- नियमों का बोझ और सरकारी दखलंदाजी कम करने की कवायद..

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा के बाद मप्र सरकार एक डीरेगुलेशन कमीशन (नियमों में ढील देने वाला आयोग) बनाने जा रही है। इस कमीशन का काम समाज पर नियमों का बोझ कम करना और सरकारी दखलंदाजी घटाना होगा। यानी यह कमीशन उन तमाम नियम-कानूनों को देखेगा जो लोगों और व्यापारियों के लिए मुश्किल पैदा करते हैं। दरअसल, सरकार का मानना है कि नियमों के बोझ और सरकारी दखलंदाजी के कारण मप्र में निवेश प्रस्ताव धरातल पर उतारने में निवेशकों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसलिए अब सरकार निवेशकों की बाधाएं दूर करने के लिए डीरेगुलेशन कमीशन बनाने की तैयारी कर रही है।
गौरतलब है कि मप्र में अब तक हुए ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट में निवेश के प्रस्ताव तो भरपूर मिले, लेकिन वे धरातल पर नहीं उतर पाए। मप्र ने ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में एक अभूतपूर्व उपलब्धि हासिल करते हुए 30.77 लाख करोड़ के रिकॉर्डतोड़ समझौता ज्ञापन प्राप्त किए। भोपाल में आयोजित इस समिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहा कि यह आयोजन प्रदेश के लिए एक परिवर्तनकारी क्षण बन गया। इस सफलता ने मप्र को वैश्विक निवेश मानचित्र पर एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित कर दिया है। ऐसे में मप्र सरकार की कोशिश है कि प्रदेश में निवेश के जो प्रस्ताव मिले हैं, उन्हें पूरी तरह धरातल पर उतारा जाए।
इन्वेस्टर्स की बाधाएं दूर होंगी
डीरेगुलेशन कमीशन बनाने का सरकार का मुख्य उद्देश्य उद्योग और व्यवसाय के क्षेत्र में नियमों का बोझ कम करना और सरकारी दखलंदाजी घटाना है, यानी यह कमीशन उन तमाम नियम-कानूनों को देखेगा, जो उद्यमियों के लिए मुश्किल पैदा करते हैं। डीरेगुलेशन कमीशन के जरिए सरकार प्रदेश में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देकर इन्वेस्टर्स फ्रेंडली माहौल तैयार करेगी। भोपाल में हुई दो दिवसीय ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में देश-दुनिया के निवेशकों से 26.61 लाख करोड़ रुपए के निवेश प्रस्ताव मिले और एमओयू हुए। सरकार ने इससे 17.34 लाख युवाओं की रोजगार मिलने का दावा किया है। समिट की सफलता से सरकार उत्साहित है। इन्वेस्टर्स समिट के शुभारंभ के मौके पर जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डीरेगुलेशन कमीशन की बात कहीं, वहीं समिट के समापन समारोह में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि इनमें से ज्यादा से ज्यादा एमओयू जमीन पर उतरे, यह प्रयास करना होगा। इससे निवेश प्रस्ताव और एमओयू को धरातल पर उतारने को लेकर मप्र सरकार पर दबाव बढ़ गया है। यही वजह है कि सरकार निवेश प्रस्तावों को धरातल पर उतारने को लेकर अभी से गंभीर हो गई है।
नियम-कानूनों का परीक्षण करेगी सरकार
औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि डीरेगुलेशन कमीशन में सरकार उद्योग से जुड़े नियम-कानूनों का परीक्षण करेगी। इसमें ऐसे नियम-कानूनों को समाप्त किया जाएगा या उनका सरलीकरण किया जाएगा, जिनके कारण निवेशकों को सरकारी कार्यालयों के चक्कर काटना पड़ते हैं। उद्योगों के लिए अनुमतियों का परीक्षण कर उन अनुमतियों को समाप्त किया जाएगा, जिनकी जरूरत नहीं है। इसमें उद्यमियों को सभी परमिशन ऑनलाइन देने समेत अनापत्ति प्रमाण पत्र देने की समय सीमा कम की जाएगी।
सीएस करेंगे निवेश प्रस्तावों की समीक्षा
मुख्य सचिव हर महीने समिट में प्राप्त निवेश प्रस्तावों की समीक्षा करेंगे। मप्र सरकार ने उद्योगपतियों और निवेशकों को मप्र में निवेश के लिए आकर्षित करने उद्योग फ्रेंडली 18 नीतियां तैयार की है। पीएम नरेंद्र मोदी ने 24 फरवरी को जीआईएस के शुभारंभ के मौके पर ये नीतियां लॉन्च की थी। इनमें निवेशकों को वित्तीय सहायता देने समेत अन्य कई रियायतें दी गई हैं। इन नीतियों में विभिन्न विभागों में अनुमतियों की संख्या कम करने, निवेशकों की आसानी के लिए सिंगल विंडो शुरू करने, मप्र की लॉजिस्टिक क्षमता को बढ़ाने अनापत्ति प्रमाण पत्र 10 दिन में देने, पीपीपी मोड को बढ़ावा देने आदि प्रावधान किए गए है। सीएस अनुराग जैन ने जीआईएस के समापन अवसर पर कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जीआईएस के शुभारंभ अवसर पर कहा था कि समाज में सरकार का हस्तक्षेप कम होना वाहिए। इसके लिए उन्होंने डीरेगुलेशन कमीशन की बात कही। इसके बाद सीएम डॉ. मोहन यादव ने हमें गाइडेंस दिया कि इस मार्गदर्शन की लेकर हमें आगे बढऩा है। इस पर हम लोग विचार कर रहे हैं।
भविष्य के लिए मजबूत नींव
30.77 लाख करोड़ के निवेश समझौते, रणनीतिक साझेदारिया और नवाचार को बढ़ावा देकर मध्य प्रदेश ने खुद को भारत के सबसे होनहार आर्थिक केंद्रों में से एक के रूप में स्थापित कर लिया है। जीआईएस 2025 की सफलता ने प्रदेश के उज्जवल भविष्य की नींव रख दी है, जिससे यह राज्य आने वाले वर्षों में वैश्विक स्तर पर पहचान बनाने के लिए पूरी तरह तैयार है। इस समिट में एक अनूठा एआई-आधारित बिजनेस मैचमेकिंग टूल पेश किया गया, जिसने व्यापारिक साझेदारियों को अधिक प्रभावी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस टूल के माध्यम से 600 से अधिक बिजनेस-टू-गवर्नमेंट और 5,000 से अधिक बिजनेस-टू-बिजनेस बैठकों का सफल आयोजन हुआ। इससे प्रदेश में दीर्घकालिक और सतत निवेश को बढ़ावा मिला। समिट में 10 थीमैटिक सत्र आयोजित किए गए, जिनमें नवीकरणीय ऊर्जा, मेडिकल डिवाइसेस और टेक्सटाइल जैसे प्रमुख निवेश क्षेत्रों पर चर्चा की गई। इन सत्रों ने यह दर्शाया कि मप्र अपने औद्योगिक आधार का विविधीकरण कर रहा है और उभरते हुए क्षेत्रों को अपनाने के लिए तैयार है।