मुसलमान मथुरा-वाराणसी छोड़ दें

  • अयोध्या में खुदाई करने वाले पुरातत्वविद केके मुहम्मद की  सलाह

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम
वर्ष 2016 में अयोध्या में पुरातात्विक खुदाई से मस्जिद के नीचे मंदिर की उपस्थिति के प्रमाण भारत की सर्वोच्च न्यायालय में प्रस्तुत करने वाले भारतीय पुरातत्वविद केके मुहम्मद विक्रम महोत्सव के अंतर्गत आयोजित अंतरराष्ट्रीय इतिहास समागम में शामिल होने उज्जैन पहुंचे। कार्यक्रम में उन्होंने विभिन्न ऐतिहासिक विषयों पर अपने विचार रखते हुए कहा कि मुसलमानों को मथुरा और वाराणसी पर दावा छोड़ देना चाहिए। साथ ही, हिंदुओं को भी सलाह दी कि इन दो स्थानों के बाद उन्हें हर एक मस्जिद के पीछे जाना छोड़ देना चाहिए, क्योंकि इससे कुछ हासिल नहीं होगा। उन्होंने आगाह किया कि यदि हिंदू और मुस्लिम आपसी समझ नहीं विकसित करते हैं, तो भारत का हाल भी सीरिया जैसा हो सकता है। उन्होंने वर्तमान में चर्चा में बने संभल विवाद का भी उल्लेख किया। बाबरी मस्जिद के नीचे मंदिर के अवशेषों की पुष्टि करने वाले पुरातत्वविद के के मुहम्मद ने मीडिया से चर्चा के दौरान बताया कि उन्होंने ही सबसे पहले बाबरी मस्जिद के नीचे मंदिर दबे होने की खोज की थी और इसकी जानकारी सुप्रीम कोर्ट को दी थी। इस आधार पर, अयोध्या विवाद पर सर्वोच्च न्यायालय ने ऐतिहासिक फैसला दिया, जिसमें रामलला पक्ष को विवादित भूमि का मालिकाना हक मिला और मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में 5 एकड़ जमीन आवंटित की गई। आज अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण पूरा हो चुका है।
कौन हैं केके मोहम्मद
मुहम्मद करिंगा मन्नू कुझिल मुहम्मद एक भारतीय पुरातत्वविद् हैं, जिन्होंने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के क्षेत्रीय निदेशक (उत्तर) के रूप में कार्य किया। मुहम्मद को इबादत खाना, साथ ही कई प्रमुख बौद्ध स्तूपों और स्मारकों की खोज का श्रेय दिया जाता है। केके मुहम्मद एक प्रसिद्ध भारतीय पुरातत्वविद् है। वे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के क्षेत्रीय निदेशक (उत्तर) थे, और वर्तमान में आगा खान संस्कृति ट्रस्ट में पुरातात्विक परियोजना निदेशक के रूप में सेवा दे रहे हैं। याद रहे कि के के मुहम्मद सिर्फ एक पुरातत्वविद नहीं हैं, जिन्होंने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के निदेशक के तौर पर काम किया बल्कि यह वह पुरातत्वविद है जिसने प्राचीन मंदिरों को सहेजने में अपनी पूरी जिंदगी लगा दी। यही नहीं मोहम्मद फतेहपुर सीकरी में अकबर के इबादतखाना सहित कई प्रमुख खोज में शामिल रहे हैं।
1976 में की थी खुदाई
के के मुहम्मद वही पुरातत्वविद हैं, जिन्होंने बाबरी मस्जिद के नीचे मंदिर दबे होने की खोज को दुनिया के सामने लाया। उन्होंने बताया कि 1990 में राम जन्मभूमि विवाद पर देशभर में बहस तेज हो गई थी। इस दौरान उन्हें 1976-77 में किए गए पुरातात्विक अध्ययन की याद आई, जब वे अयोध्या में खुदाई टीम का हिस्सा थे। बी. बी. लाल की अगुवाई में पुरातत्व विभाग द्वारा 1976 में राम जन्मभूमि पर खुदाई की गई थी। खुदाई के बाद उन्होंने यह दावा किया था कि अयोध्या में राम का अस्तित्व है, जिससे देशभर में सनसनी फैल गई। इस बयान के कारण उन्हें विभागीय कार्रवाई का सामना भी करना पड़ा, लेकिन वे अपने दावे पर कायम रहे। उन्होंने कहा था— झूठ बोलने से अच्छा है कि मैं मर जाऊं।
खुदाई के दौरान मिले साक्ष्य
1990 में राम जन्मभूमि विवाद के दौरान इस खुदाई को फिर से चर्चा में लाया गया। 1976-77 में प्रो. बीबी लाल के नेतृत्व में की गई खुदाई में के के मुहम्मद भी शामिल थे। उस समय दिल्ली स्कूल ऑफ आर्कियोलॉजी के 12 छात्रों में वे एक थे। इस खुदाई में मंदिर के स्तंभों के नीचे ईंटों से बना आधार मिला। मुहम्मद को आश्चर्य था कि इससे पहले किसी ने इसे पूरी तरह खोदकर देखने की जरूरत नहीं समझी। उन्होंने बताया कि बाबरी मस्जिद की दीवारों में मंदिर के खंभे स्पष्ट रूप से दिखते थे। मंदिर के स्तंभों का निर्माण ब्लैक बसाल्ट पत्थरों से किया गया था। स्तंभों के निचले भाग पर 11वीं और 12वीं सदी की मंदिर निर्माण शैली के पूर्ण कलश उकेरे गए थे। उन्होंने बताया कि भारतीय मंदिर कला में पूर्ण कलश को आठ ऐश्वर्य चिन्हों में से एक माना जाता है।

Related Articles