संगठन से चूके तो अब सत्ता पर नजर

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  • निगम-मंडलों में राजनीतिक नियुक्तियों में लग सकती है कई नेताओं की लॉटरी

विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव के पश्चात निगम-मंडलों में राजनीतिक नियुक्तियों का सिलसिला शुरू हो सकता है। लोकसभा और विधानसभा चुनाव के दौरान टिकट से वंचित नेताओं के साथ ही जिला अध्यक्ष बनने से चूके नेताओं की नजर अब निगम-मंडलों पर लगी हुई है। कहा जा रहा है कि अपने नेताओं को खुश करने के लिए सरकार निगम-मंडलों में अध्यक्ष के पद पर उन्हें पदस्थ करेगी। इन नियुक्ति के समय नेताओं की वरिष्ठता को भी ध्यान में रखा जाएगा। वरिष्ठ नेताओं को जहां कैबिनेट मंत्री का दर्जा भी दिया जाएगा, वहीं अन्य नेताओं को राज्य मंत्री का दर्जा भी मिलता  है।  गौरतलब है कि प्रदेश में 40 से अधिक निगम और मंडल हैं, जिनमें अध्यक्ष और कुछ  निगम-मंडलों में अध्यक्ष के साथ उपाध्यक्ष भी नियुक्त होते हैं। अब भाजपा के नेताओं को बेसब्री से निगम और मंडलों में  नियुक्तियों का इंतजार बना हुआ है। जिलाध्यक्ष बनने से वंचित रहे कई नेताओं को निगम-मंडलों में जगह मिलने की उम्मीद है। अगले सप्ताह दिल्ली विधानसभा के चुनाव हो जाने के बाद प्रदेश में भाजपा के संगठन के चुनाव के आखिरी दौर में अब अध्यक्ष का चुनाव होना ही बाकी रह गया है। यह चुनाव जैसे ही होगा ,तब नए प्रदेश भाजपा अध्यक्ष की राय और उनकी सहमति के आधार पर प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों के नेताओं का चयन होगा, जिन्हें निगम और मंडलों में अध्यक्ष और उपाध्यक्षों के पद पर नियुक्त किया जाना है। इसी तरह ऐसे नेता जो कि निगम मंडलों में जगह नहीं पा पाएंगे इन नेताओं को भाजपा के प्रदेश संगठन में भी पदाधिकारी बनाया जाएगा। प्रदेश में कांग्रेस की कमलनाथ की सरकार को उखाडऩे के पश्चात ज्योतिरादित्य सिंधिया के सहयोग से भाजपा की सरकार बनी और अभी हुए विधानसभा के चुनाव में एक बार फिर भाजपा की सरकार भारी बहुमत के साथ बन चुकी है। इस दौर में बड़ी संख्या में कांग्रेस के नेता भी भाजपा में शामिल हुए हैं। ऐसे कांग्रेसी नेताओं को भी सत्ता और संगठन में जगह देना एक बड़ी चुनौती होगी। ऐसे कुछ पूर्व कांग्रेसियों को भी भाजपा निगम और मंडलों में जगह दे सकती है। गौरतलब है कि विधानसभा और लोकसभा चुनाव के समय दूसरे दल से भाजपा में शामिल हुए नेता जो भाजपा संगठनात्मक चुनाव में पार्टी के क्राइटेरिया की वजह से जिलाध्यक्ष की दावेदारी नहीं कर सके, वह भी निगम-मंडल में अपनी दावेदारी कर रहें है। इसके लिए वह अपने क्षेत्र में पिछले चुनाव में किए गए अपने काम को आधार बना रहे हैं। हालांकि संगठन से जुड़े सूत्रों का कहना है कि फिलहाल उन्हीं आयोग, बोर्ड में नियुक्तियों पर विचार हो रहा है, जिनमें नियुक्तियां बेहद जरूरी हैं।
सबको साधने की चुनौती
