- अधर में लटके मास्टर प्लान का उठाया जा रहा बेजा फायदा

विनोद उपाध्याय
प्रदेश की राजधानी भोपाल हो या व्यावसायिक राजधानी इंदौर या अन्य बड़े शहर वहां के मास्टर प्लान अधर में लटके हुए हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह है भू-माफिया। शासन-प्रशासन की भू-माफिया पर विशेष अनुकंपा का ही परिणाम है कि प्रदेश के बड़े शहरों में मास्टर प्लान लागू नहीं किया जा रहा है, जबकि टीएनसीपी धारा 16 के तहत भू-माफिया को विशेष अनुमति दे रहा है। गौरतलब है कि धारा 16 का उपयोग विशेष परिस्थितियों में किया जाता है। लेकिन टीएनसीपी के अफसरों ने धारा 16 का उपयोग कर करोड़ों के वारे-न्यारे कर लिए है। सूत्रों के अनुसार मंत्री बनने के तुरंत बाद विभागीय मंत्री ने धारा 16 के तहत अनुमति देने का निर्णय लिया था। जिसमें प्रदेश के तीन बड़े शहर भोपाल, इंदौर, जबलपुर जहां मास्टर प्लान नहीं है ,वहां धारा 16 का प्रयोग कर खेल शुरू कर दिया गया। इस खेल में भू-माफिया की हजारों एकड़ जमीन के नक्शे इस धारा के तहत मंजूर कर उन्हें तो फायदा पहुंचाया ही साथ ही फायदा पहुंचाने वालों ने भी भरपूर लाभ कमाया है। टाउन एंड कंट्री प्लानिंग में भू-माफिया को लाभ पहुंचाने का बड़ा खेल किया जा रहा है। मास्टर प्लान को रोककर प्लानिंग क्षेत्र में जमीनों को धारा 16 के तहत नक्शे मंजूर कर अनुमति प्रदान की जा रही है। यह सब खेल जिम्मेदार अफसरों की शह पर अधीनस्थ अफसर आपस में मिल-बांट कर खेल रहे है। अपने स्वार्थों की पूर्ति के लिए राजधानी का रूप और स्वरूप बिगाड़ा जा रहा है। टीएंडसीपी के अफसरों ने अपने स्वार्थों की पूर्ति और भू माफिया को लाभ पहुंचाने के नाम पर शहर का नक्शा तो बर्बाद कर ही दिया है साथ ही जनता के साथ भी धोखा किया जा रहा है।
गांवों में बसा दी कॉलोनी
प्रदेश में मास्टर प्लान की आड़ में ऐसा खेल खेला जा रहा है, जिसके तहत गांवों को शहर में शामिल कर वहां कॉलोनियां विकसित की जा रही है। भोपाल मास्टर प्लान ड्राफ्ट 2031 को रद्द करने के बाद मास्टर प्लान-2047 का ड्राफ्ट बनाया। राजधानी के 51 गांवों और जबलपुर में भी 55 गांव शहर में शामिल कर दिए गए। यह बात अलग है कि उनमें सुविधाएं भी विकसित नहीं हुर्इं। भूमाफिया ने प्लॉटिंग कर ऊंचे दाम में प्लॉट बेचकर जमकर चांदी काटी। इससे अब गांव न तो गांव रहे और न ही शहर का हिस्सा ही बन सके। नतीजा, सडक़ , पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए लोग जूझ रहे हैं। इंदौर में 10 साल पहले मास्टर प्लान क्षेत्र में आने से जिन गांवों को शहर में शामिल किया, वे अब भी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। ड्रेनेज, पानी और स्ट्रीट लाइट तक नहीं है। इससे रहवासी परेशान हैं। इसका फायदा जमीन के जादूगरों ने उठाया। इन गांवों में बिना सुविधा कॉलोनियां बसाई। जमीनों के तीन गुना ज्यादा दाम देने के बाद भी यहां लोगों को सुविधाएं नहीं मिल रहीं। दरअसल, मास्टर प्लान में 79 गांव को विकास क्षेत्र में शामिल किया गया। इनमें से 29 गांव 2015 में शहर में शामिल किए। इसी तरह से 52 ताल, 84 तलैया वाले जबलपुर के तालाब अतिक्रमण और अवैध कॉलोनाइजरों के निशाने पर है। कई तालाब कॉन्क्रीट के जंगल में बदल गए हैं। कई अंतिम सांसें गिन रहे हैं। 2014 में नगर निगम सीमा में 55 गांव शामिल होने के बाद और मास्टर प्लान में देरी से पुराने तालाब सहित पहाड़ की जमीनों, पर अतिक्रमण बढ़ रहा है। 2014 में परिसीमन के बाद शहर के बाइपास से लगे तेवर गांव को मिलाकर वार्ड-71 बनाया और यहां के तालाब पर कब्जा है। वहीं मास्टर प्लान ड्राफ्ट- 2031 रद्द करने के बाद मास्टर प्लान-2047 के ड्राफ्ट में राजधानी के आसपास के 51 गांव जोड़े गए है। प्लानिंग एरिया 813.92 वर्ग किमी से बढकऱ 10 16,90 वर्ग किमी हो गया। लेकिन प्लानिंग एरिया में शामिल गांव की दिशा नहीं सुधरी पुरानी बसाहट पहले से ही असुविधा झेल रही थी, प्लानिंग एरिया में शामिल होने के बाद बिना अनुमति खेती की जमीन पर विकसित नई बसाहट ने इसे कई गुना बढ़ा दिया। 2047 के लिए शहर में शामिल नए 51 गांवों के साथ बड़ा तालाब के कैचमेंट एरिया में शामिल भोपाल व सीहोर जिले के 100 गांवों में से 30 को भी प्लानिंग गरिया में शामिल किया है।
शहरों का विकास कागजों में कैद
भू-माफिया के कारण प्रदेश में शहरी विकास का पहिया सरकारी कागजों में कैद कर मास्टर प्लान का प्लान टाल दिया गया है। इसके पीछे का खेल यह है कि मंत्री और अफसर दोनों मिलकर धारा 16 के तहत भूमाफिया को विशेष अनुमति देने में लगे हुए हैं। जिससे मास्टर प्लान का तो सत्यानाश किया ही जा रहा है साथ ही शहरों के स्वरूप को भी विकृत किया जा रहा है। जन सुविधाओं को बढ़ाने के लिए शहरों से लगे गांवों को शहर का हिस्सा तो बना लिया लेकिन मास्टर प्लान का प्लान नहीं बन पाया। प्रदेश में शहरों के विकास का पहिया सरकारी कागजों में ही कैद है। संपूर्ण विकास और लोगों की सुविधाएं बढ़ाने के लिए सरकार ने शहरों से लगे गांवों को शहर का हिस्सा बताया। लेकिन मास्टर प्लान नहीं बनाया। बड़े शहर भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर में से सिर्फ ग्वालियर में ही मास्टर प्लान लागू हो सका। इंदौर और जबलपुर का विकास 2021 के मास्टर प्लान के भरोसे है। वहीं, भोपाल 19 साल पुराने मास्टर प्लान पर रंगकर विकास की सीडिय़ां चढऩे को विवश है।