
- डेढ़ माह में 30 हजार करोड़ का ले सकती है सरकार लोन
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। वित्त वर्ष की समाप्ती में अभी डेढ़ माह का समय बचा हुआ है। इस डेढ़ माह में कर्ज लेने की प्रदेश की सीमा अभी 30 हजार करोड़ की है। सरकार अब पांच हजार करोड़ का नया कर्ज लेना चाहती है , लेकिन अब तक केन्द्र सरकार ने इसकी स्वीकृति प्रदान नहीं की है। प्रदेश सरकार को नए कर्ज के लिए केन्द्र सरकार से स्वीकृति मिलने का इंतजार बना हुआ है। दरअसल, राज्य सरकारों को कर्ज लेने के लिए सालभर में दो बार अनुमति लेनी होती है। अनुमति नहीं मिल पाने की वजह से सरकार नया कर्ज नहीं ले पा रही है। नियमानुसार इस वित्त वर्ष की समाप्ती तक प्रदेश सरकार अभी 30 हजार करोड़ का नया कर्ज ले सकती है। यही वजह है कि सरकार ने पांच हजार करोड़ का नया कर्ज लेने की तैयारी की हुई है। सरकार इसे 18 फरवरी को लेना चाहती है, लेकिन केन्द्र सरकार की अनुमति इसमें रोड़ा बनी हुई है। नियमानुसार राज्य सरकार को इस कर्ज को लेने के लिए सालभर में दो बार केंद्र सरकार से मंजूरी लेना पड़ती है। पहली बार, चालू वित्त वर्ष के शुरुआती तीन त्रैमास (अप्रैल से दिसंबर तक) के लिए अनुमति मिलती है। इसी के आधार पर राज्य सरकारें जरूरत के हिसाब से नौ महीने की अवधि में लोन लेती हैं। दूसरी बार, वित्त वर्ष के अंतिम त्रैमास (जनवरी से मार्च तक) में लोन लेने के लिए हर साल राज्य को केंद्र सरकार से स्वीकृति लेना होती है। मप्र सरकार ने जनवरी, 2025 की शुरुआत में अंतिम त्रैमास के लिए लोन लेने की मंजूरी दिए जाने को लेकर केंद्र सरकार को पत्र लिखा था, लेकिन केंद्र से अब तक इसकी अनुमति नहीं मिली है। इस बीच मप्र सरकार केंद्र को कई रिमांडर भेज चुकी है, पर वहां से कोई रिप्लाई नहीं आया। वित्त विभाग के अधिकारियों का कहना है कि चालू वित्त वर्ष अंतिम त्रैमास में सरकार ने केंद्र की अनुमति से ही लोन लेने की प्लानिंग की थी।
इसके लिए उसने केंद्र सरकार को पत्र भी लिखा था। चूंकि सरकार को पैसों की जरूरत है और केंद्र से अब तक अनुमति नहीं मिली है, इसलिए सरकार पिछले तीन त्रैमास (अप्रैल से दिसंबर, 2024) की कर्ज की बची हुई लिमिट से लोन लेने जा रही है। लोन की निर्धारित लिमिट के करीब 15 हजार करोड़ रुपए की राशि बची है, जिसे सरकार केंद्र की अनुमति के बिना ले सकती है। अधिकारियों का कहना है कि मप्र सरकार आने वाले डेढ़ माह में अधिकतम 30 हजार करोड़ रुपए का कर्ज ले सकती है। हालांकि ऐसा कोई बंधन नहीं है कि सरकार इस पूरी राशि को कर्ज के रूप में ले। वह चाहे तो एक रुपए का कर्ज भी न ले। कर्ज लेना है या नहीं, इसका अंतिम निर्णय सरकार को करना है।
मप्र की कर्ज की स्थिति पर एक नजर
– वर्ष 2024-25 में कर्ज लेने की सीमा करीब 65 हजार करोड
– मप्र सरकार पर कुल कर्ज की राशि 4.10 लाख करोड़
– सरकार ले सकती है जीडीपी का अधिकतम ३ प्रतिशत कर्ज
सरकार ने साल के अंतिम दिन लिया था लोन
वित्त विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक मप्र सरकार चालू वित्त वर्ष में ३5 हजार करोड़ रुपए का कर्ज ले चुकी है। पहली बार कर्ज अगस्त में लिया गया था। सरकार ने चालू वित्त वर्ष का 5 हजार करोड़ रुपए का अंतिम लोन ३1 दिसंबर को लिया था। इसके बाद से अब तक सरकार ने एक बार भी लोन नहीं लिया है। मप्र सरकार पर वर्तमान में 4 लाख 10 हजार करोड़ रुपए का कर्ज है। मप्र सरकार ने जुलाई में वित्त वर्ष 2024- 25 के लिए ३ लाख 65 हजार करोड़ से अधिक का बजट प्रस्तुत किया था।
यह है कर्ज लेने का फार्मूला
कोई भी राज्य अपने सकल घरेलू उत्पाद जीडीपी का अधिकतम ३प्रतिशत की सीमा तक कर्ज ले सकती है। मप्र का सकल घरेलू उत्पाद करीब 1३ लाख करोड़ रुपए है। इसी के अनुपात मप्र की कर्ज लेने की सीमा निर्धारित की गई है। इस सीमा के अंदर ही सरकार कर्ज ले सकती है।