- हरियाली बढ़ाने की कवायद….

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम
मप्र ऐसा राज्य है जहां शहरी इलाकों के अलावा ग्रामीण इलाकों में भी हरियाली तेजी से कम होती जा रही है। हालात यह हैं कि ग्रामीण इलाकों में तो सरकारी जमीन का अधिकांश हिस्सा तक गायब हो चुका है। सरकारी अनुमान कहता है कि प्रदेश की अधिकांश पंचायतों में तो रहवासी इलाकों से ग्रीन बेल्ट पूरी तरह से गायब हो चुका है। सरकार का भी मानना है कि प्रदेश की मौजूदा 23 हजार पंचायतों में से 75 फीसदी पंचायतों में आबादी की जमीन में ग्रीन बेल्ट ही नहीं बचा है।
इसी तरह से जिन पंचायतों में जमीन बची हुई हैं, वहां पर भी तेजी से हरियाली समाप्त तो हो ही रही है साथ ही लोगों द्वारा अवैध कब्जे भी किए जा रहे हैं। ऐसी जमीनों पर लोगों ने बड़े पैमाने पर खेती तक करना शुरू कर दिया है। इसके लिए बढ़ती आबादी, संयुक्त परिवारों का स्वतंत्र इकाई के रूप में स्थापित होना और खेती के लिए शत-प्रतिशत जमीन का उपयोग करने जैसे कारण शामिल हैं। इस खतरे ने गांवों की बड़ी आबादी को नुकसान पहुंचाना शुरू कर दिया। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग इस खतरे से निपटने के लिए नए सिरे से ग्राम वन विकसित करने की ओर बढ़ रहा है। अब तक यह योजना चुनिंदा पंचायतों के लिए थी। पर अब इसमें बदलाव कर अगले 4 साल में सभी पंचायतों में नए वन क्षेत्र विकसित किए जाएंगे। 23 हजार पंचायतों में प्रत्येक में पहले दो से 6 गांव व टोले मजरे थे, जिनकी संख्या अब 10 से 15 पहुंच गई। इसकी वजह आबादी बढ़ना है। संयुक्त परिवार स्वतंत्र इकाई के रूप में अस्तित्व में आ रहे हैं, जिससे बसाहटों का दायरा बीते 20 साल में तेजी से बढ़ा।
ऐसे तैयार किया जाएगा ग्रीन बेल्ट
हर दूसरी पंचायत के पास सरकारी जमीन है, इस पर पौधे लगाने की योजना है। यह काम खुद पंचायतों से कराएंगे। निगरानी समिति भी बनेगी, सरपंच और सचिवों की नए सिरे से जिम्मेदारी तय की जाएगी जिन पंचायतों के पास खुद का लैंडबैंक नहीं है, उनमें पास की वीरान वन भूमियों पर ग्रीन बेल्ट विकसित होगा। वन विभाग की मदद लेंगे। इसकी राशि पंचायतों से उपलब्ध कराई जाएगी।
प्रदेश में दो साल पहले की गई थी शुरुआत
मप्र ग्रीन इंडिया मिशन के तहत प्रदेश में इस तरह का प्रयोग करने की शुरुआत दो साल पहले वर्ष 2023 में की गई थी। तब इसकी शुरुआत शहरी इलाकों से की गई थी। प्रदेश में 500 हेक्टेयर क्षेत्र में बीस करोड़ की लागत से 21 नए नगर वन तैयार करने की योजना पर काम शुरू किया गया था, जिस पर तेजी से अमल किया जा रहा है। इस मामले में तब केन्द्र ने भी 16 नए नगर वन बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की थी, जिससे प्रदेश में नगर वनों की संख्या 45 हो गई है। प्रदेश की बढ़ती आबादी और क्लाइमेट चेंज के असर को कम करने के लिए तैयार किए नगर वन शहरों के लिए ऑक्सीजन बैंक का काम करेंगे। इसमें ज्यादा से ज्यादा ऑक्सीजन देने वाले पौधे रौंपे जा रहे हैं। यहां पर लोग प्रकृति का आनंद तो लेंगे ही साथ ही सेहत का ख्याल भी रख सकेंगे। शहरी इलाके में इन्हें 2 हेक्टेयर से 50 हेक्टेयर भूमि पर तैयार किया जा रहा है। इसमें पहाड़ी और मैदानी दोनों क्षेत्र को शामिल किया गया है। इनमें वॉकिंग व जॉगिंग ट्रैक बनाए जा रहे हैं। इसमें योग के लिए स्थान उपलब्ध कराया जाएगा। लोगों को पेड़, पौधों व वन्य प्राणियों के बारे में जानकारी भी दी जाएगी।
यह होगा फायदा
नगर वन बनाए जाने से जहां पर्यावरण प्रदूषण से मुक्ति मिलेगी , वहीं अवैध रुप से होने वाले कब्जों से भी मुक्ति मिल जाएगी, जिससे सरकारी जमीन सुरक्षित हो जाएगी। इसके अलावा गांवों के आसपास जानवरों के लिए चरने के लिए भी जगह उपलब्ध हो सकेगी।