संघ के अनुषांगिक संगठनों ने खोला मोर्चा

अनुषांगिक संगठनों
  • प्रदर्शन-निशाने पर आए नौकरशाह

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। चुनावी मैदान में भाजपा की जीत का आधार मजबूत करने वाला राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समय-समय पर सरकार के खिलाफ आवाज उठता रहता है। इसी कड़ी में पिछले कुछ दिनों के दौरान संघ के अनुषांगिक संगठनों ने प्रदेश सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। लेकिन उनके निशाने पर प्रदेश के नौकरशाह रहे हैं। गौरतलब है कि मप्र में भारतीय किसान संघ, अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत और लघु उद्योग भारती ने अलग-अलग मुद्दों को लेकर मोर्चा खोल दिया है। ये संगठन किसानों, उपभोक्ताओं और छोटे उद्यमियों की समस्याओं को उठा रहे हैं। हालांकि, इनका कहना है कि उनकी नाराजगी सरकार से नहीं, बल्कि योजनाओं को सही ढंग से लागू न करने वाली ब्यूरोक्रेसी से है। संगठनों का आरोप है कि समस्याओं को लेकर कई बार पत्राचार किया गया, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। मंत्री स्तर से आश्वासन तो मिलता है, लेकिन अधिकारी फाइलें आगे नहीं बढ़ाते। इस कारण अब आंदोलन तेज हो रहा है। भारतीय किसान संघ ने हाल ही में मंत्रालय तक रैली निकाली, जिसके बाद वित्त मंत्री और उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा ने खुद ज्ञापन लेकर उनकी समस्याएं हल करने का भरोसा दिया है।
इसलिए नाराज हैं संगठन
भारतीय किसान संघ, अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत और लघु उद्योग भारती ने प्रदर्शन कर विभिन्न समस्याओं को उजागर किया है। भारतीय किसान संघ ने किसानों को मिल रही परेशानियां का मुद्दा उठाया। मध्यभारत प्रांत अध्यक्ष सर्वज्ञ दीवान ने कहा कि जिला स्तर पर प्रशासनिक भ्रष्टाचार बढ़ गया है, जिससे किसान परेशान हैं। फौती नामांतरण, बंटवारा, सीमांकन और ऑनलाइन रिकॉर्ड में दिक्कतें आ रही हैं। ट्रांसफार्मर जलने के बाद बदले नहीं जा रहे, डीएपी-यूरिया खाद का वितरण समय पर नहीं हो रहा। नकली दूध और मिलावटी खाद्य पदार्थों पर कार्रवाई नहीं हो रही। सिंचाई के लिए नहरों की स्थिति खराब है, जिससे खेतों तक पानी नहीं पहुंच पा रहा। वहीं अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत ने मिलावट पर सख्ती की मांग की। मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ संगठन मंत्री अलंकार वशिष्ठ ने बताया कि राज्य में भारी मिलावट हो रही है। जितना दूध उत्पादन नहीं होता, उससे ज्यादा सप्लाई की जा रही है। मावा, पनीर और दूध की जांच के लिए पर्याप्त लैब नहीं हैं। रिपोर्ट आने में सालों लग जाते हैं। उपभोक्ता आयोग में कई पद खाली हैं। सरकार से मांग की गई है कि लैब की संख्या बढ़ाई जाए और आयोग की स्थिति सुधारी जाए। वहीं लघु उद्योग भारती ने छोटे उद्योगों की समस्याओं को लेकर मोर्चा खोला है। संगठन के सचिव अरूण सोनी का कहना है कि उद्यमियों से जुड़ी जो भी समस्याएं हैं उसे दूर किया जाए। लघु उद्योग भारती ने उद्योगों के विकास में पर्यावरण संतुलन के साथ आयात बढ़ाने की मांग की। सोनी ने कहा कि मप्र की स्टॉप ड्यूटी अन्य राज्यों से अधिक है, जिसे कम करने की मांग सरकार के सामने रखी गई है। छोटे उद्यमियों को डबल टैक्सेशन से राहत मिलनी चाहिए। एमएसएमई पॉलिसी पर संभाग स्तर पर संवाद होना चाहिए। ब्यूरोके्रसी छोटे उद्योगों की समस्याओं पर ध्यान नहीं दे रही है, जिससे वे आर्थिक संकट में आ रहे हैं। तीनों संगठनों का कहना है कि यदि जल्द समाधान नहीं हुआ, तो वे और तेज आंदोलन करेंगे।

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