़बड़ियां तक जिम्मेदार हैं।
अब तक 5 बार हो चुके हैं प्रयास
प्रदेश में बिजली सब्सिडी कम करने के प्रयास होते रहे हैं। अब तक पांच बार प्रयास हो चुके हैं। 2019 में कमलनाथ सरकार में तत्कालीन मंत्री प्रियव्रत सिंह की अध्यक्षता में बिजली रिफॉर्म पर 3 मंत्रियों की कमेटी बनी। दीर्घकालीन बिजली के करारों को खत्म करने का रास्ता भी खोजना था, पर कोई हल नहीं। जून 2021 में शिवराज सरकार में बिजली सब्सिडी कम करने का मुद्दा पहली बार कैबिनेट में उठा। कुछ मंत्रियों ने सब्सिडी का फायदा सरकार को नहीं मिलने की बात कही। 2022 में तत्कालीन ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर की अध्यक्षता में मंत्री गोपाल भार्गव, अरविंद भदौरिया सहित छह मंत्रियों की हाईपावर कमेटी बनी। 3 बैठकें की पर कोई हल नहीं निकला। 2023 में मोहन सरकार में सितंबर 2024 और इसके बाद बिजली विभाग ने सब्सिडी कम करने के प्रयास किए। तत्कालीन एसीएस सब्सिडी पाने वाले उपभोक्ताओं की जांच करने उतरे। कई जगह निरीक्षण किए। अपात्र सब्सिडी वाले पकड़े। इसके बाद अभियान फिर ठप।
सब्सिडी कम करने का प्रयास ठंडे बस्ते में
प्रदेश में सस्ती बिजली के लिए सरकार कंपनियों को सब्सिडी देती है। वर्तमान में यह 26,500 करोड़ रुपए सालाना है। सौ यूनिट बिजली सौ रुपए में देने सहित अन्य योजनाओं में सरकार सब्सिडी देती है। बिजली का औसत दाम छह रुपए व अन्य चार्ज है। इसका अंतर सरकार सब्सिडी के रूप में देती है। प्रदेश में अभी 80 लाख उपभोक्ता सब्सिडी के दायरे में है। सब्सिडी को बार-बार चुनावी हथकंडा बनाने का मुद्दा भी उठता रहा। सरकार में मंत्रियों के स्तर पर यह माना कि 26,500 करोड़ रुपए की सब्सिडी देने के बाद भी सरकार को उतना प्रचार में फायदा नहीं मिलता। इससे सब्सिडी कंपनियों को ने दे, सीधा उपभोक्ता को दें। इसमें पहले पूरा बिजली बिल वसूला जाए और बाद में सब्सिडी देकर राहत दी जाए। इससे सरकार को राजनीतिक लाभ मिलेगा। हालांकि यह प्रस्ताव ठंडे बस्ते में है।
11/03/2025
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