श्रीमंत ने संगठन को फिर दिखाई हेकड़ी

  • श्रीमंत की अनुपस्थिति को लेकर कयासों का दौर  

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम
जीआईएस में केंद्रीय मंत्रियों के अलावा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह शामिल हुए, लेकिन इसमें अगर प्रदेश का कोई बड़ा नेता नहीं दिखा तो वह हैं श्रीमंत यानी की केंद्रीय उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया। इसे अब राजनीतिक बीथिका में उनकी हेकड़ी के रूप में देखा जा रहा है। दरअसल यह पहली बार नहीं है, जब उन्होंने इतने बड़े स्तर के आयोजन से दूरी बनाई है बल्कि , उपचुनाव के दौरान भी वे अपने प्रभाव वाले क्षेत्र से पूरी तरह से नदारद रह चुके हैं। इसके बाद उन्हें द्वारा तब मीडिया से चर्चा में न बुलाने का आरोप लगाते हुए संगठन पर पूरा ठीकरा फोड़ने का प्रयास किया गया था। उस समय उनके द्वारा कहा गया था कि भाजपा प्रत्याशी रामनिवास रावत की हार पर कहा था कि यह चिंता का विषय है, लेकिन वोटों में भी बढ़ोतरी हुई और अगर मुझे कहा जाता तो मैं जरूर जाता। सिंधिया के इस बयान के बाद मध्य प्रदेश की सियासत गरमा गई थी। भारतीय जनता पार्टी पर ही सवाल खड़े करता यह बयान हर जगह चर्चा का विषय बना था। इसी बयान को लेकर बीजेपी विधायक और प्रदेश महामंत्री भगवानदास सबनानी ने प्रति उत्तर में कहा था कि श्योपुर विधानसभा उपचुनाव के स्टार प्रचारकों की सूची में ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम था।  मुख्यमंत्री मोहन यादव, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा, प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद ने विजयपुर उपचुनाव प्रचार के लिए केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को आमंत्रित किया था।
सीएम की छवि बनी बिजनरी नेता की
उधर, में निवेशकों द्वारा की गई धनवर्षा ने देश के अन्य राज्यों के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। इसके सफल आयोजन से मुख्यमंत्री की छवि एक बिजनरी मुख्यमंत्री के रूप में बनकर उभरी है। इस सफल आयोजन से वे प्रधानमंत्री के साथ ही गृह मंत्री अमित शाह की शाबाशी भी पा चुके हैं। इससे वे राजनीतिक रूप से पार्टी में और मजबूत होकर उभरे हैं। डा. यादव ने इस समिट के जरिए कई तरह के संदेश भी दिए हैं। उन्होंने जिस तरह से समिट का शुभारंभ पीएम नरेंद्र मोदी और समापन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से करवाया है , उससे साफ संदेश गया है कि वे इन दोनों ही नेताओं की गुड बुक में बने हुए हैं।  केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान समिट के दूसरे दिन 25 फरवरी को शामिल हुए। उन्होंने बताया था कि बिहार में कार्यक्रम की व्यस्तता से पीएम की पाठशाला और शुभारंभ में नहीं आ सका था। सिंधिया के शामिल नहीं होने को लेकर अब कई कयास लगाए जा रहे हैं, वो भी तब जब समिट शुरू होने से एक दिन पहले 23 को कुशाभाऊ ठाकरे सभागार के संवाद कार्यक्रम में शामिल हुए थे।

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