ईडी के बाद अब आयकर भी पूछताछ की तैयारी में

आयकर
  • सौरभ की कृपा से सालों में पर्श से अर्श पर पहुंचा शरद

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। परिवहन विभाग का पूर्व आरक्षक अपने दो साथियों शरद जायसवाल और चेतन सिंह गौर के साथ अब जेल जा चुका है। इसके पहले उनसे छह दिनों तक लोकायुक्त की टीमें पूछताछ कर चुकी है। जिससे पता चला है कि सौरभ की मेहरबानी से शरद महज साढ़े चार साल में ही करोड़पति बन गया। उधर, ईडी की पूछताछ के बीच अब आयकर विभाग द्वारा भी पूछताछ की तैयारी की जा रही है। उधर, लोकायुक्त पुलिस इस मामले में कुछ अन्य लोगों को भी आरोपी बना सकती है।
लोकायुक्त द्वारा की गई पूछताछ में शरद ने बताया है कि उसकी मुलाकात सौरभ से साढ़े चार साल पहले हुई थी। इसके बाद दोनों करीबी दोस्त बन गए। जिसके बाद  सौरभ ने उसके कहने पर कई जमीनों का सौदा किया। सौरभ से दोस्ती के पहले वह  कंस्ट्रक्शन फील्ड में था। रोहित तिवारी के नाम से सौरभ ने ई-7/78 नंबर बंगला खरीदा था। इस बंगले के मोडिफिकेशन का काम मैंने किया। सौरभ मेरे काम की अक्सर तारीफ करता था। बाद में हम दोनों के बीच अच्छी दोस्ती हो गई। शुरुआत में वह स्वयं को आरटीओ का अधिकारी बताते थे। धीरे-धीरे सौरभ को मेरे काम में रुचि जागने लगी।  इसके बाद सौरभ ने ऑफर दिया कि कंस्ट्रक्शन के बड़े ठेके उठाए जाएं। रुपए की कमी होने पर वे मदद करेंगे। इसके बाद हमने साथ काम शुरू किया। कई जमीनों की खरीद-फरोख्त सौरभ ने मेरे कहने पर की। इसे बेचकर मैंने रकम मुनाफा सहित लौटा दी। धीरे-धीरे उन्होंने मुझे होटल संचालन और रेस्टोरेंट बिजनेस की देखरेख का जिम्मा भी दिया। उन्होंने ही अविरल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कंपनी का रजिस्ट्रेशन कराया, जिसमें चेतन और मुझे बराबरी का हिस्सेदार बताया। यह एकमात्र कंपनी है, जिसमें मैं और चेतन पार्टनर हैं। इस दौरान शरद ने दावा किया कि मैं अपनी पूरी संपत्ति का हिसाब दे सकता हूं। उसने बताया कि चेतन, जयपुरिया स्कूल में सौरभ के साधारण कर्मचारी की हैसियत से दो कमरों में रहता था। उसके नाम पर जो करोड़ों रुपए की संपत्ति है, वह सौरभ की है। इसी तरह चेतन ने लोकायुक्त के अधिकारियों को बताया कि पांच साल पहले सौरभ उसे ग्वालियर से भोपाल लाया था। वह सौरभ के पास वेतन पर काम करता था।
आयकर विभाग बना रहा पूछताछ की रणनीति
मामले में आयकर विभाग ने सौरभ शर्मा से पूछताछ को लेकर कोई रणनीति फाइनल नहीं की है। एक-दो दिन में आयकर विभाग पूछताछ संबंधी अगला कदम उठा सकती है।  
खुद को बताता है बीमार
लोकायुक्त के ज्यादा पूछताछ करने पर शरद लगातार खुद को बीमार बताता रहा। शुरु में उसने एन्जायटी की शिकायत की। इसके बाद उसने लंबे समय तक एक स्थान पर बैठने और खड़े रहने में असमर्थता जताई। उसने लोकायुक्त को अगस्त महीने में अपने दोनों घुटनों के ऑपरेशन की जानकारी दी। शरद ने एमबीए किया है। इसके बाद उसने   नागपुर, भोपाल, इंदौर में कंस्ट्रक्शन के कई काम किए। चार साल पहले उसकी पत्नी और उसने सेपरेट होने का फैसला लिया। शरद के दोनों बच्चों की कस्टडी उसी के पास है। शरद भोजपुर क्लब का रजिस्टर्ड मेंबर है। उसके पिता वल्लभ भवन के क्लास टू ऑफिसर रहे हैं। वे रिटायर्ड हो चुके हैं। लोकायुक्त की पूछताछ में शरद ने बताया कि पुश्तैनी जमीन को बेचने के बाद पिता ने उसे कारोबार शुरू कराया था।
इधर, लोकायुक्त पुलिस का दावा- बढ़ सकते हैं आरोपी
सौरभ, चेतन और शरद से की गई पूछताछ के बाद सामने आए तथ्यों के आधार पर बेनामी प्रॉपर्टी के कागजों में मालिकों को नोटिस देकर बुलाया गया है। बुधवार को इनमें से किसी के बयान नहीं हुए, वहीं इंदौर, ग्वालियर, भोपाल और जबलपुर के जिला पंजीयकों को भेजी गई प्रॉपर्टी की सूची की जानकारी मिलते ही जांच का दायरा बढ़ाने की बात कही जा रही है। लोकायुक्त पुलिस के अफसरों के मुताबिक कुछ अन्य लोगों को भी आरोपी बनाया जा सकता है।उधर, बीते रोज ईडी की एक टीम ने जेल पहुंचकर करीब छह घंटे तक पूछताछ की है। टीम ने तीनों से सोने और नकदी से लदी कार और परिवहन विभाग की काली कमाई से खरीदी गई संपत्तियों को लेकर सवाल किए। ईडी ने छापों में मिले प्रॉपर्टी और निवेश दस्तावेज भी सामने रखे।

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