- मंडल और जिलों की टीम में नए चेहरों को दिया जाएगा मौका
- विनोद उपाध्याय
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मंडल और जिलाध्यक्षों के चुनाव के बाद अब भाजपा का फोकस अब नई कार्यकारणी पर है। इसके साथ ही पार्टी जल्द ही प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा करेगी। वहीं प्रदेश संगठन का खाका भी तैयार किया जा रहा है। प्रदेश संगठन के गठन में संगठन को और भी मजबूत बनाने पर जोर दिया जाएगा, साथ ही महिला सशक्तिकरण और सर्वसमावेशी संगठन की दिशा में काम किया जाएगा। संगठन को और मजबूत बनाने के लिए क्षमतावान और विचारवान लोगों को लाया जाएगा। सशक्त और समर्पित कार्यकर्ताओं को संगठन में पद दिया जाएगा। गौरतलब है कि भाजपा के सभी 62 जिलों के अध्यक्षों की घोषणा होने के बाद अब प्रदेश संगठन ने कार्यकारिणी बनाने के लिए गाइड लाइन जारी की है। गाइड लाइन में स्पष्ट लिखा है कि नए लोगों को मौका देना है, लेकिन अगर पुराने लोगों का कामकाज सही है तो उन्हें फिर से मौका दिया जा सकता है। वहीं जिले की कार्यकारिणी में 4 पद ऐसे हैं, जहां अगर आवश्यक हो तो परिवर्तन किया जाए। वहीं महिलाओं और अजा-अजजा वर्ग को भी संविधान के अनुसार प्रतिनिधित्व देने के निर्देश जारी किए गए हैं। भाजपा संगठन में सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व महत्वपूर्ण है और हम इसे सर्वसमावेशी बनाने का प्रयास किया जाएगा।
40 प्रतिशत पदाधिकारी होंगे नए
भाजपा आगामी तीन साल की रणनीति बनाकर संगठन का गठन करेगी। प्रदेश संगठन ने टीम गठन के लिए जो गाइड लाइन जारी की गई है उसमें कहा गया है कि सभी स्तरों पर अनिवार्य रूप से 40 प्रतिशत पदाधिकारी नए नियुक्त करना हैं, यानी 60 प्रतिशत पदाधिकारी पुराने पदाधिकारियों में से लिए जा सकते हैं। वहीं अजा, अजजा और महिलाओं को भी कार्यकारिणी में संविधान में दिए गए प्रतिशत के आधार पर प्रतिनिधित्व देना है। वहीं कार्यकारिणी सदस्य तथा विशेष आमंत्रित सदस्य और प्रवक्ताओं की नियुक्ति में ऐसे कार्यकर्ताओं को नहीं लेना है, जिनकी पार्टी में कोई भूमिका नहीं रही हो और न ही वे किसी गतिविधि में सक्रिय हों। इसके साथ ही मोर्चा की नियुक्ति के लिए भी कवायद की जाए। मंडल समिति में अध्यक्ष के साथ-साथ 6 उपाध्यक्ष, 2 महामंत्री, 6 मंत्री, 1 कोषाध्यक्ष रहेगा। वहीं कार्यकारिणी में 5 महिलाएं अनिवार्य रूप से रखना होंगी और 6 अजा तथा अजजा के सदस्य होंगे। जिला समिति में अध्यक्ष के साथ 8 उपाध्यक्ष होंगे तो हमेशा की तरह 3 महामंत्री होंगे। 8 मंत्रियों के साथ 1 कोषाध्यक्ष का पद भी रहेगा। वहीं 20 लोगों की कार्यकारिणी में 7 महिलाएं और 2 अजा तथा अजजा वर्ग के लोगों को शामिल करना अनिवार्य रहेगा। मोर्चा में भी मंडल अध्यक्ष के साथ 3 उपाध्यक्ष, 2 महामंत्री, 3 मंत्री, 1 कोषाध्यक्ष तो जिला स्तर पर 5 उपाध्यक्ष, 2 महामंत्री, 5 मंत्री और 1 कोषाध्यक्ष रहेगा। वहीं मंडल में 21 तो जिले में 30 कार्यसमिति सदस्य बनाए जा सकेंगे। महिलाओं को विशेष रूप से प्रत्येक कार्यकारिणी में तवज्जो देने के लिए कहा गया है। जैसे जिले में अध्यक्ष के साथ 90 सदस्य रहेंगे तो उनमें से 30 महिलाएं सदस्य रहेंगी। वहीं अजा और अजजा के 6 लोगों को भी अनिवार्य रूप से लेना होगा। इसी तरह मंडल की समिति में 60 में से 20 महिलाएं सदस्य रहेंगी तो 4 अजा और अजजा के पद रहेंगे।