भाजपा की संगठनात्मक नियुक्ति के बाद खाली हाथ रह गए कई नेताओं की नजर अब निगम-मंडलों पर टिक गई है। विकास प्राधिकरणों, मप्र पर्यटन विकास निगम, हाउसिंग बोर्ड से लेकर अन्य निगम-मंडल और बोर्डों में नियुक्ति होना है। ऐसे में नेताओं को अब निगम-मंडल से ही आस बाकी है। उल्लेखनीय है कि लंबे समय निगम-मंडलों के पद खाली हैं। नगर निगम चुनाव से लेकर विधानसभा और लोकसभा चुनाव फिर संगठनात्मक नियुक्तियों से पार्टी के जिन वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को निराशा हाथ लगी है उन सबको साधने की चुनौती होगी। पार्टी में ऐसे नेताओं की लंबी फेहरिस्त है जो 50-55 की उम्र पार कर चुके हैं। पार्टी के लिए दशकों से समर्पित भाव से काम कर रहे इन नेताओं को इंतजार था कि संगठन कोई जिम्मेदारी सौंपेगा। नगर निगम चुनाव, विधानसभा चुनाव से लेकर संगठनात्मक नियुक्तियों से पहले उनके नाम सुर्खियों में आ जाते हैं। इन नेताओं से लेकर उनके परिजनों और समर्थकों को आस जग जाती है लेकिन हर बार खाली हाथ रह जाते हैं।
सक्रिय नेता होंगे एडजस्ट
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने पिछले दिनों इस बात के संकेत दिए थे, कि पार्टी के संगठनात्मक चुनाव के बाद निगम-मंडलों में राजनीतिक नियुक्तियां की जाएगी। इसके पहले प्रदेश भाजपा कार्यालय में पार्टी कार्यकर्ताओं की बैठक में भी मुख्यमंत्री ने संगठन पर्व में अच्छा काम करने वालों को भविष्य में एडजस्ट करने की बात कही थी। गौरतलब है कि पार्टी ने इस बार जिलाध्यक्ष के लिए साठ साल की उम्र का क्राइटेरिया तय किया था। अपवाद छोड़ दें तो हर जगह इसका पालन किया गया। ऐसे में सीनियर नेता अब खुद के लिए निगम, मंडल, विकास प्राधिकरण में जगह मांग रहे हैं। प्रदेश संगठन के नेताओं से मिलकर कुछ नेताओं ने बाकायदा अपनी दावेदारी भी पेश कर दी है।
राजनीतिक नियुक्ति के लिए शुरू हुई प्रक्रिया
भाजपा के संगठनात्मक चुनाव में जिलाध्यक्ष की दौड़ में पीछे रहने वाले कई नेता अब निगम-मंडलों, आयोग और विकास प्राधिकरणों में नियुक्ति को लेकर नियुक्ति अपने-अपने आकाओं के चक्कर लगा रहे हैं। प्रदेश के अधिकांश निगम मंडल और प्राधिकरण अभी खाली पड़े हैं। मप्र भाजपा ने अपने सभी 62 संगठनात्मक जिलों के जिलाध्यक्षों के नाम की घोषणा कर दी है अब सिर्फ प्रदेश अध्यक्ष के चयन की प्रक्रिया बाकी रह गई है। ऐसे में जिन नेताओं ने जिलाध्यक्ष के पद को लेकर दावेदारी पेश की थी और किसी वजह से वह इसमें पीछे रह गए वह अब निगम- मंडल में नियुक्ति के लिए दावेदारी कर रहे है। ऐसे नेताओं में ग्वालियर, चंबल, मालवा और विंध्य क्षेत्र के नेता शामिल हैं। इन नेताओं ने जिलाध्यक्ष पद के लिए पूरा जोर लगाया था लेकिन वरिष्ठ नेताओं की अपने चहेतों को इस पद पर बैठाने की जिद ने इनकी दावेदारी को बौना साबित कर दिया। इसके बाद अब यह नेता आगामी माह में निगम-मंडलों में होने वाली नियुक्ति के लिए अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं।

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