- मंत्री की नोटशीट्स पर एक्शन लेना बंद

गौरव चौहान
मप्र में कई मंत्री ऐसे हैं, जो अपने विभाग के अफसरों से परेशान हैं। ऐसे ही मंत्रियों में एक नाम है स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह का। उदय प्रताप सिंह जब नए-नए मंत्री बने तो अफसर उनकी हर बात पर गौर करते थे। लेकिन अब स्थिति यह है कि मंत्री पर विभागीय अफसर भारी पड़ने लगे हैं। इसका प्रमाण यह है कि शिक्षा विभाग के अफसर मंत्री की नोटशीट्स पर एक्शन लेने की बजाय उसे ठंडे बस्ते में डाल दे रहे हैं।
जानकारी के अनुसार विभिन्न कार्यों को लेकर मंत्री ने विभागीय अफसरों को नोटशीट्स भेजी है, लेकिन उसको लेकर अफसरों ने गंभीरता नहीं दिखाई है। 29 जनवरी 2025 को मंत्री उदय प्रताप सिंह ने सचिव स्कूल शिक्षा, आयुक्त लोक शिक्षण, संचालक राज्य शिक्षा केंद्र समेत विभाग प्रमुखों को एक नोटशीट लिखी। जिसमें मंत्रालय एवं स्कूल शिक्षा विभाग के अंतर्गत अधीनस्थ कार्यालयों में पदस्थ अधिकारियों एवं लोक सेवकों का पूरा विवरण प्रारूप के अनुसार सात दिन में मांगा था। एक महीने बाद इसी मामले में दोबारा मंत्री ने सचिव स्कूल शिक्षा समेत विभाग प्रमुखों को नोटशीट लिखी। उस नोटशीट के जरिए अधिकारियों-लोकसेवकों की जानकारी सात दिन में मांगी गई थी। वह जानकारी समय-सीमा गुजरने के बाद भी (मंत्रालय एवं महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान को छोडक़र) शेष कार्यालयों से अभी तक अप्राप्त है। उसके बाद मंत्री ने फिर लिखा, तत्काल उक्त जानकारी भेजते हुए विलंब के लिए उत्तरदायी लोक सेवकों के विरुद्ध आवश्यक अनुशासनात्मक कार्यवाही का प्रस्ताव भेजा जाए, लेकिन अभी तक मंत्री को जानकारी भी नहीं भेजी गई और ना ही विलंब करने वाले लोक सेवकों के खिलाफ कोई एक्शन लिया गया है।
मंत्री को ही नहीं दे रहे जानकारी
स्कूल शिक्षा मंत्री की ओर से सचिव स्कूल शिक्षा डॉ. संजय गोयल समेत विभाग प्रमुखों को लिखी गई कई नोटशीट्स पर अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है। इससे विभाग में फिलहाल मंत्री व सचिव के बीच दूरियां बढ़ती नजर आ रही हैं। मंत्री की लिखी नोटशीटों पर विभाग के अफसरों ने अब एक्शन लेना बंद कर दिया है। मंत्री के बार-बार नोटशीट लिखने के बाद भी अफसरों की तरफ से कोई जानकारी नहीं दी जा रही है। इससे विभाग के अफसरों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं। स्कूल शिक्षा मंत्री ने 10 फरवरी 2025 को आयुक्त लोक शिक्षण, संचालक राज्य शिक्षा केंद्र समेत विभाग प्रमुखों को नोटशीट लिख कर कहा कि स्कूल शिक्षा विभाग के अनुषांगिक कार्यालयों व संगठनों में गैर शैक्षणिक कार्यों में कार्यरत या पदस्थ शिक्षकों की पदस्थापना या अटैचमेंट तत्काल प्रभाव से निरस्त किए जाएं। मंत्री ने 28 फरवरी 2025 को फिर नोटशीट लिखी। जिमसें कहा कि 10 फरवरी 2025 की लिखी नोटशीट के आदेश के अनुक्रम में की गई कार्यवाहियों, प्रेषित प्रस्तावों एवं जारी की किए गए आदेशों की जानकारी एवं प्रति उपलब्ध कराई जाए। अटैचमेंट समाप्त करने के मामले में मंत्री के दो बार नोटशीट लिखने के बाद भी विभाग के अफसरों ने अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की है। वहीं स्कूल शिक्षा मंत्री ने पिछले साल सितंबर में लोक शिक्षण में प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ प्रोग्रामर को हटाने के लिए नोटशीट लिखी। मंत्री ने यह नोटशीट उच्च पद के प्रभार की काउंसलिंग में मिल रही शिकायतों के बाद लिखी थी। पिछले साल से अभी तक उक्त नोटशीट पर भी कोई कार्यवाही नहीं की गई है।
लोक सेवकों की पदस्थापना में मनमर्जी
विभाग में मंत्री को अफसर कोई महत्व नहीं दे रहे हैं इसका ताजा मामला मंत्री की ओर से सचिव स्कूल शिक्षा को लिखी गई नोटशीट है। इस नोटशीट में मंत्री ने संचालक लोक शिक्षण को निलंबित करने के लिए लिखा है, जिसमें संचालक ने प्रतिनियुक्ति से वापस आने के बाद लोक सेवकों की पदस्थापना मनमर्जी से कर दी। इसमें मंत्री का अनुमोदन नहीं लिया गया। विभागीय सूत्रों का कहना के प्रतिनियुक्ति से वापसी के बाद लोक सेवक संबंधित डीईओ या जेडी ऑफिस में आमद देते थे। डीईओ की तरफ से पदस्थापना के लिए लोक शिक्षण संचालनालय को प्रस्ताव भेजा जाता था। यह प्रस्ताव मंत्री के पास के अनुमोदन के लिए जाता था, लेकिन इस बार प्रस्ताव पर मनमर्जी से पदस्थापना कर दी गई। मंत्री की ओर से संचालक को निलंबित करने की नोटशीट लिखने के बाद भी अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है। इतना ही नहीं, मंत्री की नोटशीट के बाद किसी भी अफसर को नोटिस जारी कर कोई जवाब तक नहीं मांगा गया है। वहीं उच्च पद के प्रभार की काउंसलिंग में अनियमितताओं का अंबार है। लोक शिक्षण संचालनालय की ओर से की गई गड़बडिय़ां अब सामने आने लगी हैं। ऐसे ही एक मामले में संचालक लोक शिक्षण ने प्रधानाध्यक से सीधे हाईस्कूल प्राचार्य बने लोक सेवकों के आदेश तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिए हैं। प्रधानाध्यक से अब व्याख्याता ही बन सकेंगे। लोक शिक्षण ने भर्ती पदोन्नति नियम में संशोधन जारी किया है। यह संशोधन हाईकोर्ट के निर्देश के बाद किया है।