
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम
प्रदेश के सबसे दूसरे बड़े सरकारी कार्यालय यानी की पुलिस मुख्यालय को पेपरलेस करने का काम तेजी से किया जा रहा है। इसके लिए पीएचक्यू को ई- ऑफिस के रूप में परिवर्तित किया जा रहा है। इसके लिए हर उस जरुरी कागज को स्कैनिंग कर कम्प्यूटर में डाला जा रहा है जो जरूरी है। दरअसल इसके पहले नए वित्त वर्ष में ऑनलाइन काम करने की तैयारी मंत्रालय में पहले से ही कर ली गई है। अब इसी राह पर पुलिस मुख्यालय भी तेजी से आगे बढ़ रहा हैॅ। पुलिस मुख्यालय में भी 1 अप्रैल से जिलों से जो फाइलें बुलाने और भेजने का काम भी ऑनलाइन ही किया जाएगा। फिलहाल पुलिस मुख्यालय के सामने सबसे बड़ी चुनौती पूरी तरह से ऑनलाइन वर्किंग पर अमल हर कर्मचारी द्वारा कि जाने की है। ई-ऑफिस के लिए सीआईडी में हो रही आपराधिक जांच के दस्तावेज भी स्कैन कर डिजिटल किए जा रहे हैं। पुलिस मुख्यालय में जनवरी से इस पर लगातार काम चल रहा है।
सीआईडी शाखा में 40 फीसदी काम शेष
पुलिस मुख्यालय की सीआईडी में शाखा से संबंधित अधिकांश फाईले ई-फाइलिंग में बदल चुकी है। इनमें से अधिकांश वे फाइलें हैं जो विभिन्न मामलों की जांच से संबंधित हैं। इनमें से करीब 60 प्रतिशत मामलों की फाईलें भी यहां पर ई-फाईलिंग में बदल चुकी हैं। यही वजह है कि अब इस शाखा की अधिकांश फाइलें स्पेशल डीजी पवन श्रीवास्तव के पास कम्प्यूटर पर ही आ जा रही हैं। जैैसे-जैसे इसे पूरी तरह से लागू करने की तारीख पास आ रही है, पुलिस मुख्यालय की कुछ शाखाओं में हडक़ंप मचता जा रहा है। इस तरह की स्थिति खासतौर पर प्रशासन शाखा में देखी जा सकती है। इसकी वजह है इसी शाखा में सर्वाधिक फाईलें होना हैं। जिन्हें ई-ऑफिस में बदले जाने को लेकर खासी मशक्कत करनी पड़ रही है। हर दस्तावेज को स्कैन कर ई-फाइल में बदल जा रहा है। कम्प्यूटर भी हर टेबल पर नहीं होने के चलते यह परेशानी आ रही है। प्रशासन शाखा में सभी पुलिस अफसरों का पूरा रिकॉर्ड रहता है। इसी तरह अफसरों की विभागीय जांच का भी पूरा ब्यौरा भी यहीं पर रहता है। हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में चल रहे पुलिस मुख्यालय से संबंधित मामलों की भी यहीं पर मॉनिटरिंग होती है। कर्मचारियों और अफसरों के मेडिकल बिल के दस्तावेज भी यहीं पर होते हैं। ऐसे में यहां पर अभी ई-फाइलिंग करने का काम तेजी से चल रहा है।
यह है ई-ऑफिस प्रणाली: डिजिटल इंडिया कार्यक्रम का एक अभिन्न अंग होने के नाते ई-ऑफिस सरकारी कार्यालयों में एक सरलीकृत, उत्तरदायी, प्रभावी, जवाबदेह और पारदर्शी कार्यप्रणाली प्राप्त करने का माध्यम है। ई-ऑफिस में अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक कंप्यूटर पर बैठकर अपनी फाइलें निपटाएंगे। इससे यह पता चल जाएगा कि कौन सी फाइल किस के पास लंबित है। ई-ऑफिस की गति और दक्षता न केवल विभागों को सूचित और त्वरित निर्णय लेने में सहायता करती है बल्कि उन्हें पेपरलेस भी बनाती है। गौरतलब है कि मध्यप्रदेश में ई-ऑफिस व्यवस्था मंत्रालय में 1 जनवरी से लागू की जा चुकी है। यहां पर सभी सरकारी फाइलें अब कंप्यूटर के माध्यम से ही एक टेबल से दूसरी टेबल पर पहुंच रही है।
जिलों में भी जल्द होगी व्यवस्था
जिलों में भी फाइलिंग की यह व्यवस्था जल्द ही शुरू होगी। इससे पहले पुलिस मुख्यालय के निर्देश पर पुलिस जांच के बाद अदालत में पेश होने वाली चार्जशीट को डिजिटल रूप से प्रस्तुत करने के निर्देश दिए थे। इस पर अमल तेजी से हो रहा है और अब अधिकांश चालान डिजिटल फार्म में प्रस्तुत किए जा रहे हैं। पीएचक्यू के बाद यह व्यवस्था जिलों में भी लागू होगी। जिलों से पीएचक्यू में आने वाली फाइल भी ई-ऑफिस के जरिए ही जल्द आना शुरू हो जाएंगी। जिलों में बजट आवंटन, अफसर-जवानों के तबादला आवेदन सहित अनेक मामलों की फाईले यहां तक आती है।