भोपाल में हो सकेगी डाटा की फॉरेंसिक जांच

फॉरेंसिक जांच
  • पहले चरण में परियोजना के लिए 120 करोड़ की स्वीकृति, अब नहीं भेजना पड़ेगा गुजरात

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। राजधानी भोपाल में अत्याधुनिक मीडिया फॉरेंसिक लैब बनेगी। नेशनल फॉरेंसिक यूनिवर्सिटी में जल्द ही एक अत्याधुनिक मीडिया फॉरेंसिक लैब स्थापित की जाएगी। योर लैब डिजिटल डाटा ऑडियो वीडियो रिकॉर्डिंग और इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों की प्रमाणिकता की जांच के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र बनेगी।
अभी तक ऐसी एजेंसी के जांच के लिए उत्तर गुजरात भेजना पड़ता था जिस समय और संसाधनों की खपत बढ़ जाती थी, लेकिन अब यह सुविधा मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में ही उपलब्ध हो सकेगी। फोरेंसिक विशेषज्ञों के अनुसार यह लाभ अत्यधिक सॉफ्टवेयर और तकनीक से लैस होगा, जिसके कारण डिजिटल सामग्री की विश्वसनीयता को परखा जा सकेगा। साथ ही इसमें ऑडियो और वीडियो एडिटिंग की पहचान और दीपक का पता लगाने और डिजिटल डाटा मैनिपुलेशन की जांच करने की अत्याधुनिक सुविधाएं होंगी। यूनिवर्सिटी की बिल्डिंग भंवरी क्षेत्र के बरखेड़ा बंदर में 27 एकड़ में तैयार की जाएगी। पहले चरण में इस परियोजना के लिए 120 करोड़ रुपए की स्वीकृति दे दी गई है जिससे विश्वविद्यालय लैब भवन, गेस्ट हाउस, स्पोट्र्स कंपलेक्स और पुलिस लैब की द्वितीय तल पर संचालित की जा रही है। फॉरेंसिक विशेषज्ञों के अनुसार, यह लैब अत्याधुनिक सॉटवेयर और तकनीकों से लैस होगी, जिससे किसी भी डिजिटल सामग्री की विश्वसनीयता को परखा जा सकेगा। इसमें ऑडियो और वीडियो एडिटिंग की पहचान करने, डीपफेक का पता लगाने और डिजिटल डेटा मैनिपुलेशन की जांच करने की अत्याधुनिक सुविधाएं होंगी। यूनिवर्सिटी की बिल्डिंग भौंरी क्षेत्र के बरखेड़ा बोंदर में 27 एकड़ में तैयार की जाएगी। पहले चरण में इस परियोजना के लिए 120 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए हैं, जिससे विश्वविद्यालय लैब, भवन, गेस्ट हाउस, स्पोट्र्स कॉप्लेक्स और 500 सीटर हॉस्टल का निर्माण होगा। फिलहाल यह यूनिवर्सिटी भौंरी स्थित पुलिस लैब के द्वितीय तल पर संचालित की जा रही है।
लैब जांच करने में मददगार होगी
विश्वविद्यालय के अधिकारियों के मुताबिक डिजिटलाइजेशन के इस दौर में साइबर अपराध, फर्जी वीडियो और ऑडियो क्लिपिंग के मामलों में तेजी से वृद्धि हुई है। कई बार सोशल मीडिया पर गलत जानकारी या एडिटेड वीडियो वायरल कर समाज में भ्रम फैलाने की कोशिश की जाती है। ऐसे में यह नई मीडिया फॉरेंसिक लैब सत्यता की जांच करने और प्रमाणिकता सुनिश्चित करने में मददगार साबित होगी। यह लैब जल्द तैयार की जाएगी। देशभर में डिजिटल साक्ष्य जांच के लिए एक प्रमुख केंद्र के रूप में विकसित होगी। यह न केवल न्याय प्रणाली को मजबूती देगी, बल्कि कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए भी बड़ी राहत साबित होगी। प्रो. सतीश कुमार, निदेशक, नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी अधिक प्रभावी  अधिकारियों के मुताबिक मीडिया फॉरेंसिक लैब के बनने से न्यायपालिका को भी बड़ी सुविधा मिलेगी। कोर्ट में पेश किए जाने वाले डिजिटल सबूतों की प्रमाणिकता की जांच भोपाल में ही तेजी से हो सकेगी, जिससे मामलों का निपटारा जल्दी और प्रभावी तरीके से किया जा सकेगा। भोपाल बनेगा मीडिया फॉरेंसिक का प्रमुख केंद्र अब तक डिजिटल मीडिया की जांच के लिए डेटा को फारेंसिक यूनिवर्सिटी गांधीनगर (गुजरात) स्थित लैब में भेजना पड़ता था, जिससे जांच प्रक्रिया में देरी होती है, लेकिन इस नई लैब के खुलने से मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों के मामलों की जांच भी तेज और प्रभावी तरीके से हो सकेगी।

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