अभी नए प्रदेश अध्यक्ष का इंतजार
अभी भाजपा में नए प्रदेश अध्यक्ष का नाम तय होना है। जिसके लिए प्रक्रिया तो जारी है, लेकिन सबसे बड़ा सवाल लगातार हो रही देरी से उठ रहा है। क्योंकि काफी मशक्कत के बाद भाजपा ने जिला अध्यक्षों की घोषणा तो कर दी लेकिन प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव में देरी क्यों हो रही है। हालांकि, भाजपा का कहना है कि फिलहाल पार्टी की प्राथमिकता दिल्ली विधानसभा चुनाव है, जिसके तुरंत बाद प्रदेश भाजपा अध्यक्ष चुन लिया जाएगा। अब सवाल यह है कि पार्टी इस बार अध्यक्ष पद के लिए क्या फॉर्मूला तय करती है? भाजपा से जुड़े सूत्रों की मानें तो एमपी भाजपा अध्यक्ष के लिए पार्टी अपने पुराने और आजमाए हुए फॉर्मूले पर ही भरोसा करने वाली है। आपको बता दें कि मध्यप्रदेश में भाजपा ने साल 2003 के विधानसभा चुनाव में 10 सालों की कांग्रेस सरकार को हटाकर प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बनाई थी। तब जिस फॉर्मूले पर भारतीय जनता पार्टी ने काम किया, उसने भाजपा को मध्यप्रदेश में बेहद मजबूत स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया। यह फॉर्मूला था ओबीसी मुख्यमंत्री और सवर्ण प्रदेश अध्यक्ष का। 2003 में उमा भारती को मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया था जो ओबीसी वर्ग से आती हैं। उमा भारती के बाद बाबूलाल गौर, शिवराज सिंह चौहान और अब मोहन यादव एमपी के मुख्यमंत्री बने और यह चारों ओबीसी वर्ग से आते हैं। वहीं, इन सभी मुख्यमंत्रियों के कार्यकाल में भाजपा के संगठन की जिम्मेदारी यानी प्रदेश अध्यक्ष का जिम्मा कैलाश जोशी, नरेंद्र सिंह तोमर, प्रभात झा, नंदकुमार सिंह चौहान, राकेश सिंह और वीडी शर्मा को मिला जो सभी सवर्ण वर्ग से आते हैं। ओबीसी सीएम वाली सरकार और सामान्य वर्ग वाला प्रदेश अध्यक्ष बनाकर 2003 से भाजपा ने सत्ता और संगठन में जो संतुलन बनाया, उसने एमपी भाजपा को देश का सबसे मजबूत संगठन बना दिया और माना जा रहा है कि भाजपा इसी फॉर्मूले पर इस बार भी भरोसा करने जा रही है। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि जातिगत समीकरण किस वर्ग के लिए सटीक बैठने की संभावना है।
अब प्रदेश संगठन पर फोकस
भाजपा के पूरे प्रदेश में 1 करोड़ 60 लाख से अधिक प्राथमिक सदस्य और 94 हजार 362 सक्रिय सदस्य हैं। सदस्यता का अभियान संगठन पर्व के पहले चरण में चलाया गया था। इसके बाद संगठन पर्व का दूसरा चरण शुरू हुआ और 64 हजार 569 बूथ अध्यक्षों सहित 7 लाख 23 हजार 27 सदस्यों की बूथ समितियां बनाई गईं। इसके बाद 1313 मंडलों में से 1101 मंडल अध्यक्ष चुन लिए गए हैं और संगठन की दृष्टि से बनाए गए सभी 62 जिलों में नगर अध्यक्ष भी चुन लिए गए हैं। इसके बाद अब प्रदेश और राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होना है। इसके साथ-साथ भाजपा के प्रदेश संगठन महामंत्री भगवानदास सबनानी ने मंडल, जिला और मोर्चा की कार्यकारिणी के गठन को लेकर भी कवायद शुरू करने को कहा है, जिसकी गाइड लाइन जारी कर दी गई है। संगठन ने इस बार नए दिशा-निर्देश में यह भी कहा है कि कार्यालय मंत्री, कोषाध्यक्ष, आईटी सेल और सोशल मीडिया तथा मीडिया संयोजक का पद निरंतर रखा जा सकता है, अगर वे सक्रिय हों। बहुत आवश्यक हो, तभी इस पद पर परिवर्तन किया जाए।