
पानी की जगह लहलहा रही हैं फसलें
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम
अमृत सरोवर योजना सरकारी कर्मचारियों और अफसरों के लिए कमाऊ योजना बन चुकी है। यह हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि योजना के क्रियान्वयन के आंकड़ों से इसका खुलासा हो रहा है। ऐसे ही कई मामले दमोह जिले के सामने आ चुके हैं। जिले में अमृत सरोवर योजना के तहत बनाए जाने वाले तालाबों में आठ तालाब तो ऐसे हैं, जो कागजों में पूरी तरह बन चुके हैं और उनका 2.14 करोड़ का भुगतान भी किया जा चुका है। वास्तविकता यह है कि यह आठ तालाब तक किसी को नजर ही नहीं आ रहे हैं, लेकिन बनाने वालों से लेकर अफसरों तक को न केवल वे बने हुए दिख रहे हैं, बल्कि उनमें उन्हें पानी भी भरपूर नजर आ रहा है। यह बात अलग है कि उनमें पानी की जगह गेहूं की फसल लहलहा रही है।
हटा के हरद्वानी गांव में 2 साल पहले 19.77 लाख रुपए की लागत से यहां अमृत सरोवर बनाया गया था। 2 बारिश बीत जाने के बाद भी यहां पानी की एक बूंद नहीं ठहरी। अब लोग कब्जा करके खेती कर रहे हैं। यह केवल बानगी है। जिले में ऐसे 113 अमृत सरोवर बने हैं, जो रिकॉर्ड में पूरे हो गए हैं, लेकिन इनमें पानी नजर ही नहीं आता। हालात ये हैं कि 8 तालाबों में से 3 में गेहूं की फसल लहलहा रही है, जबकि 5 तालाब सूखे पड़े हैं। इन तालाबों में कुल 2.14 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं।
हैरानी की बात यह है कि अफसरों ने इनके उपयोगिता प्रमाण पत्र भी जारी कर दिए। दरअसल, यह मामला आरईएस और जिला पंचायत के मनरेगा से जुड़ा है। शासन की गाइडलाइन के मुताबिक, दोनों को समन्वय के साथ अमृत सरोवर तालाब बनवाने थे, लेकिन अधिकारियों ने रिकॉर्ड में तालाब का निर्माण पूर्ण बताकर भुगतान करा दिया। जबकि दो साल पहले बनने के बाद भी इनमें पानी नहीं ठहरा है और अब इनमें खेती की जा रही है।