जीआईएस: सरकार के बाद …अब अफसरों की बारी

  • निवेश को धरातल पर उतारने की कवायद

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम
पूर्व सरकारों में हुई इन्वेस्टर्स समिटों से सबक लेते हुए इस बार मोहन सरकार चाहती है कि निवेश को  लेकर जितने भी एमओयू हुए हैं, वे सभी धरातल पर उतरे, यही वजह है कि अब सरकार स्तर पर आयोजन होने के बाद बाकायदा अफसरों को निवेश के लिए फॉलोअप करने का जिम्मा सौंप दिया गया है। अहम बात यह है कि इस मामले में मुख्य सचिव अनुराग जैन भी मुख्यमंत्री डां मोहन यादव की ही तरह बेहद गंभीर बने हुए हैं। यही वजह है कि उन्होंने स्वयं भी इस मामले में मॉनिटरिंग करने का तय किया है। मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री स्तर पर मानिटरिंग होने से अब अफसरशाही भी इस मामले में लापरवाही नहीं कर सकेगी। उल्लेखनीय है कि इस दो दिवसीय ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में देश-विदेश के उद्योगपतियों ने प्रदेश में निवेश में खासी रुचि दिखाते हुए दो दिन में कुल 26.61 लाख करोड़ रुपए के निवेश प्रस्ताव दिए हैं। यह राशि राज्य के कुल कर्ज और बजट से कई गुना ज्यादा है। सरकार का दावा है कि इससे 17.34 लाख नौकरियां पैदा होंगी। अगर ऐसा हुआ, तो प्रदेश की बेरोजगारी की समस्या आधी से अधिक समाप्त हो जाएगी। दरअसल प्रदेश में सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 29 लाख से ज्यादा युवा बेरोजगार हैं। समिट के दौरान उद्योगपतियों के साथ अलग- अलग सेक्टर्स के लिए 83 एमओयू पर हस्ताक्षर हुए। समिट में हुए एमओयू और प्राप्त निवेश प्रस्ताव सिर्फ कागजों में न रह जाएं, बल्कि वे  जमीन उतरें, इसको लेकर सरकार गंभीर है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने विभिन्न सेक्टर्स में हुए एमओयू का फॉलोअप करने के लिए  अधिकारियों की अलग-अलग टीमें बनाने के निर्देश दिए हैं। ये टीमें संबंधित विभाग के अधिकारियों और उद्योगपतियों के सतत संपर्क में रहेंगी। टीमें निवेशकों के सामने आ रही कठिनाइयों को दूर करेंगी।  मुख्य सचिव अनुराग जैन अफसरों के साथ बैठक कर निवेश प्रस्तावों की हर महीने समीक्षा करेंगे। मुख्य सचिव ने मंगलवार को जीआईएस के समापन समारोह में भरोसा दिलाया कि सरकार निवेश के वादों को हकीकत में बदलने के लिए काम करेगी। निवेशकों की समस्याओं के समाधान के लिए एक पोर्टल भी बनाया जाएगा। जीआईएस के समापन समारोह में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी समिट में मिले एमओयू को जमीन पर उतारने के लिए प्रयास करने करने की  बात कही थी। दरअसल, प्रदेश में पिछले वर्षों में मप्र में हुई इन्वेस्टर्स समिट का अनुभव अच्छा नहीं रहा है। इन इन्वेस्टर्स समिट में भी लाखों करोड़ रुपए के निवेश प्रस्ताव प्राप्त होने का दावा तत्कालीन सरकार करती आई है, लेकिन इनमें से जमीन पर उतरे निवेश और सृजित हुए रोजगार को लेकर सरकार अपने दावों पर खरा नहीं उतरी है। पूर्व की सरकारों के आंकड़ों पर नजर डालें तो आधा दर्जन समिट में मिले कुल निवेश प्रस्तावों में से सिर्फ 10 प्रतिशत ही मूर्त रूप ले सके हैं। यही वजह है कि सरकार का इस बात पर पूरा जोर है कि समिट में हुए एमओयू और प्राप्त निवेश प्रस्ताव हकीकत में जमीन पर आएं, न कि कागजों पर रहे।
जमीन आवंटन का काम शुरु
सरकार इस मामले में कितनी गंभीर है, इससे ही समझा जा सकता है कि समिट के समाप्त होते ही निवेशों को जमीन का आवंटन शुरु कर दिया गया है। कई निवेशकों को तो भोपाल से रवाना होने के पहले ही जमीन आवंटन के दस्तावेज प्रदान कर दिए गए। जिन्हें जमीन आंवटित कर दी गई है उनसे अब अगले छह माह में प्रगति की रिपोर्ट देने को भी कह दिया गया है। जिन कंपनियों को जमीन आवंटित कर दी गई है उसमें अरिहंत इंडस्ट्रीज को  50 एकड़ भूमि आवंटित की गई है। कंपनी उत्पादन क्षमता को बढ़ाने के साथ औद्योगिक नियमों के अनुसार ऊर्जा-कुशल प्रक्रियाओं को शामिल करने की योजना पर काम कर रही है। इसी तरह से डिटरमाइंड इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को नीमच में 75 एकड़ भूमि आवंटित की गई है। यह आवंटन कंपनी को नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं में विस्तार करने में मदद करेगा। उधर, आनंदा बालाजी फूड्स प्राइवेट लिमिटेड को मालवा क्षेत्र में 30 एकड़ भूमि आवंटित की गई है।
आईटी सेक्टर में 64 हजार करोड़ के निवेश प्रस्ताव  
जीआईएस में मग्र को आईटी सेक्टर में 64 हजार करोड़ रुपए से अधिक के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए। इससे प्रदेश में 18 लाख से अधिक रोजगार के अवसर सृजित होंगे। इन रोजगारों में युवाओं की भागीदारी सर्वाधिक रहेगी। टेक कंपनियों जैसे डिजिटल कन्वर्जेंस टेक्नोलॉजीज, थोलोन्स, एलसीना, श्रीटेक, केन्स टेक्नोलॉजी, बियोन्ना स्टूडियोज आदि ने राज्य में निवेश किया है। ग्लोबल टेक कंपनियों ने भी निवेश की रुचि दिखाई जिनमें आईबीएम, माइक्रोसॉफ्ट, बारक्लेज जैसी प्रमुख कंपनियां शामिल हैं।

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