
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम
मप्र की पहचान अब तक टाइगर स्टेट के रूप में ही थी , लेकिन बीते कुछ समय में मप्र की पहचान लायन स्टेट के रुप में भी होने लगी है। इसके बाद अब प्रदेश के खाते में इसी तरह की एक और उपलब्धि दर्ज होने वाली है, यह है बल्चर स्टेट की। यह वो पक्षी है जो पूरी तरह से बिलुप्ती की कगार पर पहुच गया था, लेकिन प्रदेश सरकार के प्रयासों से अब उनमें तेजी से वृद्धि हो रही है। यही वजह है कि बीते कुछ सालों से उनकी संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है। इनकी वृद्धि की दर औसतन एक तिहाई तक पहुंच गई है। अगर बीते छह सालों पर नजर डालें तो गिद्धों की संख्या 35 फीसदी की वृद्धि हुई है। इसका खुलासा प्रदेश के वन्य जीव अभ्यारण्य, टाइगर रिजर्व या अन्य फॉरेस्ट एरिया में की गई गिद्धों की गणना के बाद हुआ। अब साल 2025 में द्वितीय चरण की गिद्ध गणना (समर काउंट) 29 अप्रैल 2025 को होगी। प्रदेश व्यापी गिद्ध गणना की शुरुआत साल 2016 से की गई थी, जिसमें गिद्धों का आकंलन किया गया था। तब इनकी संख्या 7029 सामने आई थी। इसके बाद वर्ष 2019 की गणना में गिद्धों की संख्या का आंकड़ा 8397 था, वहीं साल 2021 में हुई गणना में गिद्धों की संख्या 9446 पहुंच गई। पिछले साल 2024 में गिद्धों का आंकड़ा मध्य प्रदेश में 10845 पहुंच गया। साल 2025 में गिद्धों की संख्या 12981 तक पहुंच गई। यदि साल 2019 से अब तक 6 सालों की बात करें तो मध्य प्रदेश में गिद्धों की संख्या 35 प्रतिशत यानी 4,584 गिद्ध बढ़े हैं। बता दें कि प्रदेश व्यापी गिद्ध गणना वर्ष 2025 के प्रथम चरण में दिनांक 17, 18 व 19 फरवरी 2025 को की गई। विशेषज्ञों ने बताया कि गिद्ध की गणना के लिए सबसे अच्छा समय सूर्योदय का होता है। सुबह 7 बजे से 9 बजे तक गिद्धों की गणना की जाती है। 3 दिवसीय गिद्ध गणना का काम प्रदेश के सभी 16 वृत्त, 64 डिवीजन और 9 संरक्षित क्षेत्रों में किया गया। गिद्ध गणना का कार्य वन विभाग के अधिकारियों, कर्मचारियों तथा डब्ल्यूआईआई भोपाल के प्रतिभागियों के अतिरिक्त स्वयं सेवक तथा फोटोग्राफरों द्वारा किया गया।
7 तरह की प्रजातियां
प्रदेश में गिद्धों की कुल 7 प्रजातियां पाई जाती हैं, जिसमें से 4 प्रजातियां स्थानीय हैं व 3 प्रजातियां प्रवासी हैं। बता दें कि गिद्धों की गणना करने के लिए शीत ऋतु का अंतिम समय उचित होता है, जब स्थानीय तथा प्रवासी गिद्धों की गणना सटीकता के साथ की जा सकती है। यह गणना सूर्योदय के तत्काल बाद प्रथम चरण में चयनित गिद्धों के घोसलों के समीप पहुंच कर और घोंसलों के आस-पास बैठे गिद्धों व उनके नवजातों की गणना की जाती है, लेकिन इस बात का ध्यान रखा जाता है कि केवल आवास स्थलों पर बैठे हुए गिद्धों को ही गिना जाए।