सिस्टम की नाकामी पड़ रही भारी

  • जल आपूर्ति और सीवरेज के प्रोजेक्ट पिछड़े

गौरव चौहान
मप्र में जल आपूर्ति और सीवरेज के कई प्रोजेक्ट चल रहे हैं। लेकिन सिस्टम की नाकामी के कारण 4000 करोड़ के वॉटर सप्लाई और सीवरेज के प्रोजेक्ट पिछड़ गए हैं। इसका खामियाजा ठेकेदारों को उठाना पड़ रहा है। ठेकेदारों पर पेनाल्टी लगाई जा रही है।  जिससे ठेकेदार परेशान हैं। गौरतलब है कि मप्र अर्बन डेवलपमेंट कंपनी राज्य के छोटे नगरों और शहरों में पेयजल व सीवरेज का बुनियादी नेटवर्क तैयार करने के प्रोजेक्ट पर काम कर रही है। यह योजनाएं केंद्र और राज्य सरकार की मदद के साथ विदेशी बैंकों के लोन से तैयार होने जा रही है। एशियाई विकास बैंक (एडीबी), वल्र्ड बैंक और केएफडब्ल्यूडी से मिले कर्ज और ग्रांट से वर्ष 2017 में योजनाओं पर काम शुरू किया गया था। प्रदेश में लगभग चार हजार करोड़ रुपए की लागत से तैयार होने वाले वॉटर सप्लाई और सीवरेज के प्रोजेक्ट में हम पिछड़ चुके हैं। आलम यह है कि अब तक 72 प्रोजेक्ट पूरे हो पाए हैं और इसमें से 95 फीसदी से अधिक लेट हैं। ऐसे में ठेकेदारों पर रोजाना 0.15 प्रतिशत के हिसाब से पेनल्टी लगाई जा रही है।
650 किमी सीवरेज बिछाई जा रही
जर्मन बैंक केएफडब्ल्यू के सहयोग से नर्मदा के किनारे के पांच शहरों का सीवरेज सिस्टम तैयार किया जा रहा है। नर्मदापुरम, नरसिंहपुर, सेंधवा, बड़वानी और मंडला में यह प्रोजेक्ट चल रहे हैं। इसके तहत कुल 650 किमी सीवरेज लाइन बिछाई जा रही है। साथ में सात सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और 22 सीवेज पंपिंग स्टेशन का निर्माण किया जा रहा है। ठेकेदार कंपनियों को प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद दस साल तक इनका ऑपरेशन व मेंटेनेंस करना होगा। पांचों शहरों में 3.70 लाख से अधिक लोग रहते हैं। इन योजनाओं का उद्देश्य सभी शहरों के 100 फीसदी घरों में सीवेज कनेक्शन देना है, ताकि गंदगी नर्मदा नदी में मिलने से रोकी जा सके। यहां बता दें कि एनजीटी की सेंट्रल बैंच नर्मदा किनारे बसे शहरों से नदी में मिल रहे सीवेज पर नाराजगी जता चुकी है। सुनवाई के दौरान संबंधित नगरीय निकायों से पर्यावरण क्षति वसूलने के निर्देश दिए थे और सीवरेज सिस्टम तैयार करने की समय सीमा भी तय की थी।
72 प्रोजेक्ट पूरे
एमपीयूडीसी के अधिकारियों के मुताबिक लगभग आठ हजार करोड़ की लागत के 167 प्रोजेक्ट मंजूर किए गए हैं। इसमें से पांच हजार करोड़ रुपए अब तक खर्च किए जा चुके है। मौजूदा स्थिति में 72 प्रोजेक्ट पूरे हो गए हैं। एडीबी की मदद से ही पहले चरण में 64 नगरीय निकायों में वाटर सप्लाई और चार निकायों में सीवरेज के प्रोजेक्ट किए गए। अधिकांश प्रोजेक्ट के लिए दो साल की समय सीमा तय की गई थी। अधिकारियों की माने ती ज्यादातर प्रोजेक्ट तय समय से पिछड़ गए हैं। जल प्रदाय और सीवरेज के अधिकांश प्रोजेक्ट पिछड़ने के पीछे कई कारण हैं। कई योजनाओं के लिए साइट क्लियर कराने में देरी हुई। कहीं निर्माण के लिए जमीन मिलने में काफी समय लग गया। ऐसे भी मामले सामने आए है कि पाइप लाइन बिछा दी है, लेकिन दूसरे विभाग के जल स्त्रोत से पानी मिलना शुरू नहीं हो पाया है। इसके अलावा ठेकेदारों की दिलाई की वजह से भी कुछ प्रोजेक्ट पिछड़ गए है। इसका परिणाम यह हुआ है कि ठेकेदारों पर रोजाना अनुबंध राशि का 0.15 प्रतिशत जुर्माना लगाया जा रहा है। यह अधिकतम दस फीसदी तक वसूला जाएगा। यानी ठेकेदार को इतनी पेनाल्टी चुकाने पर काम करने के लिए 60 दिन का समय और मिल जाएगा।

Related Articles