- रिमांड के दौरान पूछताछ में उगलवा पाए कोई राज
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। पूर्व परिवहन आरक्षक और उसके दोनों करीबीयों से लोकायुक्त पुलिस द्वारा ररिमांड पर लेकर की गई पूछताछ में लोकायुक्त पुलिस किसी भी तरह का कोई राज नहीं उगलवा सकी है। उधर लोकायुक्त के बाद अब ईडी ने उनसे पूछताछ की तैयारी कर ली है। अहम बात यह है कि न्यायालय में पेश करने के दौरान लोकायुक्त पुलिस द्वारा सौरभ के अलावा उसके दोनों बेहद करीबियों में शामिल शरद जायसवाल और चेतन सिंह की भी फिर से रिमांड नही मांगी गई है। इससे एक बार फिर से लोकायुक्त की भूमिका पर सवाल खड़े होना शुरु हो गए हैं। फिलहाल, तीनों को न्यायालय ने न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। जिससे अब उनकी पहचान जेल में अब नंबरों से हो गई है। सौरभ शर्मा की अब जेल जाने के बाद नई पहचान अब सेंट्रल जेल भोपाल में कैदी नंबर- 5882 हो गई है जबकि उनके छोनों साथी में शामिल शरद जायसवाल की (5881) और चेतन सिंह की ( 5880) हो चुकी है। फिलहाल तीनों को लोकायुक्त विशेष न्यायालय ने 17 फरवरी तक न्यायिक हिरासत में जेल भेजा है।
अच्छे आचरण वाले बंदी करेंगे निगरानी
सौरभ, शरद और चेतन को आम बंदियों की तरह ही जेल में रखा गया है। उनकी निगरानी के लिए अच्छे आचरण वाले बंदियों की ड्यूटी लगाई गई है। इसके साथ ही उन्हें किसी भी तरह का कागज, कलम और कोई भी ऐसी चीज देने और लेने की इजाजत नहीं दी गई है, जिससे किसी भी तरह का कुछ वे लिख सकें।
सोने व नगदी का सच नहीं चला पता
पूछताछ के दौरान लोकायुक्त पुलिस यह भी नहीं उगलवा सकी है कि कार में बरामद सोना व नगदी किसकी है। इसके अलावा अन्य संपत्तियों के बारे में भी जानकारी नहीं निकलवा सकी है। इस दौरान लोकायुक्त पुलिस पूरे समय तीनों आरोपियों के सुरक्षा प्रोटोकॉल पर ज्यादा फोकस करती रही। यही वजह है कि पूछताछ के बाद भी कमाई गई काली कमाई का उसने कहां-कहां निवेश किया? अविरल कंस्ट्रक्शन नाम की जिस कंपनी के नाम पर सौरभ ने कई शहरों में प्रॉपर्टी खरीदी है, उसके लिए पैसा कहां से आया, ये भी बहुत साफ नहीं हुआ है।